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मुंबई के बाजार में अलफांसो आम। |
मुंबई में गरमी आने के साथ ही अलफांसो आम की आमद हो गई है। दुकानदार रेट बता रहे हैं 250 रुपये किलो। नाम आम है, पर आम फलों का राजा
है। आम सिर्फ स्वाद में ही बेहतर नहीं है बल्कि यह अनेक गुणों का खजाना है। महाराष्ट्र में रत्नागिरी जिले का हापुस यानी अलफांसो को देश का सबसे
बेहतरीन आम माना जाता है। हालांकि देश के दूसरे राज्यों को लोग इससे सहमत नहीं हो
सकते। गुजराती केशर को
सबसे सुस्वादु आम मानते हैं। बनारसी लंगड़ा के आगे किसी को नहीं रखते। लखनऊ के लोग
मलिहाबाद की दशहरी को देश का राजा मानते हैं। बिहार पहुंचे तो सफेद मालदह का जवाब
नहीं।
सबसे पहले बात हापुस की करें
तो, हापूस (अंग्रेजी में ALPHANSO अलफांसो) , मराठी में हापुस, गुजराती में हाफुस
और कन्नड़ में आपूस कहा जाता है। यह आम की एक किस्म है जिसे मिठास, सुगंध और स्वाद के मामले
में अक्सर आमों की सबसे अच्छी किस्मों में से एक माना जाता है।
यूरोपीय भाषाओं में
इसका नाम अलफांसो, अफोंसो दि अल्बूकर्क (पुर्तगाली में AFONSO DE ALBUQUERQUE) के सम्मान में रखा गया
है। वैसे हापुस कर्नाटक में भी होता है, पर महाराष्ट्र के
कोंकड़ क्षेत्र के हापुस का जवाब नहीं।

हर साल मार्च के
महीने में रत्नागिरी के राजा हापुस आम की आवक शुरू हो जाती है। मुंबई और आसपास के बाजारों में शुरुआत में
इसके दाम 500-600 रुपए दर्जन तक रहते हैं।
यानी एक आम 50 रुपये का। साल 2014 में महंगाई के कारण हापुस आम, आमजन के पहुंच से बाहर रहा। पर हापुस
के स्वाद के दीवाने बड़े बड़े लोग हैं। बालीवुड से लेकर विदेशी बाजारों में इसकी धमक है। लम्बे समय तक विदेश में रहने वाली बॉलीवुड
में वापसी करने वाली अभिनेत्री माधुरी दीक्षित को आम बेहद पसंद हैं और उन्होंने
विदेश में रहने के दौरान स्थानीय आम हापुस की काफी कमी महसूस की। एक बार माधुरी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा, मुम्बई में आम का मौसम चल
रहा है। भूल गई थी कि हापूस आम कितना अच्छा है। अलफासों बड़े बड़े शापिंग मॉल और फलों के विशिष्ट बाजारों में अपनी जगह बनाकर अपनी किस्मत पर इठलाता है।
यूपी का
लंगड़ा, दशहरी और चौसा
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बनारस का लंगड़ा आम। |
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बिहार का सफेद मालदह आम। |
बिहार के भागलपुर के सफेद मालदह आम की जबरदस्त मांग रहती है। मालदह आम कोलकाता सहित देश के अन्य स्थानों के बाजारों में बिकने जाता है। वहीं पटना के पास दीघा का दूधिया मालदह आम अपने स्वाद के लिए जाना जाता है। अमेरिका, इजिप्ट, अरब, इंडोनेशिया, जापान सहित करीब सभी पड़ोसी देशों में सफेद मालदह आम की मांग रहती थी। पतला छिलका, काफी पतली गुठली और बिना रेशे वाले गुदे के कारण यह हर किसी के दिलों पर राज करता है। पर अब दीघा क्षेत्र में आम के बगीचे कम हो गए हैं।
हर आम की अपनी मिठास है। पर उत्तर बिहार में एक आम होता है सीपिया उसका स्वाद बाकी सबसे अलग होता है। पकने पर पीले रंग का। छिलका बिलकुल पतला। गुठला कम गुदा ज्यादा । मिठास में अनूठा। ये है सीपिया की खासियत। इस लोग चूड़ा या मकई की रोटी के साथ भी खाते हैं। बिहार के वैशाली जिले में एक कहावत है- मकई के रोटी , सीपिया आम…बुढिया मर गई जय सीताराम।
भारतीय आम की
विदेशों में खूब मांग है। दशहरी, चौसा और लंगडा के बल पर उत्तर
प्रदेश देश का सबसे बड़ा आम उत्पादक राज्य है।
यूपी के
सहारनपुर अमरोहा के आसपास चौसा आम के बाग हैं। कुछ लोग चौसा को दशहरी से अव्वल आम मानते हैं। यह बाजार में दशहरी से महंगा भी बिकता है। आकार में दशहरी से बड़ा और हरे रंग के छिलके वाला आम है चौसा। यह देर से आने वाला आम है, इसलिए जुलाई महीने तक मिलता रहता है। चौसा आम का निर्यात दुबई और सउदी
अरब देशों को होता है। यूपी के सहारनपुर शहर के आसपास भी चौसा आम के बडे बडे बाग हैं।
आम पर शहर अमरोहा - यूपी के अमरोहा शहर का नाम ही आम के नाम पर पड़ा है। संस्कृत में
आम्र वनम का जिक्र आता है। यहां आज भी आम के बड़े-बड़े बाग हैं। देश-दुनिया में
अमरोहा आम के नाम से ही पहचाना जाता है। और हां, फिल्मकार कमाल अमरोही इसी अमरोहा के रहने वाले थे।
मलिहाबाद के दशहरी की अलग पहचान
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पास एक छोटा सा कस्बा है मलिहाबाद। यह अपनी मलिहाबादी दशहरी आम के लिए प्रसिद्ध है। हालांकि दशहरी लंगड़ा, चौसा या मालदह की तुलना में आकार में छोटा होता है। यह अपेक्षाकृत सस्ता भी बिकता है। पर दशहरी के बड़ी संख्या में दीवाने हैं। कुछ लोगों को दशहरी के सामने सारे आम फीके लगते हैं। आमतौर पर दशहरी मई महीेने में बाजार में दस्तक दे देता है।
साल 2010 में मलिहाबाद के दशहरी आम को पेटेंट का दर्जा मिला। मतलब इसका ज्योग्राफिकल इंडेक्स बन चुका है। ठीक उसी तरह जैसे महाबलेश्वर की स्ट्राबेरी का। उसके बाद इसकी मांग भी विदेशों में बढ़ गई।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पास एक छोटा सा कस्बा है मलिहाबाद। यह अपनी मलिहाबादी दशहरी आम के लिए प्रसिद्ध है। हालांकि दशहरी लंगड़ा, चौसा या मालदह की तुलना में आकार में छोटा होता है। यह अपेक्षाकृत सस्ता भी बिकता है। पर दशहरी के बड़ी संख्या में दीवाने हैं। कुछ लोगों को दशहरी के सामने सारे आम फीके लगते हैं। आमतौर पर दशहरी मई महीेने में बाजार में दस्तक दे देता है।
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उत्तर प्रदेश के मलीहाबाद का दशहरी। |
बागपत का 'रटौल' आम
रटौल के आम की बदौलत दिल्ली की सीमा से लगे यूपी के बागपत जिले की पहचान देश के साथ विदेशों
में भी है। रटौल से हर साल लाखों टन आम का निर्यात देश विदेशों में किया जाता है।
खेकड़ा तहसील का रटौल गांव आम के लिए विश्व विख्यात है। यहां कभी मुंबई, दशहरी, जुलाई वाला, चौसा, लंगड़ा, तोता परी, कच्चा
मीठा, रामकेला, आदि आम की
लगभग साढे पांच सौ प्रजातियां होती थीं। जो अब सिमट कर आधे से भी कम रह गई
हैं। यहां का रटौल प्रजाति का आम तो अपने लजीज स्वाद व सुगंध के लिए विश्व विख्यात
है।
पाकिस्तान का सिंदड़ी
पाकिस्तान के सिंध प्रांत
में पैदा होने वाले सिंदड़ी ( SINDHARI ) आम भी लोकप्रिय है। सिंध के कस्बे सेवण शरीफ में होने
वाले सिंदड़ी आम का स्वाद काफी कुछ दशहरी जैसा होता है। बस
इसका रंग थोड़ी सी ललाई लिए हुए होता है। दमादम मस्त कलंदर वाले गीत में सिंदड़ी
दा सेवण दा का नाम आता है। हालांकि वह नाम सूफी संतों के लिए है। पर वहां का आम भी
हमेशा से लोकप्रिय है। पाकिस्तान का यह आम भी अंतराष्ट्रीय बाजार में अपनी जगह
बनाता है। खास तौर पर खाड़ी देशों में सिंदड़ी आम की मांग रहती है।
अलफांसो या हापुस – महाराष्ट्र
केशर – गुजरात
चौसा – यूपी
दशहरी - यूपी
लंगडा - यूपी
सफेद मालदह – बिहार,
बंगाल
नया शोध - आम है सुपर फ्रूट
अभी तक हम लोकप्रिय फल आम
को फलों का राजा कह देते थे पर एक नए शोध के मुताबिक यह कोई आम फल नहीं बल्कि सुपर
फ्रुट है। एक नए शोध में आम के खास फायदों का पता चला है।
आम में कैंसर रोधी गुण
होते हैं। यह मोटापा घटाने में सहायक है। जो लोग ऐसा भोजन करते हैं जिससे मोटापा
बढ़ता है उन्हें आम खाने से वजन कम करने में लाभ मिलता है। शोध के मुताबिक आम फैट
सेल्स को कम करता है। साथ ही स्तन कैंसर के ट्यूमर को भी कम करने में सहायक पाया
गया है। सैन डियागो में इस साल एक्सपेरिमेंटल बायोलोजी कान्फ्रेंस में पढ़े गए शोध
पत्र के मुताबिक आम आंत संबंधी रोग में भी लाभकारी है। हालांकि शोधकर्ताओं ने कहा
है कि अभी मनुष्यों को लेकर इस मामले में और शोध किए जाने की जरूरत है।
अगर हम 400 ग्राम आम प्रतिदिन खाते हैं अगले 10 दिनों
में इसके काफी सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं। इससे पहले आम पर हुए एक शोध
में पाया गया था कि भरपूर मिठास से भरा ये फल रक्त में शर्करा के स्तर को भी कम
करता है। यानी आप डायबिटिक भी हैं तो बेतकल्लुफ होकर आम खाइए।
ये हैं आम खाने के फायदे
- कई
तरह के कैंसर का खतरा कम होता है
- मोटापा
घटाने में सहायक है
- उत्तेजना
को कम करता है
- सेहत
को बेहतर करने वाले तत्वों से भरपूर है
- शरीर
में उपापचय गतिविधियों को बढ़ाता है
- शरीर
में ब्लड शुगर की मात्रा को कम करता है।
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com -
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