औरंगाबाद में सुबह सुबह हमलोग
निकल पड़े हैं एलोर की गुफाओं की ओर। औरंगाबाद शहर से एलोरा की दूरी ज्यादा नहीं
है। औरंगाबाद शहर से 30 किलोमीटर आगे मनमाड मार्ग पर
वेरुल गांव में स्थित हैं ऐलोरा की गुफाएं।
अगर आप देश का इतिहास,
विरासत, संस्कृति से साक्षात्कार करना चाहते
हों तो ऐलोरा से अच्छी कोई जगह नहीं हो सकती। यहां एक साथ हिंदू, बौद्ध और जैन संस्कृति की समृद्ध परंपरा का दीदार किया जा सकता है। ये
गुफाएं अदभुत और अकल्पनीय हैं।
सातवीं से नौंवी सदी में हुआ निर्माण - एलोरा की ये गुफाएं सातवीं से नौवीं सदी के बीच बनी हैं। एलोरा में कुल 100 के करीब गुफाएं हैं, जिनमें से 34 गुफाएं ही सुप्रसिद्ध हैं। इन गुफाओं में से 1 से 12 गुफाएं बौद्ध धर्म से संबंधित है, 13 से 19 गुफाएं ब्राह्मण धर्म से जुड़ी हैं। वहीं 30 से 34 गुफाएं जैन धर्म से संबंधित हैं।
पहला यात्री अल मसूदी - दसवीं सदी ईसवी के अरब भूगोलवेत्ता, अल-मसूदी
को ऐलोरा का सर्वप्रथम आगन्तुक माना जाता है। 19वीं सदी के
दौरान इन गुफाओं पर इन्दौर के होल्करों का नियंत्रण हो गया था जिन्होंने पूजा
के अधिकार के लिए इनकी नीलामी की तथा धार्मिक और प्रवेश शुल्क के लिए इन्हें
पट्टे पर दे दिया। होल्करों के बाद, इनका नियंत्रण
हैदराबाद के निजाम को अंतरित कर दिया गया। बाद में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के
मार्गदर्शन में एलोरा की गुफाओं का व्यापक मरम्मत एवं रखरखाव
करवाया।
एलोरा को कैसे देखें – यदि आपके के पास तीन से चार घण्टे हैं तो गुफा संख्या 10 (विश्वकर्मा गुफा) 16 (कैलाश), 21 (रामेश्वर) एवं 32 तथा 34 (जैन धर्म गुफा समूह) को अवश्य देखें। इन गुफाओं का भ्रमण कर कोई भी व्यक्ति बौद्ध धर्म,ब्राह्मण धर्म एवं जैन धर्म की झलक पा सकता है। यदि सारा दिन समय है तो बौद्ध धर्म की गुफा संख्या 2, 5, 10, एवं 12 को देखें। वहीं ब्राह्मणी समूह गुफा संख्या 14, 15, 16, 21 एवं 29 को देखें। इसी तरह जैन धर्म गुफा संख्या 30 से 34 को देखें।
एलोरा की बौद्ध गुफा में |
एलोरा को कैसे देखें – यदि आपके के पास तीन से चार घण्टे हैं तो गुफा संख्या 10 (विश्वकर्मा गुफा) 16 (कैलाश), 21 (रामेश्वर) एवं 32 तथा 34 (जैन धर्म गुफा समूह) को अवश्य देखें। इन गुफाओं का भ्रमण कर कोई भी व्यक्ति बौद्ध धर्म,ब्राह्मण धर्म एवं जैन धर्म की झलक पा सकता है। यदि सारा दिन समय है तो बौद्ध धर्म की गुफा संख्या 2, 5, 10, एवं 12 को देखें। वहीं ब्राह्मणी समूह गुफा संख्या 14, 15, 16, 21 एवं 29 को देखें। इसी तरह जैन धर्म गुफा संख्या 30 से 34 को देखें।
एलोरा की जैन गुफाएं... |
मुख्य गुफा से एक किलोमीटर आगे जैन गुफाएं - एलोरा की जैन गुफाओं की दूरी मुख्य गुफा
के प्रवेश द्वार से एक किलोमीटर आगे है। खास तौर पर 30 से 34 नंबर की गुफाओं में जैन तीर्थंकरों की मूर्तियां हैं। यदि आप औरंगाबाद से गाड़ी आरक्षित करके आए
हैं तो गाड़ी वाला आपको वहां तक ले जाएगा। अन्यथा आपको पैदल या स्थानीय वाहन से
जाना होगा। एलोरा की बाकी गुफाओं को देख लेने के बाद जैन गुफाओं तक जाने से पहले आप चाहें तो थोड़ा ब्रेक ले सकते हैं। टिकट घर के पास रेस्टोरेंट है जहां नास्ता किया जा सकता है।
प्रवेश शुल्क : एलोरा की गुफाओं में भारतीय नागरिक और सार्क देशों के लोग 10/-रुपये प्रति व्यक्ति है। अन्य देश के नागरिकों
के लिए - 250/- रुपये प्रति व्यक्ति शुल्क है। वहीं 15 साल तक के बच्चे का नि:शुल्क प्रवेश है। कार पार्किग के लिए 20 रुपये देने पड़ते हैं।
हर मंगलवार को बंदी - याद रखें हर मंगलवार को एलोरा की गुफाएं बंद रहती हैं। अपना कार्यक्रम उसी के अनुरूप बनाएं। इसलिए आप मंगलवार को अजंता जा सकते हैं और सोमवार को एलोरा।
एलोरा की जैन गुफा में तीर्थंकर की विशाल मूर्ति |
बारिश में शबाब पर होता है
एलोरा का सौंदर्य -
वैसे तो ऐलोरा की गुफाएं सालों भर देखी जा सकती हैं। पर अगर आप यहां बारिश के दिनों में पहुंचे तो अदभुत हरितिमा के बीच एलोरा का सौंदर्य कई गुना बढ़ जाता है। पास में बहने वाली एलगंगा नदी मानसून के मौसम में अपने पूरे यौवन पर होती है। जब महिषमती के निकट की प्रतिकूल धारा में बैराज के ऊपर से बहने वाला पानी धमाके से गिरने वाले जलप्रताप के रूप में गुफा नंबर 29 के निकट ‘सीता की नहानी’ पर पहुंच जाता है तब का नजारा देखने लायक होता है।
वैसे तो ऐलोरा की गुफाएं सालों भर देखी जा सकती हैं। पर अगर आप यहां बारिश के दिनों में पहुंचे तो अदभुत हरितिमा के बीच एलोरा का सौंदर्य कई गुना बढ़ जाता है। पास में बहने वाली एलगंगा नदी मानसून के मौसम में अपने पूरे यौवन पर होती है। जब महिषमती के निकट की प्रतिकूल धारा में बैराज के ऊपर से बहने वाला पानी धमाके से गिरने वाले जलप्रताप के रूप में गुफा नंबर 29 के निकट ‘सीता की नहानी’ पर पहुंच जाता है तब का नजारा देखने लायक होता है।
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
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