शिव के 12
ज्योतिर्लिंग में से तीन महाराष्ट्र में पड़ते हैं। नासिक के पास त्रयंबकेश्वर, औरंगाबाद के पास घुश्मेश्वर
और पुणे के पास भीमाशंकर। पुणे से भीमाशंकर जाने का रास्ता अत्यंत मनोरम है।
भीमाशंकर के मार्ग में आपको सह्याद्रि क्षेत्र की हरियाली के पग पग पर दर्शन होते हैं। ये महाराष्ट्र के सबसे समृद्ध इलाकों में गिना जाता है। यहां वसुंधरा का सबसे खूबसूरत रूप देखने को मिलता है। मंचर के बाद से तो पहाड़ी रास्ता शुरू हो जाता है। छोटी छोटी नदियां और जंगल आते हैं रास्ते में।
भीमाशंकर मंदिर एक छोटे से गांव में हैं जो तीन तरफ से घने जंगलों से घिरा हुआ है। किसी समय में भीमाशंकर में रात में रुकना संभव नहीं था। पर अब भीमाशंकर में भी आवासीय व्यवस्था बन चुकी है। शाम को देर हो गई तो यहां भी रुका जा सकता है। मंदिर के पास बस स्टैंड, कार पार्किंग, आवासीय होटल आदि का इंतजाम है। भीमाशंकर न सिर्फ आस्था का स्थल है बल्कि मनोरम वातावरण के कारण ट्रैकिंग करने वालों को भी पसंद है। बड़ी संख्या में पक्षी प्रेमी भी यहां पहुंचते हैं।
शिव का
12ज्योतिर्लिंग में भीमाशंकर छठे नंबर पर है। डाकिन्या भीमाशंकर मतलब डमरू वाले
देवता का मंदिर। डमरु वाले तो हैं ही शिव। भीमाशंकर ग्राम पंचायत भोरागिरी, तहसील खेड जिला पुणे में पड़ता है। मंदिर इतनी ऊंचाई
पर है कि यहां से संपूर्ण कोंकण क्षेत्र का नजारा दिखाई देता है। किसी समय में
यहां आना मुश्किल हुआ करता था। जंगली जीव ज्यादा दिखाई देते थे। पर पहाड़ियां वन
औषधियों से भरी हुई हैं। मंदिर परिसर में आपको तमाम तरह की वन औषधियों की दुकानें
मिल जाएंगी।

मंदिर परिसर से भी पहाड़ों का सुंदर नजारा
दिखाई देता है। पेशवाओं के दीवान नाना फडणवीस ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया।
साथ ही मंदिर के पास दो कुंड बनवाए। पुणे के चिमणजी नाइक ने मंदिर के पास एक
सभामंडप का निर्माण कराया। मंदिर परिसर में विष्णु की दशावतार की मूर्तियां भी
देखी जा सकती हैं।
प्रसाद में
पेड़ा - मंदिर परिसर में प्रसाद के रुप में शुद्ध घी में
बना हुआ पेड़ा मिलता है। श्री क्षेत्र भीमाशंकर संस्थान मंदिर की व्यवस्था देखता
है। आप दिए गए दान की रसीद ले सकते हैं। मुख्य मंदिर के प्रवेश द्वार पहुंचने के
बाद आपको मंदिर के गर्भगृह तक जाने के लिए सैकड़ो
सीढ़ियां उतरनी पड़ती है। सालों भर मंदिर परिसर में
श्रद्धालुओं की ज्यादा भीड़ नहीं होती, पर सावन में और
शिवरात्रि के समय भीड़ बढ़ जाती है।
भीमा नदी का उदगम स्थल - भीमा शंकर में ही भीमा नदी का उद्गम स्थल है। कहा जाता है कि शिव युद्ध के बाद थकान मिटाने के लिए शिवजी सहयाद्रि के उस ऊंचे स्थान पर विश्राम करने लगे। तब उस समय उनके शरीर से पानी का प्रवाह निकला जिससे भीमा नदी का उदगम हुआ। मंदिर के बगल में ही भीमा नदी का उदगम स्थल देखा जा सकता है। भीमा नदी कर्नाटक के रायचूर जिले में तेलंगाना जिले की सीमा पर कृष्णा नदी में जाकर मिल जाती है। इस नदी के तट पर पंढरपुर, सोलापुर जैसे शहर आते हैं।
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भीमाशंकर- भीमा नदी का उदगम स्थल। |
कैसे पहुंचें - श्रीक्षेत्र भीमाशंकर की पुणे से दूरी 120 किलोमीटर है। पुणे के शिवाजी नगर बस स्टैंड से भीमाशंकर के लिए बस सेवा है। सुबह में चलने वाली बस 4 घंटे लगाती है भीमाशंकर पहुंचने में। आप सुबह चलकर भीमाशंकर दर्शन करके शाम को पुणे वापस लौट सकते हैं। वैसे भीमाशंकर का निकटवर्ती बड़ा बाजार पुणे नासिक हाईवे पर मंचर है। मंचर में रहने के लिए अच्छे होटल और खाने पीने की सुविधा उपलब्ध है। मंचर से भी भीमाशंकर की दूरी 65 किलोमीटर है। अगर नासिक की तरफ से आ रहे हैं तो मंचर से पहले नारायण गांव से ही भीमाशंकर जा सकते हैं। अगर आप पुणे से अपनी गाड़ी लेकर चलें तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( JYOTIRLINGAM, TEMPLE, SHIVA, BHIMA SHANKAR, PUNE, BHIMA RIVER )
देश में कहां कहां हैं 12
ज्योतिर्लिंग
1. सोमनाथ
( गुजरात)
2. श्री
मल्लिकार्जुन स्वामी ( करनूल, आंध्र प्रदेश)
3. महाकालेश्वर (
उज्जैन, मध्य प्रदेश )
4. ओंकारेश्वर (खंडवा,
मध्य प्रदेश )
5. केदारनाथ (रुद्रप्रयाग,
उत्तराखंड )
6. भीमाशंकर (मंचर,
पुणे, महाराष्ट्र)
7. काशी विश्वनाथ
(वाराणसी, उत्तर प्रदेश)
8. त्र्यंबकेश्वर
(नासिक, महाराष्ट्र)
9. वैद्यनाथ (देवघर,
झारखंड)
10. नागेश्वर (द्वारका,
गुजरात)
11. रामेश्वरम (रामनाथपुरम,
तमिलनाडु)
12. घृष्णेश्वर
मंदिर (औरंगाबाद, महाराष्ट्र)
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