राजगीर अपने ऐतिहासिक कारणों से प्रसिद्ध है। पर बहुत कम लोगों को
ही जानकारी होगी कि राजगीर में सिखों के पहले गुरु गुरुनानक जी ने प्रवास किया था।
यहां उनकी स्मृति में एक गुरुद्वारा भी है। पहले गुरु ने इस ऐतिहासिक स्थल पर 1506
ई. विक्रम संवत में
प्रवास कर इस जगह को धार्मिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण बना दिया। गुरुनानक ने
अपने प्रवास के दौरान गर्म कुंड को अपने यश से शीतल किया जिसे आज हमलोग गुरुनानक
शीतल कुंड के नाम से जानते हैं। गुरुद्वारे में एक कुंड है
जिसके बारे में कहा जाता है कि गुरुनानक देव जी ने धरती पर तीर मारकर यहां से पानी
की धार निकाली थी। बड़ी संख्या में सिख श्रद्धालु भी राजगीर पहुंचते हैं और शीतल
कुंड गुरुद्वारा में मत्था टेकते हैं। राजगीर में गर्म जलकुंड के पास ही स्थित है
गुरुद्वारा शीतल कुंड।

बिहार में सिख
इतिहास से जुडे गुरुद्वारे
- 1. तख्त श्री हरिमंदिर साहिब, गायघाट गुरुद्वारा,
पटना। 2. गुरु का बाग, मालसलामी ( कभी नवाब
करीमबक्श रहीम बक्श का बाग हुआ करता था)
3. कंगन घाट
गुरुद्वारा।
4. बाल लीला गुरुद्वारा, पटना।
- 5. हांडी साहिब, दानापुर ( पंजाब जाने के क्रम में पहली
बार गुरु गोबिंद सिंह जी यहां रुके थे)
- 6. नानकशाही गुरुद्वारा, लालगंज (वैशाली)
- 7 . फतुहा गुरुद्वारा ( गुरुनानक देव जी और कबीर की यहां हुई थी मुलाकात)
8. सासाराम – गुरुद्वारा चाचा फग्गू मल, गुरुद्वारा गुरु का बाग और गुरुद्वारा टकसाली संगत।
- 9. नानकशाही संगत अकबरपुर, रजौली संगत, नवादा
- 10 . बिहार राज्य के भागलपुर, कटिहार, गया
और मुंगेर में भी हैं ऐतिहासिक गुरुद्वारे।
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ReplyDeleteधन्यवाद
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