दादरा नगर हवेली की राजधानी सिलवासा में स्थित है यहां का जनजातीय संग्रहालय।
यह नन्हा सा संग्रहालय सिलवासा के जनजातीय समाज की सुंदर तस्वीर पेश करता है। वहां
की कला संस्कृति से सैलानियों को रूबरू कराता है।
सिलवासा मुख्य
बाजार में ही जनजातीय
संग्रहालय स्थित है। इसमें दादरा नगर हवेली के जनतातियों के बारे में उनके पहनावे
और रहन सहन के बारे में जानकारी ली जा सकती है। यह दो कमरे का छोटा सा संग्रहालय है जो आधे से एक घंटे में घूमा जा सकता है।
लोगों के सजावटी गहने, संगीत वाद्य, मछली पकड़ने और शिकार करने के औजार, खेती तथा घरेलू कार्य की वस्तुएं और अन्य अनेक वस्तुएं रखी गई हैं। जीवन का जनजातीय चित्रण इनके वास्तविक आकार के मॉडल, विवाह की पोशाक और रंग बिरंगे कार्यक्रमों की तस्वीरों द्वारा किया गया है। यह संग्रहालय पर्यटकों के बीच अत्यंत लोकप्रिय है। यहां आपको राज्य के मूल जनजातियों के साथ उनकी संस्कृति की झलक एक ही स्थान पर मिलती है। संग्रहालय की दीवारें भी जनजातीय संस्कृति का सुंदर झलक पेश करती हैं।
आदिवासियों
के त्योहार, काली पूजा और रक्षा बंधन - यहां की प्रमुख जनजातियां ढोडिया
और वर्ली 'दिवसो' त्योहार मनाती हैं। कई जनजातीय त्योहार
हिंदू त्योहारों से भी मिलते जुलते हैं। यहां ढोडिया ऐसी जनजाति है रक्षा बंधन का
त्योहार भी मनाती है।
फसल कटने पर काली पूजा - दादरा नगर हवेली में
रहने वाली वर्ली, कोकना और कोली जनजातियां भावडा त्योहार मनाती हैं। खेतीबाड़ी दादरा नगर हवेली के जनजातीय समाज का मुख्य पेशा है। इसलिए यहां की सभी जातियों के
लोग फसल काटने से पहले ग्राम देवी की पूजा करते हैं तथा फसल काटने के बाद 'काली पूजा' का त्योहार मनाते हैं।
खुलने का समय - हर
सोमवार को यहां का जनजातीय संग्रहालय
बंद रहता है। शहर के उद्यान भी सोमवार को बंद रहते हैं। बाकी दिन कार्यालय अवधि में इसका
दीदार किया जा सकता है।
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
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