
कोसंबा
उमरपाडा नैरो गेज रेलवे लाइन सूरत जिले के दो प्रमुख कस्बों को जोड़ती है। यह गुजरात के आदिवासी इलाके की लाइफलाइन है। कोसांबा
गुजरात के सूरत जिले के मंगरोल कस्बे में आता है। ये शहर नर्मदा नदी के किनारे
स्थित है। इस रेलवे लाइन के समानांतर स्टेट हाईवे नंबर 166
चलता है। कोसंबा उमरपाडा पैसेंजर मोटा मियां मांगरोल कस्बे के पास
किम नदी पर बने पुल को पार करती है। इस मार्ग पर बीच में पड़ने वाला मोटा मियां
मांगरोल बड़ा कस्बा आता है जिसकी कुल आबादी 2 लाख के आसपास है। कोसांबा उमरपाडा रेल मार्ग पर सफर के दौरान गुजरात
के हरे भरे खेत नजर आते हैं। मार्ग में कुछ तीखे मोड़ भी आते हैं। वास्तव में ये
ट्रेन सूरत जिले के एक बड़े हिस्से का आपको दर्शन कराती हुई चलती है। इस ट्रेन को
लोग जंगल क्वीन के नाम से भी पुकारते हैं।
उमरपाडा के पास देवघाट झरना - उमरपाडा सूरत शहर की भीड़भाड़ से दूर एक प्रदूषणमुक्त कस्बा है। उमरपाडा के आसपास वन क्षेत्र है जिसका सौंदर्य मन मोह लेता है। यहां पास में देवघाट में खूबसरत झरना है जिसे देखने आसपास के सैलानी पहुंचते हैं। उमरपाडा से देवघाट की दूरी 10 किलोमीटर है। घने जंगलों के बीच स्थित झरने के उस पार स्थानीय आदिवासियों को मानना है कि उनके देवता का वास होता है। देवघाट में नाइट कैंप का इंतजाम है। पर इसके लिए वन विभाग सूरत से अनुमति लेनी पड़ती है।
मुझे स्टेशन परिसर में पुराना रोलिंग
स्टाक दिखाई देता है। एक पर बीबी एंड सीआईआर द्वारा 1889
में
लंदन में निर्माण की जानकारी दी गई है। इस लाइन के पुराने कोच में अंदर की सीटें
लकड़ी की हुआ करती थीं। स्टेशन पर कुछ पुराने कोच दिखाई देते हैं। इनमें कुछ कोच
ऐसे हैं जिनमें खिड़की की तरफ बेंच नुमा लंबी सीटें लगाई गई हैं जिससे खड़े होने
के लिए ज्यादा यात्रियों को जगह मिल सके। पर अब चलने वाली रेल में सीटों को
अरामदेह बना दिया गया है।
औसत गति 15 किलोमीटर प्रति घंटा - हालांकि इस लाइन पर चलने वाली ट्रेन की औसत गति आजकल 15 किलोमीटर प्रति घंटा के आसपास है। यह ट्रेन 62 किलोमीटर का सफर लगभग 4 घंटे में पूरा करती है। इसलिए इस लाइन को बदल कर ब्राडगेज करने की मांग स्थानीय जन प्रतिनिधि कर रहे हैं।
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INSIDE VIEW OF A NG COACH on KAUSHAMBA UMARPADA LINE |
ब्रॉड गेज में बदलने
की मांग - 16 जुलाई 2014 को नवसारी
लोकसभा से भाजपा के सांसद सीआर पाटिल ने लोकसभा में कोसंबा उमरपाडा नैरो गेज लाइन
को ब्रॉडगेज में बदले जाने का मुद्दा जोर शोर से उठाया। साथ इस लाइन का विस्तार
नानदरबार तक किए जाने की भी मांग की। दरअसल सूरत जिले का ये इलाका आदिवासी बहुल
है। इस पिछड़े हुए इलाके के लिए ये रेलवे लाइन एक लाइफ लाइन की तरह है। इसलिए इसे
ब्रॉड गेज में बदले जाने की मांग की जा रही है। स्थानीय निवासी विजय पटेल कहते हैं
कि यह लाइन सूरत जिले के जनजातीय लोगों के लिए लाइफ लाइन है। इसका रखरखाव बहुत
जरूरी है।
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