शानदार सफर - गोंदिया कटंगी डेमू ट्रेन। |
डेमू डीएमयू ( डीजल मल्टीपल
यूनिट ) का परिष्कृत रूप है। छोटी दूरी में सफर करने वाले लोगों के लिए मेमू और
डेमू ट्रेनें सुविधाजनक और सस्ती और त्वरित यात्रा का विकल्प प्रदान करती हैं। मेमू
डेमू ट्रेनें औसतन 40 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से लोगों को मंजिल तक पहुंचाती
हैं। लिहाजा ये देश के जिन हिस्सों में भी चलती हैं काफी लोकप्रिय हैं। गोंदिया
कटंगी डेमू गोंदिया से बालाघाट का 40 किलोमीटर का सफर 1 घंटे में पूरा करती है और
किराया है 10 रुपये मात्र। वहीं बिलासपुर गेवरा रोड मेमू बिलासपुर से चांपा जंक्शन
का 53 किलोमीटर का सफर महज 1 घंटे 3 मिनट में तय कर लेती है।
मेमू और डेमू के सभी कोच एक दूसरे से
इंटरकनेक्ट होते हैं। इन ट्रेनों में लोकों चालित ट्रेनों की तुलना में कम ईंधन
व्यय होता है। ट्रेनों के दोनों छोर पर पावर कार होने के कारण इंजन बदलने की
आवश्यकता न होने से समय की बचत होती है। लोको पायलट के लिए फ्रंटल व्यू यानी सामने
देखने का प्रबंध का प्रावधान होने से चालन अत्यंत संरक्षित होता है।
क्या है डेमू – डेमू यानी डीजल इलेक्ट्रिक
मल्टीपल यूनिट (DEMU, Diesel-Electric Multiple Unit ) में 1400 हार्स पावर क्षमता वाले दो पावर कार तथा छह ट्रेलर कार लगते
हैं। स्पीड पकड़ने की क्षमता अधिक होती है। यात्रियों की क्षमता पारंपरिक कोचों के 90
की तुलना में 108 होती है। प्रत्येक पावर कार
में भी यात्रियों के बैठने की सुविधा होती है।
अब सीएनडी डेमू भी - 13 जनवरी 2015 को
देश की पहली सीएनजी डेमू ट्रेन हरियाणा राज्य के रेवाड़ी से 13 जनवरी 2015 को रवाना किया गया
जो रोहतक तक चलती है। हरियाणा देश का पहला ऐसा राज्य बन गया जहां सीएनजी डेमू
ट्रेन चलाई गई। कुल 8 डिब्बों वाली 74017 रेवाड़ी-रोहतक डेमू ट्रेन’ को रेलमंत्री सुरेश प्रभु
ने हरी झंडी दिखाकार रवाना किया। यह ट्रेन डीजल और सीएनजी दोनों सिस्टम से लैस है।
डीजल-सीएनजी ट्रेन के लिए रेलवे ने विशेष तौर पर एक 1400 हॉर्सपावर
का इंजन तैयार करवाया। इस ट्रेन में दो पावर कोच और छह कोच लगाए गए हैं, जो चेन्नै स्थित कारखाने में बनाए गए हैं। भारतीय रेलवे में मेमू ट्रेनों का नंबर 6 से आरंभ
होता है जबकि डेमू का 7 से आरंभ होता है।
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