देश आजाद होने के साथ भारतीय
रेल का राष्ट्रीयकरण हो गया। पर कई निजी कंपनियां कुछ नैरो गेज नेटवर्क पर संचालन
करती रहीं। इनमें से ज्यादातर का संचालन 1990 से पहले बंद हो चुका है। पर
महाराष्ट्र में यवतमाल और मूर्तिजापुर के बीच चलने वाली नैरो गेज संभवतः आखिरी
निजी क्षेत्र की नेटवर्क थी जो इक्कीसवीं सदी में भी संचालन संचालन में रही। हालांकि
धीमी गति की ये रेल विदर्भ के लोगों में लोकप्रिय रही।
महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में
यवतमाल से मूर्तिजापुर ( अकोला जिला) के बीच 190 किलोमीटर का नैरो गेज रेल नेटवर्क
हुआ करता था। इस मार्ग पर नैरो गेज की लोकप्रिय शकुंतला एक्सप्रेस का संचालन आरंभ
हुआ। यह रेल मार्ग दो हिस्सों में था। यवतमाल से मूर्तिजापुर 112 किलोमीटर और
मूर्तिजापुर से अचलपुर 76 किलोमीटर। इस ट्रेन का नाम रुमानी था। महाकवि कालिदास की
कृति अभिज्ञान शांकुतलम की नायिका शकुंतला के नाम पर शकुंतला एक्सप्रेस।
रेलवे लाइन का निर्माण -
क्लिक निक्सन कंपनी की स्थापना 1857 में ब्रिटेन में हुई थी। इस कंपनी ने भारत में
अपनी सहयोगी कंपनी का निर्माण किया जिसका नाम रखा सेंट्रल प्राविंस रेलवे कंपनी
यानी सीपीआरसी। इसी कंपनी ने साल 1910 में यवतमाल मूर्तिजापुर के बीच 2 फीट 6 ईंच
यानी 762 एमएम ट्रैक वाली नैरो गेज लाइन का निर्माण आरंभ किया। इस मार्ग पर 1916
से ट्रेन दौड़नी आरंभ हो गई। यवतमाल और मुर्तुजापुर के बीच 17 रेलवे स्टेशन बनाए गए
थे। यह ग्रेट इंडिया पेनिसुलर रेलवे (जीआईपीआर) का हिस्सा था पर इस मार्ग पर ट्रेन
का संचालन सीपीआरसी ही करती थी। अब यह मार्ग सेंट्रल रेलवे से भुसावल मंडल में आता
है। ब्रिटिश काल में ये लाइन मूल रूप से कपास की ढुलाई के लिए बिछाई गई थी। यहां
से कपास ब्रिटेन के मैनेचेस्टर भेजा जाता था। बाद में इस लाइन पर यात्री ट्रेनों
का संचालन शुरू किया गया।
निजी क्षेत्र में ही अनुबंध पर
संचालन - यवतमाल मूर्तिजापुर रेल खंड का
राष्ट्रीयकरण नहीं हुआ। इस लाइन पर ट्रेनों का संचालन भले ही भारतीय रेलवे करने
लगी, पर इसके ट्रैक पर मालिकाना हक कंपनी क्लिक निक्सन का ही रहा। देश आजाद होने
के बाद भी सीपीआरसी के साथ एक अनुबंध के तहत भारतीय रेलवे इस रेल मार्ग का संचालन
करती रही। इसमें 55 फीसदी संचालन की हिस्सेदारी रेलवे को देनी पड़ती है। इस अनुबंध
को हर 10 साल पर आगे के लिए नवीकृत किया जाता है। आजादी के बाद यह अनुबंध छह बार
नवीकृत किया जा चुका है। अनुबंध के तहत इसका संचालन भारतीय रेलवे ही करती है, पर
रेल मार्ग के इस्तेमाल के लिए निजी कंपनी को रायल्टी दी जाती है। भारतीय रेलवे की
ओर से कई बार इस रेलमार्ग के अधिग्रहण का प्रयास किया गया पर तकनीकी कारणों से ऐसा
नहीं हो पा रहा था।
शुरुआत में इस नैरो गेज लाइन
में स्टीम लोकोमोटिव थे। 1921 में ब्रिटेन का बना स्टीम इंजन लंबे समय तक इस मार्ग
पर अपनी सेवाएं देता रहा। 15 अप्रैल 1994 को इस मार्ग पर रेल का संचालन डीजल
लोकोमोटिव से आरंभ हुआ। इस रेलमार्ग पर लगे सिग्नल सिस्टम ब्रिटिशकालीन हैं। इन मेड
इन लिवरपुल 1895 साल का मार्क देखा जा सकता है।
हालांकि आजादी के बाद सीपीआरसी –
क्लिक निक्सन विदेशी कंपनी नहीं रही। उसका मालिकाना हक भारतीय कारोबारी को
स्थानांतरित कर दिया गया। यह बांबे स्टाक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कपंनी है। पर यह
निजी कंपनी इस रेलमार्ग रखरखाव पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रही थी। कई दशक से ट्रैक
मेंनटेंनेंस नहीं किया गया। अनुबंध की शर्तों के तहत सारे बड़े खर्च कंपनी को करने
हैं इसलिए रेलवे भी इसके ट्रैक के रखरखाव पर ध्यान नहीं देता था।
हर साल मानसून में परिचालन बंद –
ट्रैकों की बदहाली के कारण शकुंतला एक्सप्रेस का परिचालन हर साल मानसून में बंद कर
दिया जाता था। जुलाई 2014 में बारिश के दिनों इस नैरो गेज ट्रेन का संचालन रोक
दिया गया। 24 जुलाई 2014 से ये सफर थम गया। पर यह लाइन क्षेत्र की जनता में इतनी
लोकप्रिय थी कि स्थानीय सांसद के नेतृत्व में लोगों ने रेल सेवा फिर शुरू करने की
मांग की। सफर फिर शुरू हुआ। साल 2016 के मानसून में ट्रेन फिर बंद हुई पर फिर इसका
सफर आरंभ हो गया।
दरअसल पिछले 60 सालों से इस
लाइन पर मरम्मत का काम नहीं किया गया था। जेडीएम सीरीज के डीजल लोको की अधिकतम गति
30 किलोमीटर प्रति घंटे रखी जाती है, पर खराब ट्रैक के कारण इस मार्ग पर कई बार तो
20 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से ही ट्रेनें चलाई जाती थीं। भारतीय रेलवे के 150
कर्मचारी इस घाटे के मार्ग को संचालित करने में लगे थे।

मूर्तिजापुर जंक्शन ब्राडगेज
रेलवे का भी स्टेशन है। यह नागपुर- वर्धा-पुलगांव-बडनेरा-मूर्तिजापुर-अकोला-शेगांव-भुसावल
मार्ग का प्रमुख रेलवे स्टेशन है।
2016 में ब्राडगेज बनाने की स्विकृति
-
साल 2016 के रेल बजट में रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने यवतमाल मूर्तिजापुर
लाइन को ब्राड गेज में बदले जाने की स्वकृति प्रदान कर दी। इसके लिए 1500 करोड़
रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है। इलाके के कई संगठन इस निजी कंपनी से इस
रेलवे लाइन को आजाद कराने के लिए आंदोलन भी कर रहे थे। लोगों की मांग थी कि इस
मार्ग को ब्राड गेज में बदला जाए। कुछ लोगों का ये भी तर्क है कि इस मार्ग के
ब्राड गेज में बदले जाने से दिल्ली से चेन्नई के बीच की दूरी 200 किलोमीटर कम हो
सकती है। वैसे यवतमाल मुर्तिजापुर लाइन भी लंबे समय से घाटे में चल रही थी। इसका
संचालन करने वाली कंपनी 2002 से लगातार इस रेलवे लाइन को घाटे में दिखा रही थी।
- विद्युत प्रकाश मौर्य
संदर्भ -
1 https://timesofindia.indiatimes.com/city/nagpur/Shakuntala-Express-A-slow-journey-into-forgotten-time/articleshow/24063042.cms
( 13 oct 2013 )
2 https://www.bhaskar.com/news/MH-PUN-HMU-british-company-still-gets-royalty-for-shakuntala-railway-route-news-hindi-5391482-PHO.html?ref=hf
(9 Aug 2016 )
4 https://economictimes.indiatimes.com/slideshows/infrastructure/shakuntala-railways-indias-only-private-railway-line/british-owned-line/slideshow/55924732.cms
6 https://www.thebetterindia.com/77512/shakuntala-railways-yavatmal-murtazapur-achalpur-maharashtra/
8 http://www.indiatvnews.com/news/india/british-company-still-gets-royalty-for-shakuntala-railway-9881.html
( 15 Aug 2011, PTI )
vidyutp@gmail.com
( SHAKUNTLA EXPRESS, NARROW GAUGE, YAVTMAL, MURTUZAPUR )
( SHAKUNTLA EXPRESS, NARROW GAUGE, YAVTMAL, MURTUZAPUR )
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ReplyDeletevisi here - https://newsup2date.com