बालाघाट। मध्य प्रदेश का एक
सीमांत शहर। सतपुड़ा रेंज के जंगलों से घिरा हुआ यह राज्य का आदिवासी बहुल इलाका
है। बालाघाट ही जिला मुख्यालय है। पर शहर बहुत छोटा सा है। मैं सुबह-सुबह बालाघाट
जंक्शन पर पहुंचा गया हूं। जबलपुर जाने वाली सतपुड़ा नैरो गेज ट्रेन में के चलने
में अभी थोड़ा समय है तो थोड़ी देर बालाघाट के बाजार में घूमने निकल जाता हूं। कोई
चाक-चिक्य नहीं दिखाई दे रहा है बाजार में।

कभी नक्सल प्रभावित था बालाघाट
- कभी बालाघाट
घोर नक्सल प्रभावित इलाका था। बालाघाट की सड़कों पर घूमते हुए लिखिराम कांवरे की
याद आई। मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री रहे कांग्रेस नेता यहां से चुनाव जीतते थे।
दिल्ली में एक बार उनसे मुलाकात हुई थी। सन 1999 में
15-16 दिसंबर की रात
नक्सलियों ने घर में घुसकर उनकी हत्या कर दी थी। बीस साल बाद इस हत्याकांड के सात
आरोपी बरी भी हो गए। बाद में लिखिराम कांवरे की राजनीतिक विरासत को उनकी बेटी हीना कांवरे ने संभाला। वे मध्य प्रदेश विधानसभा की उपाध्यक्ष भी बनीं।
खैर अब कई सालों से बालाघाट शांत हो गया। अब नक्सली वारदात की खबरें नहीं आतीं। पर बालाघाट का विकास ज्यादा नहीं हुआ है। बालाघाट के बाजार में ज्यादातर
दुकानें खाद बीच और कृषि उत्पादों की दिखाई दे रही हैं। ऐसा नजारा किसी भी ग्रामीण
परिवेश वाले नजदीकी बाजार में दिखाई देता है। बालाघाट शहर में अभी तांगा (
टमटम ) तो चलते हुए दिखाई दे रहे हैं। यह अच्छी बात है।
बालाघाट शहर के मुख्य चौराहे पर
एक छोटा सा मंदिर है और उसके पास लगी है चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा। वही
मूंछो पर ताव देते हुए। स्वतंत्रता आंदोलन से जु़ड़े क्रांतिकारियों की प्रतिमाएं
नई पीढ़ी को प्रेरणा देती हैं। वैसे
ये शहर बालाघाट मध्य
प्रदेश की राजधानी भोपाल से काफी दूर है। इसलिए यहां के लोग ज्यादा खरीदारी करनी
हो तो गोंदिया या फिर नागपुर चले जाते हैं। मतलब यहां के लोग खुद को महाराष्ट्र से
ज्यादा जुड़ा हुआ पाते हैं।

खनिज और वन संपदा से भरपूर - बालाघाट जिले के भरवेली एशिया की सबसे बड़ी मैंगनीज खदान हैं। साथ ही भारत सरकार की कंपनी हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड का प्लांट जिले के मलाजखंड नगर पालिका में स्थापित है। जिले का 50 फीसदी हिस्सा वन क्षेत्र है। कान्हा टाइगर रिजर्व या कान्हा राष्ट्रीय उद्यान बालाघाट और मंडला जिले में आता है। बालाघाट फिल्मों की शूटिंग के लिए मुफीद जगह है। पर फिल्मकारों की इस पर कम नजर पड़ी है। साल 2020 में विद्या बालन की फिल्म शेरनी की शूटिंग बालाघाट के जंगलों में की गई।
जबलपुर जाने वाली नैरो गेज ट्रेन का समय होने वाला है। तो अब चलते हैं सतपुड़ा के नैरो गेज के सफर पर।
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( BALAGHAT, KANHA TIGER RESERVE , LIKHI RAM KANWRE )
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