बालाजीपुरम के मंदिर में अनूठी अशोक
वाटिका बनाई गई है। इसके सैर के लिए अलग से टिकट है। करीब आधा किलोमीटर की
पदयात्रा में दोनों तरफ हरे भरे पेड़ और अलग अलग वेष भूषा में मानवों की आकृति
आपका स्वागत करती है। बालू बिछे हुए कच्चे मार्ग पर चलते हुए मार्ग में कई मंदिर
बनाए गए हैं। इन मंदिरों के दर्शन करते हुए आगे बढ़ते जाना बड़ा ही भला लगता है।
बैतूल के आसपास के रहने वाले लोग तो बार बार यहां सैर करने आते हैं। इन मंदिरों के
बीच एक छिपकिली मंदिर और और विशाल मंदिर है जो शिवलिंग के आकार का है। इन मंदिरों
में प्रवेश के लिए फिर अलग से टिकट लगाया गया है। लेकिन अशोक वाटिका के परिक्रमा
मार्ग में वैष्णो देवी का मंदिर मुख्य आकर्षण है। कई मंजिले चढ़ने के बाद मंदिर के
छत से आसपास का मनोरम नजारा दिखाई देता है। खास तौर पर बगल से गुजरता हुआ नागपुर
इटारसी एक्सप्रेस वे।
अशोक वाटिका के आखिरी में भोजनालय है।
यहां ग्रामीण परिवेश का ताजा भोजन वाजिब कीमत पर उपलब्ध है। अगर भूख लगी है तो
पेटपूजा कर लिजिए। वर्ना बालाजी के मंदिर के बगल में लंबी गुफा में घूमने का आनंद
लिजिए। मंदिर परिरस में दो और रेस्टोरेंट हैं जहां इडली डोसा भी उपलब्ध है। बालाजी
मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के रहने के लिए भी इंतजाम है। एसी और नॉन एसी कमरे
यहां उपलब्ध हैं जिसकी अग्रिम बुकिंग कराई जा सकती है। हर साल वसंत पंचमी के आसपास
बालाजीपुरम मंदिर में ब्रह्मोत्सव का आयोजन होता है। दस दिनों तक चलने वाले उत्सव
में भक्ति संगीत का कार्यक्रम होता है।
हवाई सफर का मजा लिजिए - बैतूल के बालाजीपुरम मंदिर के
संस्थापक सैम वर्मा एनआरआई हैं। उन्होंने इंजीनयरिंग की पढ़ाई की थी। बैतूल में
उनका बैतूल टायर नाम से टायर बनाने की फैक्ट्री भी है। सैम वर्मा को हवाई जहाज
उड़ाने का शौक है। उनके पास बैतूल में अपनी एयर स्ट्रिप भी है। वे निजी हवाई
सेवाएं प्रदान करने के कारोबार से भी जुडे हुए हैं। बालाजी मंदिर से कुछ किलोमीटर
आगे उनका निजी हवाई अड्डा बना हुआ है। मंदिर परिसर में भी एक पुराना जेट विमान
लोगों को देखने के लिए प्रदर्शित किया गया है। मंदिर प्रबंधन की ओर से लोगों के
लिए बैतूल शहर के ऊपर हवाई सैर की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा सकती है। अगर आपकी
शौकिया उडऩे की तमन्ना है तो आप ऐसी उडान बुक करा सकते हैं।
बालाजीपुरम का नजारा सुंदर है। पर ये
एक कारपोरेट मंदिर जैसा नजर आता है। इस मंदिर के साथ जन सेवा की भी कुछ गतिविधियां
चलती तो बेहतर होता। मुझे जालंधर का देवी तालाब मंदिर याद आता है जो फ्री और पेड
रेस्टोरेंट का संचालन तो करता ही साथ ही मंदिर एक विशाल चैरिटेबल हास्पीटल का भी
संचालन करता है।
दक्षिण के मंदिरों में भी ऐसा होता है। तिरूपति का बालाजी मंदिर
भी इस तरह के कई प्रकल्प चलाता है। बैतूल के बालाजीपुरम में ऐसा कुछ दिखाई दे तो
अच्छा रहेगा।

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