मध्य प्रदेश का शहर जबलपुर। इसे मध्य
प्रदेश के लोग संस्कार धानी कहते हैं। पर रेलवे स्टेशन के दोनों तरफ मुआयना करने
पर कोई ऐसी बात नजर नहीं आती। रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक की तरफ बाहर
निकलो तो काफी दूर जाकर बाजार है। वहीं प्लेटफार्म नंबर छह के बाहर की सड़क पर
गंदगी का आलम है।
रेलवे स्टेशन के दोनों तरफ शराब की दुकानें और टूटी फूटी सड़के शहर को लेकर प्रथम
दृष्टया प्रभाव को खराब करती हैं। रेलवे स्टेशन दोनों तरफ कोई आवासीय होटल लाज आदि
नहीं है। अगर आपको शहर में रात गुजारनी है तो बस स्टैंड जाना होगा।
बड़ी मुश्किल से प्लेटफार्म नंबर छह की तरफ बाहर आने पर एक होटल विक्रम नजर आया। पर होटल के कमरे बुरी हालत में थे। जो कमरा मुझे मिला उसका दरवाजा तक अंदर से बंद नहीं होता था। पर सुबह-सुबह ट्रेन पकड़नी थी इसलिए मुझे इसी होटल में मजबूरी में ठिकाना बनाना पड़ा। होटल के कमरे का दरवाजा अंदर से बंद नहीं होने की शिकायत की तो रिसेप्शनिस्ट ने कहा कि आप चिंता न करें। खैर मैंने उनकी सलाह मान ली।
बड़ी मुश्किल से प्लेटफार्म नंबर छह की तरफ बाहर आने पर एक होटल विक्रम नजर आया। पर होटल के कमरे बुरी हालत में थे। जो कमरा मुझे मिला उसका दरवाजा तक अंदर से बंद नहीं होता था। पर सुबह-सुबह ट्रेन पकड़नी थी इसलिए मुझे इसी होटल में मजबूरी में ठिकाना बनाना पड़ा। होटल के कमरे का दरवाजा अंदर से बंद नहीं होने की शिकायत की तो रिसेप्शनिस्ट ने कहा कि आप चिंता न करें। खैर मैंने उनकी सलाह मान ली।

जनशताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन प्लेटफार्म नंबर 5 से समय पर
खुल गई है। यह जबलपुर से इटारसी जाने वालों के लिए लोकप्रिय ट्रेन है। ट्रेन के आगे बढ़ने पर उगते हुए सूर्य के दर्शन हुए। नरसिंहपुर के पास
सुहानी सुबह देखने को मिली। सरदी की सुबह का सूरज का सौंदर्य देखते ही बनता था।
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उगता सूरज...नरसिंहपुर मध्य प्रदेश - फोटो - विद्युत |
थोडी देर बाद पिपरिया स्टेशन आया। पिपरिया मध्य प्रदेश
के खूबसूरत हिल स्टेशन पचमढ़ी जाने के लिए सबसे निकट का रेलवे स्टेशन है। यहां से
पचमढी 55 किलोमीटर है। पचमढ़ी मध्य प्रदेश का लोकप्रिय हिल स्टेशन है। वैसे मेरा अभी तक पचमढी जाना नहीं हो सका है।
जन शताब्दी एक्सप्रेस अपनी गति से चलती जा रही है। और ट्रेन ने सही समय पर हमें इटारसी पहुंचा दिया है। इटारसी वह स्टेशन है जहां से मैं अनगिनत बार गुजर चुका हूं। सबसे अच्छा लगता है इस स्टेशन पर मिलने वाला सस्ता और अच्छा खाना। कभी यहां दक्षिण भारत की तरफ जाते हुए मैंने खाई थी 30 पैसे की रोटियां। अभी भी यहां 20 रुपये का खाना मिल जाता है।
इस बार मैं इटारसी स्टेशन से बाहर निकला। सुबह के नास्ता में लिया पोहा और जलेबी। मध्य प्रदेश का सदाबहार नास्ता। 15 रुपये में। वैसे यहां कई जगह 5 रुपये का पोहा भी मिलता है। मुझे लगता है ये देश का सबसे सस्ता और अच्छा नास्ता है।अब मुझे जाना है बैतूल। पर वहां के लिए जाने वाली ट्रेन देर से है। मैंने बेतूल तक का सफर बस से करने की सोची।
जन शताब्दी एक्सप्रेस अपनी गति से चलती जा रही है। और ट्रेन ने सही समय पर हमें इटारसी पहुंचा दिया है। इटारसी वह स्टेशन है जहां से मैं अनगिनत बार गुजर चुका हूं। सबसे अच्छा लगता है इस स्टेशन पर मिलने वाला सस्ता और अच्छा खाना। कभी यहां दक्षिण भारत की तरफ जाते हुए मैंने खाई थी 30 पैसे की रोटियां। अभी भी यहां 20 रुपये का खाना मिल जाता है।
इस बार मैं इटारसी स्टेशन से बाहर निकला। सुबह के नास्ता में लिया पोहा और जलेबी। मध्य प्रदेश का सदाबहार नास्ता। 15 रुपये में। वैसे यहां कई जगह 5 रुपये का पोहा भी मिलता है। मुझे लगता है ये देश का सबसे सस्ता और अच्छा नास्ता है।अब मुझे जाना है बैतूल। पर वहां के लिए जाने वाली ट्रेन देर से है। मैंने बेतूल तक का सफर बस से करने की सोची।
इटारसी रेलवे स्टेशन के बगल
में ही बस स्टैंड है। मध्य प्रदेश में तो सरकारी बसें चलती ही नहीं है। बैतूल के
लिए एक निजी बस जाने को तैयार थी। यह मिनी बस थी। इसमें जगह मिल गई। हालांकि बस में काफी भीड़ थी, पर रास्ते
में लोग उतरते जा रहे थे। यह 90 किलोमीटर का सफर है। रास्ते में कसला, सुखतवा, भौरा, शाहपुर, बरठा,
नीमपानी पाढर जैसे छोटे छोटे कसबे आए। इसके बाद आ गया बैतूल। अब बैतूल की बातें अगले अध्याय में।
( JABALPUR TO ITARSI, JAN SHATABDI EX. )
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