नागपुर से
छिंदवाड़ा की इस ऐतिहासिक नैरो गेज रेलवे लाइन को ब्राडगेज में परिवर्तित करने का
फैसला इक्कीसवीं सदी के पहले दशक में लिया गया। इसमें कुछ रेलवे स्टेशनों का स्थान बदला भी जा रहा है। 2007-08 में इस
लाइन को ब्राडगेज में बदलने का काम शुरू हुआ था।
इसका लक्ष्य
2011 में इसे पूरा कर लेने का था। पर काम धीमी गति से चलता रहा। इससे प्रोजेक्ट की
लागात में भी इजाफा हुआ। इस लाइन पर सौंसर के पास 69वें किलोमीटर पर एक सुरंग का
भी निर्माण किया जा रहा है। इस मार्ग पर भिमालगोंडी और भंडाराकुंड के बीच काफी घने
जंगल और घाटियां हैं।
इसी तरह जबलपुर से बालाघाट तक 177 किलोमीटर के मार्ग को ब्राडगेज में बदलने का काम
जारी है। पर यह काम भी धीमी गति से चल रहा है। साल 2015 तक जबलपुर से नैनपुर रेल
खंड पर शुरुआत के 40 किलोमीटर तक तो ब्राडगेज लाइन बिछाई भी जा चुकी थी।
इस रेल मार्ग में कई जगह पुराने मार्ग में बदलाव किया गया है। जबलपुर
से आगे नर्मदा नदी के तट पर ग्वारीघाट का नया स्टेशन पुराने स्टेशन से एक किलोमीटर
आगे बनाया गया है। इस मार्ग पर ब्राडगेज परिवर्तन के दौरान रेलवे को जमीन अधिग्रहण
और वन विभाग से क्लियरेंस लेने में भी दिक्कते आईं। इन सब कारणों से परियोजना का
समय आगे बढ़ता जा रहा है। इस मार्ग पर ब्राडगेज बनने के बाद जबलपुर और गोंदिया के
बीच पुराने 29 रेलवे स्टेशनों की जगह 31 रेलवे स्टेशन बनाए जा रहे हैं। इनमें निधानी
और गढ़ा दो नए स्टेशन बनाए गए हैं।
-vidyutp@gmail.com
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