मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में सातपुड़ा के घनी और खूबसूरत वादियों बीच 100 साल से ज्यादा समय से लोगों को अपनी सेवाएं दे रहा है एक विशाल नैरो गेज नेटवर्क। इस नेटवर्क में नागपुर, छिंदवाड़ा, जबलपुर, बालाघाट, मंडला, सिवनी जैसे मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के इलाके आते हैं। याद आती है भवानी प्रसाद मिश्र की कविता – सतपुड़ा के घने जंगल...नींद में डूबे हुए से उंघते अनमने जंगल। इन जंगलों को निकट से देखना और महसूस करना हो तो सतपुड़ा नैरो गेज के सफर पर चलिए।
कभी नागपुर के आसपास 1000 किलोमीटर का नैरोगेज नेटवर्क हुआ करता था।
कोयले से चलने वाले नन्हें लोको (इंजन) हर रोज एक पैसेंजर ट्रेन को औसतन 225
किलोमीटर तक खींचते थे। एक ट्रेन में औसतन 400 लोग सफर करते थे। साथ ही इस नैरोगेज
नेटवर्क पर बड़ी मात्रा में माल ढुलाई भी होती थी। एक व्यस्त ट्रेन हर रोज 2000 टन
तक कोयले की ढुलाई करती थी।
पहले छिंदवाड़ा से परसिया जंक्शन ( 22 मील) तक भी नैरो गेज लाइन हुआ करती
है। पर 1996 में छिंदवाड़ा से परसिया लाइन ब्राडगेज में बदला जा चुका है। इसी तरह
राइस सिटी ( धान का शहर) के नाम से मशहूर गोंदिया जंक्शन भी पहले नैरोगेज का बड़ा
जंक्शन हुआ करता था। पर गोंदिया से नागभीर होते हुए चंदा फोर्ट तक की नैरोगेज लाइन
ब्राडगेज में बदली जा चुकी है। वहीं गोंदिया से बालाघाट भी ब्राडगेज में बदला चुका
है। इसलिए अब गोंदिया जंक्शन ब्राडगेज का बड़ा जंक्शन बन चुका है।
सतपुड़ा रेंज की कई नैरो गेज रेलवे लाइनों को ब्राड गेज में बदले जाने की
प्रक्रिया जारी है। बालाघाट और नैनपुर के बीच घने वन क्षेत्र में परिवहन में आने
वाली मुश्किलों और जमीन अधिग्रहण संबंधी दिक्कतों के कारण आमान परिवर्तन में देरी
हो रही है। पर जब इस लाइन का निर्माण किया गया थो तो काम बहुत की तेज गति से हुआ
था। नागपुर से छिंदवाड़ा (147 किलोमीटर), जबलपुर से नैनपुर ( 110 किमी),
छिंदवाड़ा से बालाघाट वाया नैनपुर ( 217 किमी) और नैनपुर मंडला फोर्ट ( 30 किमी)
लाइनों का आमान परिवर्तन कई सालों से प्रक्रिया में है।
( SATPURA NARROW GAUGE, BALAGHAT, JABALPUR, NAINPUR JN - 1)
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