महाराष्ट्र के विदर्भ
क्षेत्र में एक नैरो गेज लाइन संचालन में है। विदर्भ के सबसे बड़े शहर नागपुर से
चंद्रपुर जिले के शहर नागभीड को यह लाइन जोड़ती है। कुल 109 किलोमीटर लंबे इस
मार्ग पर 19 रेलवे स्टेशन हैं। ये महाराष्ट्र की सबसे लंबी नैरो गेज रेलवे लाइन है
जो 1908 से संचालन में है।
रेलमार्ग का निर्माण - नागपुर नागभीड नैरोगेज रेल खंड को 1904 में
निर्माण की स्वीकृति मिली। इस पर काम 1905 में आरंभ हुआ। इस
खंड को 9 नवंबर 1908 को ट्रैफिक संचालन
के लिए खोल दिया गया।नागभीड से चंदा फोर्ट मार्ग पर काम फंड की कमी के कारण देरी
से आरंभ हुआ। पर यह मार्ग भी 1 अप्रैल 1913 को आरंभ हो गया। अब नागभीड से चंदाफोर्ट (बल्लारशाह) तक का मार्ग
ब्राडगेज हो चुका है। गोंदिया चंदाफोर्ट वाया नागभीड के 240
किलोमीटर मार्ग का 1992 में ब्राडगेज में बदलने की प्रक्रिया
शुरू की गई। 13 जनवरी 1999 को ये मार्ग
पूरी तरह ब्राडगेज मे बदला जा चुका था। 2 जुलाई 1999 को चंदाफोर्ट से बल्लारशाह के 10 किलोमीटर मार्ग को
भी ब्राडगेज में बदल दिया गया।
नागभीड ब्राड गेज लाइन से
गोंदिया जंक्शन और बल्लारशाह जंक्शन से जुड़ा हुआ है। गोंदिया से नागभीड़ की दूरी 131
किलोमीटर है। वही नागभीड से बल्लारशाह की दूरी 120 किलोमीटर
है। नागभीड से नागपुर नैरोगेज लाइन के ब्राडगेज बन जान के बाद बाद नागभीड के बड़े
जंक्शन में तब्दील हो जाएगा।
नागपुर नागभीड मार्ग के स्टेशन – इतवारी जंक्शन (नागपुर ),
भांडेवाडी, दिघोरी बुजुर्ग, केंपलसाड, तितुर, माहुली, कुही, मोहदारा,
बामहानी, उमरेद, कारगांव हाल्ट,भिवापुर, भुवार, तेंपा, मांगली, कोटगांव, नागभीड
जंक्शन।
नागपुर-नागभीड नैरो गेज
लाइन सबसे ज्यादा उपेक्षा का शिकार है। साल 2015 के बाद इस नैरो गेज लाइन का
संचालन नागपुर की बजाए नागपुर शहर के इतवारी जंक्शन से कर दिया गया। अब यह लाइन
कुल 105 किलोमीटर की है।
इस मार्ग पर सुबह 6.10 में इतवारी जंक्शन से चलने वाली 58843 नागपुर नागभीड पैसेंजर सुबह 10.35 बजे
नागभीड पहुंच जाती है। इसी तरह नागभीड से सुबह 6.15 में 58844 पैसेंजर नागपुर की ओर के लिए
चलती है। दोनों स्टेशनों के बीच चार जोड़ी रेलगाड़ियां रोज चलाई जाती हैं।
पर रेलवे के लिए ये घाटे का रेलवे नेटवर्क है। इसके आमान परिवर्तन की
मांग इलाके लोग लंबे समय से करते आए हैं। नागभीड महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में आता है।
इलाके के लोग कई बार इस रेल मार्ग को भी बड़ी लाइन में बदलने की मांग कर चुके हैं।
पर योजना आयोग ने इस पर कभी ध्यान ही नहीं दिया। हालांकि गोंदिया से नागभीड मार्ग
के ब्राडगेज हो जाने के कारण नागभीड बड़ी लाइन पर आ चुका है, पर
नागभीड से नागपुर की नैरो गेज लाइन उपेक्षित पड़ी है।
नागपुर में नैरो गेज रेल म्युजियम – साल 2002 में 14 दिसंबर को तत्कालीन रेलमंत्री नीतीश कुमार ने नागपुर में नैरोगेज के रेल म्युजियम का उदघाटन किया। यहां बंगाल नागपुर रेलवे द्वारा निर्मित कई नैरोगेज रेलगाड़ियों का इतिहास देखा जा सकता है। नागपुर के मोतीबाग में स्थित इस संग्रहालय में 3 अप्रैल 2005 को यहां पर टॉय ट्रेन का संचालन शुरू किया गया। साउथ इस्ट सेंट्रल रेलवे का यह प्रमुख संग्रहालय है जो नागपुर डिविजन के तहत आता है।
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नागपुर - मोतीबाग नैरोगेज रेल म्युजियम का टिकट घर। |
साल 2011 के रेल बजट के दौरान तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी ने जिन 190 परियोजनाओं को 12वीं पंच वर्षीय योजना में शुरू करने की बात कही थी उसमें नागपुर नागभीड लाइन का भी नाम था। पर इस लाइन पर कोई प्रगति नहीं हो सकी। जुलाई 2014 में रेल बजट से पहले गोंदिया भंडारा के भाजपा सांसद नाना पटोले ने नागपुर नागभीड लाइन को ब्राडगेज में बदले जाने की मांग एक बार फिर उठाई थी। पर इस लाइन को तब बड़ी लाइन में बदलने की सूची में शामिल नहीं किया गया।
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विरासत - बीएनआर के नैरोगेज का लोकोमोटिव 677 सीसी |
ब्राड गेज में बदले जाने की उम्मीद - साल 2017 में इस रेल मार्ग
के ब्राडगेज में बदले जाने की उम्मीद जगी। इस मार्ग के आमान परिवर्तन के लिए 708
करोड़ रुपये का बजट बनाया गया। हालांकि 2012-13 में इसका बजट 401करोड़ रुपये का
था। अब इस परियोजना में नीति आयोग की नई नीतियों के मुताबिक इसमें रेल मंत्रालय के
साथ ही राज्य सरकार की भी भागीदारी से योजना बनी। इस मार्ग को केंद्र और राज्य
सरकार 50-50 फीसदी के सहयोग से निर्मित करेंगे।
राज्य सरकार 2018-19 के बजट में इस मार्ग के लिए धन का प्रबंध करने पर सहमत
हुई।
- विद्युत प्रकाश मौर्य (vidyutp@gmail.com )
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