रामेश्वरम के पास धनुष्कोडि का समुद्र। - फोटो - विद्युत |
आज भले ही श्रीलंका जाने के लिए हमें फ्लाइट की सेवा लेनी पड़ती हो पर कभी श्रीलंका जाना बहुत आसान हुआ करता था। चेन्नई से श्रीलंका के लिए ट्रेन और स्टीमर की शानदार कनेक्टिविटी हुआ करती थी।
1964 में तबाह हो गई रेलवे लाइन - चेन्नई के मद्रास
इग्मोर स्टेशन से रामेश्वर द्वीप तक सफर करने के बाद लोगों को धनुष्कोडि जाना
पड़ता था। आजकल रामेश्वरम तक ही रेल जाती है पर 1964 तक धनुष्कोडि तक रेल जाती थी।
पर 18 दिसंबर 1964 को आए विनाशकारी तूफान में सब कुछ तबाह हो गया। 240 किलोमीटर
प्रतिघंटे की रफ्तार से आए तूफान में रामेश्वरम से धनुष्कोडि की रेलवे लाइन तबाह
हो गई। इस तूफान ने श्रीलंका में भी काफी तबाही मची। 115 पैसेंजरों को लेकर जा रही
एक 653 पंबन पैसेंजर ट्रेन भी इस तूफान में यात्रियों समेत समुद्र में समा गई थी।
1964 तक यात्री
धनुष्कोडि रेलवे स्टेशन पर उतरते थे। यहां से श्रीलंका ( तब सिलोन) जाने के लिए
स्टीमर सेवा मिलती थी। सिलोन सरकार ने 1914 में एक मार्च को पोलगावाला से तालाईमनार
(Polgahawela
to Talaimannar ) तक रेलवे लाइन का विस्तार कर दिया था। वहीं भारत के धनुष्कोडि से
तालाईमलार के लिए नियमित स्टीमर सेवा चलाई जाती थी। धनुष्कोडि से तालाईमलार की कुल
दूरी महज 22 मील ( 35 किलोमीटर) ही है।

सफर के लिए स्वास्थ्य जांच जरूरी था –
सिलोन जाने वाले लोगों के लिए स्वास्थ्य जांच अनिवार्य था। पहले और दूसरे क्लास
में सफर करने वाले लोगों की स्वास्थ्य जांच मंडपम ( सिलोन) में मेडिकल आफिसर करता
था, जबकि तीसरे दर्जे में यात्रा करने वालों के स्वास्थ्य जांच मंडपम कैंप में की
जाती थी।
सामानों की जांच –
पहले दर्जे के यात्रियों के सामान की जांच मारादाना में, दूसरे दर्जे के यात्रियों
के सामान की जांच तालाईमनार में और तीसरे दर्जे के लोगों को सामान की जांच मंडपम
शिविर में की जाती थी।
रेलवे टाइम टेबल में
मद्रास ते तालाईमनार की दूरी 493 किलोमीटर बताई गई है। जबकि धनुष्कोडि तक की दूरी
422 किलोमीटर है। मंडपम रेलवे स्टेशन धनुष्कोडि से 20 किलोमीटर पहले आता था।
मद्रास से किराया – 1931 में
मद्रास से तालाईमनार ( सिलोन) का किराया पहले दर्ज में 42 रुपये, दूसरे दर्जे में
25 रुपये और तीसरे दर्जे में महज 9 रुपये 13 पैसे हुआ करता था।
मंडपम कैंप रेलवे
स्टेशन रामेश्वरम ( आजकल आखिरी रेलवे स्टेशन) से 19 किलोमीटर पहले पड़ता है। वहीं
रामनाथपुरम ( जिला मुख्यालय) रेलवे स्टेशन से मंडपम कैंप की दूरी 36 किलोमीटर है। वहीं
मंडपम स्टेशन मंडपम कैंप से दो किलोमीटर पहले ही स्थित है। मंडपम के ठीक बाद
ऐतिहासिक पंबन समुद्री पुल की शुरूआत होती है जो पंबन टापू ( रामेश्वरम) को भारत
भूमि से जोड़ता है।
सिलोन और भारत के
बीच स्टीमर और रेल मार्ग से अंग्रेजी राज में बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक भारत
में रोजगार के लिए आते थे। मंडपम रेलवे स्टेशन स्थित मंडपम कैंप ऐसे श्रमिकों के
लिए ही जाना जाता था।
भारत से श्रीलंका के
बीच तूतीकोरीन से भी स्टीमर सेवा चलती थी। पर यह सेवा धनुष्कोडि की तुलना में लंबी
थी। धनुष्कोडि से सिलोन का सफर महज दो घंटे का था जबकि तूतीकोरीन से कोलंबो का सफर
12 घंटे का था। 150 मील दूरी के लिए हफ्ते में दो दिन ही फेरी सेवा चलाई जाती थी।
हर बुधवार और शनिवार को तूतीकोरीन से फेरी सेवा चलती थी। इसलिए धनुष्कोडि वाली
सेवा ज्यादा लोकप्रिय थी। कई बार धनुष्कोडि तक रेलवे लाइन को फिर से चालू करने की बात उठती है पर इसे अभी तक अंजाम नहीं दिया जा सका है।
- - --- विद्युत प्रकाश मौर्य vidyutp@gmail.com
( SRILANKA, RAIL, MANDAPAM, DAHNUSHKODI, RAMESHWARAM )
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