नदी के उदगम स्थल पर नर्मदा माई और
शिव का सुंदर मंदिर बना है। महान संस्कृत कवि कालिदास के साहित्य में अमरकंटक की सुंदरता
का वर्णन आता है।प्राचीन ग्रंथों
में वर्णित है कि नर्मदा सात कल्पों तक अमर है। प्रलयकाल में शंकर भगवान अपना
तीसरा नेत्र इसी के तट पर खोलते हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव और उनकी पुत्री
नर्मदा यहां निवास करते थे। माना जाता है कि नर्मदा उदगम की उत्पत्ति शिव की
जटाओं से हुई है, इसीलिए शिव को जटाशंकर भी कहा जाता है।
'नमामि देवि नर्मदे' - अमरकंटक में नर्मदा कुंड स्थित मां नर्मदा मां का मुख्य मंदिर सफेद रंग का है। यह कुंड के बिल्कुल बगल में स्थित है। कहा जाता है नर्मदा कुंड का निर्माण आठवीं सदी में आदि शंकराचार्य ( 788- 820ई ) ने करवाया। यहां नर्मदा माई के मंदिर का निर्माण उसके बाद हुआ। आदि शंकराचार्य ने यहां पतालेश्वर मंदिर का निर्माण कराया। 18वीं सदी में यहां यहां नागपुर के भोंसले शासकों ने केशव नारायण मंदिर का निर्माण कराया। नर्मदा मंदिर के बाहर एक हाथी की प्रतिमा स्थापित है। भक्त इसके पांव के अंदर से आरपार जाने की कोशिश करते हैं। कहा जाता है ऐसा करने से पाप कट जाते हैं। यह भी कहा जाता है कि मां नर्मदा का मंदिर रेवा नायक ने बनवाया। नर्मदा कुंड के बीच में रेवा नायक की प्रतिमा स्थापित है। वर्तमान मंदिर का जीर्णोद्धार रीवा के राजा गुलाब सिंह द्वारा 1939 में कराया गया। उन्होंने अपने मुस्लिम कारीगर से उद्गम स्थल, परिसर आदि का सौंदर्यीकरण कराया।
'नमामि देवि नर्मदे' - अमरकंटक में नर्मदा कुंड स्थित मां नर्मदा मां का मुख्य मंदिर सफेद रंग का है। यह कुंड के बिल्कुल बगल में स्थित है। कहा जाता है नर्मदा कुंड का निर्माण आठवीं सदी में आदि शंकराचार्य ( 788- 820ई ) ने करवाया। यहां नर्मदा माई के मंदिर का निर्माण उसके बाद हुआ। आदि शंकराचार्य ने यहां पतालेश्वर मंदिर का निर्माण कराया। 18वीं सदी में यहां यहां नागपुर के भोंसले शासकों ने केशव नारायण मंदिर का निर्माण कराया। नर्मदा मंदिर के बाहर एक हाथी की प्रतिमा स्थापित है। भक्त इसके पांव के अंदर से आरपार जाने की कोशिश करते हैं। कहा जाता है ऐसा करने से पाप कट जाते हैं।
मां नर्मदा का मंदिर सुबह 6 बजे खुलता है। शाम को 7
बजे मंदिर में मां नर्मदा की आरती होती है। अब मंदिर की देखरेख प्रशासन करता है।
दानपात्र का चढ़ावा ट्र्स्ट के पास जाता है। पर पुजारियों के पास दी गई नकद राशि
पूजारी की संपत्ति हो जाती है। नर्मदा कुंड में भक्तों के स्नान की अनुमति नहीं
है। भक्तों के स्नान के लिए मंदिर के बगल मं अलग से कुंड का निर्माण किया गया है। नर्मदा
माई के दर्शन के लिए सालों भर यहां श्रद्धालु पहुंचते हैं।
नर्मदा कुंड के चारों ओर कई मंदिर बने
हुए हैं। इन मंदिरों में नर्मदा और शिव मंदिर,
कार्तिकेय मंदिर,
श्रीराम जानकी मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, गुरू
गोरखनाथ मंदिर, श्री सूर्यनारायण मंदिर, वंगेश्वर महादेव मंदिर, दुर्गा मंदिर, शिव परिवार, सिद्धेश्वर महादेव मंदिर, श्रीराधा कृष्ण मंदिर और ग्यारह रूद्र मंदिर आदि प्रमुख हैं।
- -- विद्युत प्रकाश मौर्य ( MAA NARMADA, AMARKANTAK, RIVER )
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