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मनाली में अपने आवास में अटल जी ( 2002 पीआईबी फोटो) |
मनाली से अटल बिहारी वाजपेयी को खास लगाव था। उन्हें ये हिल स्टेशन काफी पसंद आ गया था। लिहाजा व्यास नदी के दरिया के उस पार भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का स्थायी घर है। प्रिनी के लोग इस बात का गर्व करते हैं कि वे अटल जी के पड़ोसी हैं। जब तक स्वस्थ रहे अटल बिहारी वाजपेयी हर साल यहां छुट्टियां मनाने आते थे। टूरिस्ट गाइड मनाली की सैर करने आने वाले लोगों को शान से वह घर भी दिखाते हैं जिसमें कभी अटल जी छुट्टियों में रहे के लिए आते थे। इस घर से व्यास दरिया का बड़ा ही खूबसूरत नजारा दिखाई देता है। साथ का चित्र साल 2002 का जब छुट्टियों के दौरान अटल जी मनाली में अपने मंत्री मंडल के सहयोगी जार्ज फर्नाडिज से बातें करते हुए दिखाई दे रहे हैं। प्रधानमंत्री रहने के दौरान भी हर साल वाजपेयी मनाली में छुट्टियां मनाने आते थे। वाजपेयी अंतिम बार इस गांव में स्थित घर में जून 2006 में आए थे। उसके बाद से इस घर में कोई नहीं आया। मनाली के इसी आवास में प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने आजतक के पत्रकार दीपक चौरसिया को एक इंटरव्यू दिया था। हालांकि वे मनाली में छुट्टियां बीताने के दौरान निहायत अकेले रहना पसंद करते थे।
उड़ने की तमन्ना भला किसे नहीं होती....
मनाली का एक खूबसूरत हिस्सा है सोलांग वैली। यहां का नजारा कई हिंदी फिल्मों में दिखाया जा चुका है। हर भरी घाटी का लैंडस्केप काफी शानदार दिखाई देता है। इस वैली में काफी लोग पारा ग्लाइडिंग का मजा भी लेते हैं। जब हम सोलांग वैली पहुंचे तो कई पारा ग्लाइडिंग वाले हमारे पीछे पड़ गए। बोला 400 रुपये में आपको उडा देंगे। जब हमने रूचि नहीं दिखाई तो वे थोड़ी रियायत करने को भी तैयार हो गए। एक एजेंट ने कहा, एक बार कोशिश करो, हवा में उडऩे की तमन्ना भला किसकी नहीं होती। मन अंदर के कुलबुला रहा था। पर डर भी था। सामने मदमस्त व्यास दरिया कुलांचे मार रही थी। हमारा ग्लाइडर अगर सीधे दरिया में जाकर गिरा तो। भला हवा के रुख को कौन जानता है। हमें याराना फिल्म की याद आई। इसमें अमिताभ बच्चन के दोस्त अमजद खान एक ग्लाइडर लेकर गांव में आते हैं।
अमिताभ इसमें उड़ते हैं पर थोड़ी देर बाद वे एक पेड़ पर लटके पाए जाते हैं। हमने वही दृश्य याद कर सोलांग वैली में हवा में उडने का इरादा त्याग दिया। पर उस गाइड की लाइने हमेशा याद आती हैं – उड़ने की तमन्ना भला किसे नहीं होती। बाद में सुश्मिता सेन की फिल्म जोर समेत कई फिल्मों की शूटिंग मनाली में हुई।
सोलांग
वैली से दूसरी तरफ मनाली से तीन किलोमीटर की दूरी पर एक इलाका वशिष्ठ है। यहां पर
एक गर्म पानी का झरना है। कहा जाता है यहां के कुंड का पानी सल्फरयुक्त है जिसमें स्नान
करने से कई तरह के चर्म रोग दूर हो जाते हैं। अगर आपको मनाली के सारे होटल भरे हुए
मिलें तो आप वशिष्ट में भी जाकर ठहर सकते हैं।
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मनाली में एचपीडीसी का होटल व्यास। |
मनाली
शहर की भोर अलसाई हुई होती है तो शाम जवां और रंगीन। शाम होते होते मनाली शहर के
मुख्य बाजार में रौनक बढ़ने लगती है। यह शिमला के माल की तरह फैशन स्ट्रीट में
तब्दील हो जाता है। लोग स्ट्रीट फूड का मजा लेते हैं। हनीमून युगल से सड़कें गुलजार
हो जाती हैं। सुर्ख लाल लिपिस्टक में नव यौवनाएं सड़क को रौंदती हुई चलती हैं मानो
सारी कयानात उन्ही की हो। देवदार के घने जंगलों के बीच चारों तरफ यौवन फूट पड़ता हुआ
दिखाई देता है। रोशनी में नहाया शहर हर रोज दीवाली मनाता दिखाई देता है।
हम
घूमते घूमते मनाली पहुंच तो गए थे। पर जुलाई में ठंड इतनी ज्यादो होगी इसका एहसास
नहीं था। लिहाजा शाम गहराने पर हम कांपने लगे। खैर मनाली की सड़कों से लुधियाना के
बने वूलेन स्वेटर की खरीद की गई और खुद को बचाने का इंतजाम किया गया।
- ---- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
(MANALI, HIMACHAL, KULLU, VYAS RIVER, HIDIMBA DEVI )
बहुत रोचक लगा
ReplyDeleteधन्यवाद
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