
उत्तराखंड
की हसीन वादियों में खिलने वाला चमकदार और खूबसूरत बुरांश का फूल सुस्वादु तो होता
ही है, दिल के बीमारी की अचूक दवा भी है। यह अप्रैल और
मई के दौरान खिलता है। बुरांश फूलों की कम से कम 24 विभिन्न किस्में मौजूद हैं।
शिव के शृंगार के लिए प्रयुक्त होने वाला बुरांश उत्तराखंड की सामाजिक सांस्कृतिक
जनजीवन में रचा बसा है।
उत्तराखंड का राज्य वृक्ष - बुरांश को उत्तराखंड का राज्य वृक्ष का गौरव प्राप्त है। 1400 से 3300 मीटर से अधिक ऊंचे स्थानों में
पाये जाने वाले सुन्दर फूलों बुरुंश या बुरांश भी एक है जिसे नेपाली में गुरांस, अंग्रेज़ी में रोडोडेंड्रोन (Rhododendron) और
एज़लीया (Azalea) भी कहते हैं। साल 2006 में नेपाल के
राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह के तौर पर लाली गुरांस को स्थान मिला है। रोडोडैंड्रोन की
इस लाली गुरांस प्रजाति का बॉटैनिकल नाम रोडोडैंड्रोन आर्बोरियम (Rhododendron
Arboreum) है।
बुरांश को आयुर्वेद में महत्वपूर्ण स्थान- प्राचीन काल
से ही बुरांश को आयुर्वेद में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। बुरांश में लाल, सफेद, नीले फूल लगते हैं। लाल फूल औषधीय गुणों से भरपूर हैं।
विटामिन बी कॉम्पलैक्स व खांसी, बुखार जैसी बीमारियों में भी बुरांश का जूस दवा का काम करता है। इस बार
जमकर हुई बर्फबारी व बारिश ने बुरांश के जंगलों में वर्षो पुरानी रौनक लौटा दी है।
पहाड़ी क्षेत्रों के अनुकूल वातावरण में उगने वाला बुरांश की पत्ती, लकड़ी भी बहुउपयोगी है। इसकी पत्तियां जैविक खाद बनाने में उपयोग होती है
जबकि लकड़ियां फर्नीचर बनाने में काम आती है।
उत्तराखंड के रीतिका मधुमक्खी
पालन उद्योग से जुडे अशोक रावत
( 9411712603, 0135-2417287) बुरांश के जूस का निर्माण करते हैं। प्रगति मैदान में सरस मेले में अपना
स्टाल लेकर आए अशोक रावत बताते हैं कि वे स्क्वैश बोतल की तरह बुरांश के जूस तैयार
करते हैं। 90 रुपये की बोतल से 25 ग्लास जूस तैयार किया जा सकता है। उनका पता है – बसंत निवास, बडकोट, डांडी
देहरादून।
- - विद्युत
प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
(BURANSH JUICE, UTTRAKHAND, RHODODENDRON )
वाह मन खुश हो गया बुरांस के बारे में उपयोगी जानकारी पढ़के.. हमारे गावं के जंगल में भी बुरांश के फूल होते हैं ...
ReplyDeleteआभार आपका