( जन्नत में जल प्रलय – 39)
9 सितंबर 2014 – सर्द अंधेरी रात में कुछ जगह जल रहे अलाव थोड़ी
उष्णता प्रदान कर रहे थे। आग से निकल रही रोशनी के साथ हल्की सी जीने की उम्मीद
थी। कई दिन से भूखे प्यासे लोग अलाव के इर्द गिर्द खडे होकर अपनी रामकहानी बयां कर
रहे थे।
हम भी उनकी कहानी मौन रहकर सुन रहे थे। तभी एक जगह से नारेबाजी की आवाजें
आने लगी। रात के 12 बजे थे। एक जगह कई सौ लोग जमा थे। उन्होंने नारा लगाया- साडा
हक्के इत्थे रख। हम अपना हक लेके रहेंगे। इंडियन आर्मी – जिंदाबाद, जम्मू कश्मीर
सरकार – मुर्दाबाद मुर्दाबाद, उमर अब्दुल्ला मुर्दाबाद मुर्दाबाद, जम्मू एंड कश्मीर
सेक्रेटारियट इंप्लाइज यूनियन- जिंदाबाद जिंदाबाद।
अब पता चला कि ये लोग जम्मू
कश्मीर सचिवालय के कर्मचारी थे। वे मांग कर रहे थे कि यहां से हमारी हेलीकाप्टर
लिफ्टिंग पहले होनी चाहिए। वास्तव में सैलाब आने के समय जम्मू कश्मीर की राजधानी
श्रीनगर में थी। सैलाब में जम्मू कश्मीर सचिवालय के तीन हजार कर्मचारी भी फंस गए
है। राजधानी श्रीनगर में आने पर ये लोग होटलों में रहते हैं। सैलाब में सरकार पंगु
हो गई है तो ये लोग भी अपने घर लौटना चाहते हैं।
पर यूनियन नारेबाजी के बीच इनकी मांग है कि हमारी लिफ्टिंग पहले होनी चाहिए। कुछ कर्मचारियों ने बताया कि हम भी सैलानियों की तरह पीड़ित हैं। जम्मू में हमारा परिवार भी इंतजार कर रहा है हमे भी घर जाने का हक है। सारी रात नारेबाजी करने के बाद इन लोगों ने रणनीति बनाई कि सुबह हेलीपैड पर कब्जा कर लेना है। हमारी लिफ्टिंग नहीं हुई तो किसी और की भी लिफ्टिंग नहीं होने देना है। किसी तरह इंतजार करते करते इस रात की सुबह हुई। ये तीसरी रात थी जो हमने जगते हुए गुजारी थी। माधवी और अनादि भी भीड़ में दुबक कर बैठे रहे।
पर यूनियन नारेबाजी के बीच इनकी मांग है कि हमारी लिफ्टिंग पहले होनी चाहिए। कुछ कर्मचारियों ने बताया कि हम भी सैलानियों की तरह पीड़ित हैं। जम्मू में हमारा परिवार भी इंतजार कर रहा है हमे भी घर जाने का हक है। सारी रात नारेबाजी करने के बाद इन लोगों ने रणनीति बनाई कि सुबह हेलीपैड पर कब्जा कर लेना है। हमारी लिफ्टिंग नहीं हुई तो किसी और की भी लिफ्टिंग नहीं होने देना है। किसी तरह इंतजार करते करते इस रात की सुबह हुई। ये तीसरी रात थी जो हमने जगते हुए गुजारी थी। माधवी और अनादि भी भीड़ में दुबक कर बैठे रहे।
10 सितंबर 2014 – हैलीपैड पर सुबह छह बजे सूरज की हल्की हल्की
रोशनी आ गई थी। यह श्रीनगर की एक नई सुबह थी। थोड़ी उम्मीदें थीं...पर सुबह उठकर
ब्रश करने, टायलेट जाने का कोई मतलब नहीं था। न यहां इंतजाम थे न खाने पीने के लिए
कुछ मौजूद था।
नारेबाजी और हैलीपैड पर कब्जा - जैसा तय था वही हुआ। सुबह हेलीपैड पर जम्मू कश्मीर सरकार के सचिवालय के
कर्मचारियों ने कब्जा कर लिया और नारेबाजी शुरू कर दी। वे लोग पीछे हटने को तैयार
नहीं थे। सेना पहले महिलाओं बच्चों और विदेशी नागरिकों को भेजना चाहती थी। पर
कर्मचारी ऐसा होने देने को राजी नहीं थे। सेना का पहला हेलीकाप्टर आया और हंगामा
होता देख लौट गया। नीयत समय पर लिफ्टिंग शुरू ही नहीं हो सकी। सचिवालय कर्मचारियों
को समझाने की कोशिश की गई पर वे नहीं माने। उन्होने नया प्रस्ताव रखा एक समूह
हमारे कर्मचारियों का जाए तो दूसरा समूह सैलानियों का। पर सेना को ये मंजूर नहीं
था। केंद्र सरकार के निर्देश के मुताबिक उनकी प्राथमिकता में विदेशी नागरिक
महिलाएं और बच्चे थे।
और हो गया लाठीचार्ज - पुलिस के पास आखिरी ऊपाय था। बल प्रयोग का
हेलीपैड पर भीषण लाठीचार्ज शुरू हो गया। भगदड़ मच गई। लिफ्टिंग का इंतजार कर रहे
महिलाएं और बच्चे पीछे भागे। कई कर्मचारियों को काफी चोटें आई। पर इस अफरातफरी के
माहौल में दोपहर के 12 बज गए और एक भी
चौपर लोगों को हेलीपैड से लिफ्ट नहीं कर सका। इसके बाद आंदोलनकारियों का भी जोश ठंडा हो गया।
vidyutp@gmail.com
( RAJ BHAWAN SRINAGAR, FLOOD )
जन्नत में जल प्रलय की पहली कड़ी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
( RAJ BHAWAN SRINAGAR, FLOOD )
जन्नत में जल प्रलय की पहली कड़ी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
No comments:
Post a Comment