लंबी पदयात्रा के बाद हमारी टांगे दर्द से कराहने लगी थीं। पर रास्ते और
भीड़ हमारा साथ दे रही थी। चारों तरफ दिलकश हरियाली और पहाड़ियां...पर इनका
सौंदर्य हमें रास नहीं आ रहा था। जब आप भूखे हों तो कुछ अच्छा लगता है
क्या..श्रीनगर का राज्यपाल निवास कई किलोमीटर में फैला हुआ है। राज निवास की सीमा
आरंभ हो चुकी है। मुख्य द्वार से अंदर प्रवेश करने के बाद ज्येष्ठा माता का मंदिर
आता है। यह श्रीनगर के प्राचीन ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है। हमलोग आगे बढ़ते
जाते हैं।
राजभवन के हेलीपैड क्षेत्र में प्रवेश करने के दो रास्ते हैं। एक समान्य
द्वार और दूसरा वीआईपी गेट। वीआईपी गेट से वाहनों का प्रवेश होता है। गेट पर
अनियंत्रित बड़ी भीड़ जमा थी। वहां सुरक्षा में मौजूद एक जवान ने अनादि को एक सेब
दिया। अनादि ने ले लिया। तभी गेट से अंदर से एक वाहन निकलने वाला था। इसके लिए गेट
खोल दिया गया। हमलोग गुलाम रसूल वानी साहब की अगुवाई में गेट से अंदर घुसने की
कोशिश में लग गए। हमें सफलता को मिल गई। पर पीछे से आ रही भीड़ ने तेजी से धक्का
मारा। बहुत सारे लोग एक दूसरे के ऊपर गिरने लगे। मैं अनादि का हाथ जोर से पकड़े
हुए था। पर माधवी भीड़ से आए धक्के से नीचे गिर पड़ी। हमलोग कोशिश करके माधवी को
उठाने लगे। इस दौरान एक फौजी ने मुझे मारने की कोशिश की...मैंने उसे समझाया मैं
अपनी पत्नी को उठाने कोशिश कर रहा हूं। उसने मुझे झिड़की दी..अपनी पत्नी को भी
नहीं संभाल सकता।
राजभवन के हेलीपैड पर, एक और इंतजार... |
पूरा हेलीपैड़ पहाड़ों की तलहटी में बना है। हैंगर के ऊपर एक वीआईपी अतिथि गृह बना है। इसके अलावा सुरक्षा बलों के लिए आवास और हेलीपैड क्षेत्र में एक मंदिर भी है।
शाम गहराने लगी थी। हमें आने वाला वक्त खुले आसमान के नीचे गुजारना था
क्योंकि यहां जो कुछ कमरे थे वे हेलीकाप्टर लिफ्टिंग का इंतजार कर रहे महिलाओं और
बच्चों के लिए ही कम थे। किसी तरह माधवी, अनादि, वानी परिवार की महिलाओं और दिल्ली
की रिचा ने अपने लिए बमुश्किल एक कमरे के बाहर बरामदे में इतनी जगह बनाई जिसमें वे
बैठ सकें।
जम्मू कश्मीर के राज्यपाल का हेलीकाप्टर। |
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