
मुख्य रूप से पेठा आगरा में ही बनाया जाता है। अच्छे पके पेठे
से ही पेठे पेठे की मिठाई बनाई जाती है। पके हुए फ़ल का छिलका सख्त होता है।
वास्तव में पेठा एक पारदर्शी नरम कैंडी है। पेठा बनाने में घी या तेल का प्रयोग
बिलकुल भी नहीं किया जाता। पेठे की मिठाई इतनी अधिक प्रसिद्ध है कि इसे पेठा नाम
से ही पुकारते हैं। पेठा की खास बात है कि इसे एक महीने तक भी कंटेनर में संभाल कर
रखा जा सकता है। किसी जमाने में पेठा मिट्टी के बरतनों में बेचा जाता था पर आज वह
मिठाई के डिब्बे की तरह शानदार पैकिंग में उपलब्ध है।
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आगरा के धौलपुर हाउस स्थित पंक्षी पेठा का स्टोर। |
कभी पेठा आयुर्वेदिक औषिधि के रूप में तैयार किया जाता था।
इसका उपयोग वैद्य लोग अम्ल वित्त, रक्तविकार, वात प्रकोप और जिगर कि बीमारी के लिए करते थे। पेठा फल को
अंग्रेजी में Ash Gourd or
White gourd कहते हैं। पेठा या सफ़ेद कोहड़ा या कोड़ा कद्दू से थोड़ा छोटा
सफेद रंग का फल होता है जिससे इसके कच्चे फल से सब्जी और पके हुए फल से हलवा और
पेठा मिठाई (मुरब्बा) बनाई जाती है।
आगरा के प्रसिद्ध पंछी पेठा की दुकान में आप कई किस्म के पेठा
खरीद सकते हैं। इनमें कांचा पेठा, केसर अंगूरी पेठा, केसर पेठा, ड्राई चेरी पेठा,
लाल पेठा, कोकोनट पेठा, पान पेठा, रसभरी पेठा, सैंडविच पेठा, संतरा पेठा, डोडा पेठा, चाकलेट पेठा, चेरी
मैंगो पेठा जैसे स्वाद का आनंद ले सकते हैं।
पंछी पेठा की स्थापना पंचम लाल गोयल ने 1950 से पहले की थी।
उन्हें पंछी गोयल नाम से जाना जाता है। वैसे तो पेठा बनाने की कोशिश आगरा के
अलावा अन्य शहरों में भी की गई। पर आगरा जैसा स्वाद कहीं नहीं आता। आगरा मे 15
हजार से ज्यादा लोग पेठा बनाने के कारोबार से जुड़े हुए हैं। आगरा के बाजार में
पेठा 60 रुपये किलो से लेकर 400 रुपये किलो तक उपलब्ध है।
- विद्युत प्रकाश मौर्य
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