-
एक होटल में कई दिनों तक फंसे रहे 22 राज्यों के
250 शिल्पी
-
बटमालू नुमाइश ग्राउंड में करोड़ों का माल बाढ़
में बह गया
हिन्दुस्तान के 22 राज्यों के 250 शिल्पी श्रीनगर पहुंचे थे अपने हाथों
के हुनर से बनाई सामग्रियां लेकर। इस खूबसूरत शहर में 10 दिनों तक चलने वाले सरस
मेले में होने वाली बिक्री से लाखों कमाई की उम्मीद थी। पर कश्मीर के कई हिस्सों
में लगातार हो रही बारिश के कारण 4 सितंबर से शुरू होने वाले मेले की तारीख बढाकर
10 सितंबर कर दी गई। कौनाखान रोड के होटल रिट्ज में ठहरे 250 कलाकारों को उम्मीद
थी कि एक हफ्ते बाद ही सही मेला शुरू होगा तो कुछ बिक्री होगी और अच्छी कमाई के
साथ अपने घर को लौटेंगे।
पर बटमालू स्थित नुमाइश ग्राउंड में लगने वाला मेला अब हमेशा के लिए रद्द
हो चुका था। देश भर से आए शिल्पियों का सारा समान पानी में डूब चुका था। बनारस की
साड़ी, चंबा के चुक, हिमाचल के अचार,
मणिपुरी शाल और तमाम राज्यों का नायाब कलाकृतियां बाढ़ की भेंट चढ़ चुकी थीं। कमाई
तो दूर अब तो सिर्फ जान बचाने की पड़ी थी।
संकट की घड़ी में हमारी मुलाकात चंबा की ममता शर्मा से हुई। वे चुक बनाती हैं। यह मिर्च का अचार होता है, जो काफी तीखा होता है। उनका सामान भी मेला ग्राउंड में फंसा हुआ है।
संकट की घड़ी में हमारी मुलाकात चंबा की ममता शर्मा से हुई। वे चुक बनाती हैं। यह मिर्च का अचार होता है, जो काफी तीखा होता है। उनका सामान भी मेला ग्राउंड में फंसा हुआ है।
दिल्ली के विकासपुरी की रहने वाली ऋचा और उनके पिता नए अंदाज और डिजाइन
के सूट लेकर आए थे। पाकिस्तानी स्टाइल के सूट की श्रीनगर में काफी मांग रहती है।
उम्मीद थी काफी बिक्री होगी। पर लाखों माल मेला ग्राउंड में फंस गया। ये पता लगाना
भी मुश्किल था कि माल सुरक्षित है भी या नहीं।
वाराणसी से पीली कोठी के आसपास के मुहल्लों में रहने वाले कई कारीगर
बनारसी साड़ियों का अच्छा खासा स्टाक लेकर चले थे। बनारसी साड़ियां काफी महंगी
होती हैं। पर अब सारी साड़ियां बाढ़ के बीच मेला ग्राउंड में फंस गई हैं। बनारसी
भाई बताते हैं कि दो चार साड़ियां वे अपने साथ लेकर चलते हैं । बाकी का माल
ट्रांसपोर्ट से मंगाते हैं। थोड़ा माल साथ इसलिए लेकर चलते हैं, क्योंकि कई बार
मेला शुरू होने के पहले दिन ट्रांसपोर्ट का माल नहीं पहुंच पाता। तब वे अपने साथ
बैग में रखी साड़ियों को डिस्प्ले कर देते हैं। वही साथ वाली साड़ियां ही बची हैं।
मणिपुर से मणिपुरी नागा समुदाय की कई लड़कियां नागा हैंडीक्राफ्ट लेकर आई
हैं। उनका कुछ माल उनके साथ है। बाकी का माल मेला ग्राउंड में। सबके चेहरे पर अपने
माल को लेकर एक जैसी चिंता की लकीरें हैं। सब मिलाकर करोड़ो का माल बनता है जो अब
सुरक्षित मिल पाएगा या नहीं इसकी चिंता है। ज्यादादर हस्त शिल्पी छोटे कारोबारी
हैं। उनके लिए ये जीवन का बड़ा घाटा है जिसकी भरपाई मुश्किल है।
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
(SARAS MELA, CAPART, FLOOD, KASHMIR )
जन्नत में जल प्रलय की पहली कड़ी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
(SARAS MELA, CAPART, FLOOD, KASHMIR )
जन्नत में जल प्रलय की पहली कड़ी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
No comments:
Post a Comment