( पहियों पर
जिंदगी 34)
25 अक्तूबर 1993 – हमारी सद्भावना रेल
दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू
कश्मीर से जैसे राज्यों के सफर के बाद अब देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में
प्रवेश कर रही है। यूपी का पहला पड़ाव सहानरपुर है। अंबाला से कुछ घंटे में ट्रेन
चल कर सहारनपुर पहुंच गई।
सहारनपुर
में इंद्र पाल सिंह मान, सुधाजी ( सर्जना) आदि लोग स्वागत में मिले। सारा
परिवार व्यवस्था में समर्पित है। ट्रेन में पिछले दिनों हमारे साथ रही सहारनपुर की
सुस्मिता का छोटा भाई अंशु भी स्टेशन पर हमसे मिलने आया। दोपहर में तीन बसें आईं
और सभी रेल यात्रियों को इन बसों में सहारनपुर के पास छोटे से कस्बे सरसांवा ले
जाया गया। यहीं पर दोपहर की रैली और दोपहर के भोजन का इंतजाम था। दोपहर का भोजन एक
स्कूल में था। हमें यहां निहायत ही सादा भोजन मिला, सिर्फ
चावल और दाल। कई लोगों ने इसे यूपी का प्रभाव बताया। पर मुझे लगता है कि आयोजकों
ने शायद हमारी सेहत का ख्याल रखा हो क्योंकि पंजाब, हरियाणा,
जम्मू में हम लगातार सुस्वादु और गरिष्ठ भोजन ले रहे थे। शाम को
होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम में मैं नहीं जा सका।
हमलोग विशाल और
दिलीप के साथ सुस्मिता शर्मा के घर उनके पिता जी से मिलने गए। उनका घर बेहट रोड
इलाके में है। पिता जी गुरुनानक देव विश्वविद्यालय से अवकाश प्राप्त शिक्षाविद
हैं। वे स्पंदन नामक पत्रिका का प्रकाशन भी करते हैं। यहां हमने सुस्मिता की बनाई
की पेंटिंग देखीं। उनके पिताजी से काफी अच्छी वैचारिक वार्ता हुई। सद्भावना रेल
यात्रा पर भी चर्चा हुई। यहां सुस्मिता के मामा जी भी मिले जो लुधियाना में डाक्टर
हैं। अगले दिन सुबह सुस्मिता के पिता जी और मामा जी सद्भावना रेल को देखने रेलवे
स्टेशन पर आए तो कई पुस्तकें उपहार में दीं। हमें बताया गया कि सहारनपुर शहर खास
तौर पर लकड़ी के सामान के निर्माण के लिए जाना जाता है। शहर में काफी भीड़ भाड़
दिखाई दे रही है। चौड़ी सड़के कम हैं।
दोपहर का
भोजन लायंस क्लब मिड टाउन की ओर से दिया गया। आज का खाना बहुत अच्छा था। जर्मनी की
सेंड्रा भी बोल पड़ी - टूडे फूड इज वेरी
गुड। हमने पूछा और कल के बारे में क्या कहोगी। वह बोल पड़ी- ओह वनली राइस
एंड दाल। दोपहर में रेल गाड़ी पर कई हिंदी अखबारों के संवाददाता भी आए जिन्हें
मैंने रेलयात्रा की विशेषताओं से अवगत कराया। कई शहरों में मुझे ये काम करना पड़
रहा है। यानी एक तरह से जन संपर्क अधिकारी यानी पीआरओ की भूमिका में आ जाता हूं।
सहारनपुर से रात को ट्रेन खुल गई अगली मंजिल के लिए।
-vidyutp@gmail.com
( SAHARANPUR, BEHAT, LIFE ON WHEELS, SARSAWAN )
सदभावना रेल यात्रा का वृतांत शुरू से पढ़ने के लिए यहां पर क्लिक करें।
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