
( पहियों पर
जिंदगी 33)
25 अक्तूबर
1993 – हमारी चंडीगढ़, पंजाब और जम्मू
की यात्रा पूरी हो चुकी है। जम्मू कश्मीर में कुछ दिन प्रवास का अनुभव अत्यंत भावुक कर देने वाला रहा है। पर अब आगे की तैयारी है। रात को ट्रेन जम्मू से चल पड़ी। एक बार फिर उन्ही रास्तों यानी
पठानकोट, जालंधर लुधियाना होते हुए सुबह सुबह अंबाला पहुंची।
अंबाला में ट्रेन से विशेष सुरक्षा इंतजाम यानी वायरलेस सिस्टम मोबाइल पुलिस चौकी
आदि सरअंजाम निकाल लिए गए। ये सारा इंतजाम खास तौर पर संवेदनशील राज्य पंजाब के लिए था।
रेल यात्रा
की आगवानी के लिए रेल मंत्री सीके जाफरशरीफ पहले से ही अंबाला रेलवे स्टेशन पर
पहुंचे हुए थे। हमने रेल गाड़ी से बाहर आकर हर सुबह की तरह जागरण गीत गाया।
राष्ट्रीय
युवा योजना के शिविरों और रेल यात्रा के दौरान हर सुबह गाया जाना वाला जागरण गीत
बाल कवि बैरागी का लिखा हुआ है। रेल यात्रा के कई साल बाद एक बार दिल्ली में
बालकवि बैरागी से मेरी मुलाकात हुई। बालकवि बैरागी मध्य
प्रदेश से कई बार लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं। नौजवान आओ रे...गीत के
शब्द ऐसे हैं कि ये गीत गाते ही आलस दूर हो जाता है और नौजवानों में जोश भर जाता
है।
युवा गीत
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सांसद और गीतकार बालकवि बैरागी |
नौजवान आओ रे । नौजवान गाओ रे ।।
लो क़दम बढ़ाओ रे, लो क़दम मिलाओ रे ।।
ऐ वतन के
नौजवान, इक
चमन के बागवान ।
एक साथ बढ़
चलो, मुश्किलों
से लड़ चलो ।
इस महान देश को नया बनाओ रे ।।
नौजवान...
धर्म की दुहाइयां, प्रांत की जुदाइयां ।
भाषा की लड़ाइयां, पाट दो ये खाइयां।
एक मां के लाल, एक निशां उठाओ रे ।।
नौजवान...
एक बनो नेक बनो, ख़ुद की भाग्य रेखा बनो ।
सर्वोदय के तुम हो लाल, तुमसे यह जग निहाल ।
शांति के लिए जहां को तुम जगाओ रे ।।
नौजवान...
मां निहारती तुम्हें, मां पुकारती तुम्हें ।
श्रम के गीत गाते जाओ, हंसते मुस्कराते जाओ ।
कोटि कंठ एकता के गान गाओ रे ।।
नौजवान...
इस महान देश को नया बनाओ रे ।।
नौजवान...
धर्म की दुहाइयां, प्रांत की जुदाइयां ।
भाषा की लड़ाइयां, पाट दो ये खाइयां।
एक मां के लाल, एक निशां उठाओ रे ।।
नौजवान...
एक बनो नेक बनो, ख़ुद की भाग्य रेखा बनो ।
सर्वोदय के तुम हो लाल, तुमसे यह जग निहाल ।
शांति के लिए जहां को तुम जगाओ रे ।।
नौजवान...
मां निहारती तुम्हें, मां पुकारती तुम्हें ।
श्रम के गीत गाते जाओ, हंसते मुस्कराते जाओ ।
कोटि कंठ एकता के गान गाओ रे ।।
नौजवान...
- --- बालकवि बैरागी
गीत खत्म
होने के बाद ये नारा लगता है –
देश की ताकत – नौजवान
देश की
हिम्मत – नौजवान
देश की
किस्मत – नौजवान
नौजवान – जिंदाबाद
जागरण गीत
के बाद अंबाला रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर ही एक छोटा सा कार्यक्रम हुआ। हमें
सुबह के नास्ते के साथ कोल्ड ड्रिंक के बजाए दूध दिया गया। क्योंकि हमने पिछले
दिनों कोल्ड ड्रिंक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। रेल मंत्री सीके जाफरशरीफ रेल
यात्रा के अलग अलग शहरों में शानदार स्वागत की मिल रही रिपोर्ट से काफी खुश हैं।
उन्होंने आगे की यात्रा के लिए बधाई दी। पहियों पर सफर तो आठ महीने का है, अभी तो एक महीना ही गुजरा है।
अंबाला से
अमनजोत, गगनगीत, पुनीत, सुस्मिता जो चंडीगढ़ से आई थीं, यात्रा से विदा होकर
घर को जा रही हैं। उन्हें विदा करते हुए श्योपुर के विशाल और दिलीप के आंसू थमने
का नाम नहीं ले रहे हैं। थोडे दिनों के साथ में अलग-अलग राज्यों से आए लोगों में
खूब आत्मीयता हो जाती है। थोड़ी देर बाद ही ट्रेन अंबाला से चल पड़ी। अब ट्रेन का
उत्तर प्रदेश में प्रवेश हो रहा है।
( JAMMU, AMBALA, SAHARANPUR, UP, LIFE ON WHEELS )
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