उत्तर
प्रदेश के रोहिलखंड इलाके में आने वाले शाहजहांपुर वह शहर है जहां से कई महान
शहीदों की यादें जुड़ी हैं। 1857 की क्रांति से जुड़े रणबांकुरे शहीद अहमद उल्ला
शाह और काकोरी कांड के शहीद अशफाक उल्ला खां का संबंध शाहजहांपुर से है। वहीं अमर
शहीद राम प्रसाद बिस्मिल लंबे समय तक शाहजहांपुर के आर्य समाज मंदिर में रहे।
बिस्मिल क्रांति के शायर थे। हम उनकी फड़कती हुई शायरी आज भी सुनते हैं।
सरफरोशी की
तमन्ना अब हमारे दिल में है....
देखना है जोर
कितना बाजुए कातिल में है....
आजादी के
आंदोलन के तीसरे बड़े शहीद ठाकुर रोशन सिंह भी शाहजहांपुर के निवासी थे।

05 नवंबर 2014 – एक दिन पहले की
थकान और लंबी साइकिल यात्रा के बाद शाहजहांपुर में आज के सारे कार्यक्रम स्थगित कर
दिए गए हैं। रेल यात्रा की सदभावना साइकिल रैली का कार्यक्रम एक दिन का इतना ही रखा जाता
है जिससे कि यात्री अगले दिन भी साइकिल चलाने लायक रहें। इसके लिए आदर्श तौर पर 12
से 15 किलोमीटर साइकिल यात्रा का कार्यक्रम रखा जाता है। दो तरफ की यात्रा लेकर ये
दूरी 25 किलोमीटर तक हो जाती है। फिर हर राज्य के लोगों को साइकिल चलाने का
स्टेमिना अलग अलग होता है। वैसे तो रेल यात्री के तौर पर उन्हीं लोगों को बुलाया
जा रहा है जो युवा हों और साइकिल चला पाने में समर्थ हों। अगर कोई रास्ते में
साइकिल चलाते हुए थक जाता है, तो परेशानी बढ़
जाती है। दूसरे सहयात्री उसकी मदद करते हैं।
कई बार यात्रा के दौरान साइकिलें पंक्चर हो जाती हैं।
कई बार उनकी चेन उतर जाती है। हालांकि हर रोज सुबह साइकिल यात्रा पर निकलने से
पहले अपनी अपनी साइकिलों की सभी यात्री जांच पड़ताल जरूर करते हैं। हमारे
स्वंयसेवकों में से ही कुछ लोगो साइकिलों की मरम्मत का भी काम कर लेते हैं। वहीं
हवा भरने के लिए पंप भी हमारे साथ होता है। ये 200 साइकिलें ट्रेन के आगे और पीछे
स्थित अलग अलग दो ब्रेक वैन में लाद दी जाती हैं। हर स्टेशन पर उन्हें बाहर निकाला
जाता है। हम बात शाहजहांपुर की कर रहे थे, यहां पर एक दिन पहले साइकिलों चलाने में दूरी की सारी सीमाएं टूट गईं।
लिहाजा सभी यात्रियों को एक दिन का आराम दिया जाना जरूरी था।

संयोग से शाहजहांपुर रेलवे स्टेशन पर यात्रा का दो दिनों का पड़ाव था, इसलिए 5 नवंबर का दिन आराम के लिए मुकर्रर किया जा सका। नास्ते के बाद सुबह 10 बजे रेल यात्रियों की बैठक रेलवे प्लेटफार्म पर ही हुई। इस दौरान हर राज्य से आए यात्रियों ने सदभावना पर अपने विचार साझा किए। बाकी का पूरा दिन आराम करने साइकिलों को दुरुस्त करने में गुजारा। रात को ट्रेन चल पड़ी है यूपी के मैनेचेस्टर कहे जाने वाले शहर की ओर।
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( SHAHJAHANPUR, UP, VINOBA SEVA ASHRAM, LIFE ON WHEELS )
सदभावना रेल यात्रा का वृतांत शुरू से पढ़ने के लिए यहां पर क्लिक करें।
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