( पहियों पर जिंदगी 43) - 4 नवंबर 1993 – सुबह हमारी ट्रेन शाहजहांपुर में रुकी है। बरेली और शाहजहांपुर के बीच रामपुर नामक महत्वपूर्ण पड़ाव आता है। पर रामपुर में ट्रेन का ठहराव नहीं है। हालांकि रामपुर में हमारी संस्था राष्ट्रीय युवा योजना का बड़ा नेटवर्क है। वे लोग चाहते थे कि ट्रेन रामपुर में भी रुके। पर सदभावना स्पेशल के ठहराव और शेड्यूल पहले से तय हैं। कोई भी बदलाव के लिए कई दिन पहले रेलवे बोर्ड को लिखना पड़ता है फिर वहां से स्वीकृति आती है। इसलिए ट्रेन रामपुर में बिना रूके आगे बढ़ गई। यहां रेल यात्रियों के स्वागत में कई संस्थाओं के लोग आए।
शाहजहांपुर
में संजय कुमार जैन हमारे व्यवस्थापक हैं। वे कुछ दिन पहले रेल पर आए थे तो हमने
उन्हें रेल यात्रा के दिन भर के कार्यक्रम की जानकारी दे दी थी। पर शहाजहांपुर में
इंतजाम में जैसी गड़बड़ी हुई पहले कभी नहीं हुई थी। सुबह ठीक रही। नास्ता रेलवे
स्टेशन पर मिला। इसके बाद साइकिल रैली रवाना हो गई। नगर के टाउन हाल के पास अमर
शहीद राम प्रसाद बिस्मिल, असफाक उल्ला खां, ठाकुर रोशन
सिंह की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर हमने शहीदों से प्रेरणा लेने की कोशिश की। साथ
ही ये भी याद करने की भी, कि हमें आजाद हवां सांस लेने ये
मौका कितनी मुश्किलों और कुर्बानियों से मिल पाया है। यहां से रैली आगे बढ़ी।
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शाहजहांपुर का केंद्रीय विद्यालय नंबर एक |
इस विद्यालय
के बाद रैली आगे बढ़ चली। दोपहर हो गई थी। लोग भूख से बेहाल हो रहे थे। पर खाने का
कुछ पता नहीं था। स्थानीय आयोजक महोदय ने तो आगे का भी कार्यक्रम बना रखा था।
हमारा अगला पड़ाव गवर्नमेंट गर्ल्स इंटर कालेज है। यहां यहां युवक बिरादरी नामक
संस्था और जीजीआईसी के छात्राओं की जमघट है। हमें श्रोताओं की तरह बिठा दिया गया।
सबसे पहले मंच पर सरस्वती वंदना – वर दे
वीणावादिनी भाव नृत्य हुआ। इसके बाद शानदार बैले नृत्य – आएगा आएगा नया जमाना जरूर...गाएगी गाएगी दुनिया नया तराना जरूर। प्रस्तुति शानदार
थी। पर जब पेट में चूहे कूद रहे हों तो कुछ भी अच्छा लगता है क्या। इस पड़ाव पर भी
भोजन का इंतजाम नहीं था।दोपहर के दो से ज्यादा बज चुके हैं।
शाम को पांच बजे मिला खाना - तीन बजे तक तो हमलोग एक बार फिर रेलवे स्टेशन पर वापस लौट आए। एक घंटे इंतजार के बाद कुछ बसें आईं। इन बसों में बैठकर हमलोग शहर से 11 किलोमीटर बाहर बिनोबा सेवा आश्रम ले जाया गया। यहां हमलोग शाम के 5 बजे पहुंचे। तब जाकर इस आश्रम में कहीं भोजन का इंतजाम दिखा। सभी खाने पर टूट पड़े। पर ये असमय का भोजन था। कई लोगों के लिए उपयुक्त नहीं था। पर सदभावना के सिपाहियों को हर हालात के लिए तैयार रहना चाहिए।
-vidyutp@gmail.com
(SHAHJHANPUR, ASFAKULLAH, BISMIL, ROSHAN SINGH )
सदभावना रेल यात्रा का वृतांत शुरू से पढ़ने के लिए यहां पर क्लिक करें।
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