मसूरी के लालबहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी में अकादमी के निदेशक बैच प्रदान करते सुब्बराव जी। |
(पहियों
पर जिंदगी 36)
28 अक्तूबर
1993 – सुबह की रैली में
देहरादून नगर की सड़कों पर ही हुई। सद्भवाना यात्रा का आज मसूरी जाने का कार्यक्रम
है। मसूरी की देहरादून से 40 किलोमीटर दूरी है, इसलिए
साइकिल से जाना व्यवहारिक नहीं है। दोपहर में चार मिनी बसें आईं। बसों में बैठ सभी
रेल यात्री मसूरी के लिए रवाना हुए। मैं एक बस का प्रभारी था। हालांकि मसूरी देश
का बड़ा लोकप्रिय हिल स्टेशन है। यहां सालों भर सैलानी आते हैं। पर हम मसूरी घूमने
नहीं जा रहे हैं। हमारी बस शाम ढलने के साथ ही मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री
नेशनल एकेडमी के परिसर में पहुंची।
देश की
सर्वोच्च नौकरशाही सेवाएं आईएएस और अन्य सहायक सेवाओं के लोग यहां प्रशिक्षण
प्राप्त करते हैं। यहां पर प्रशिक्षु आईएएस अधिकारियों ने हमारा स्वागत किया।
एकेडमी के निदेशक कोई सरदार जी हैं जिन्होंने सुब्बराव जी को सम्मानित किया।
एकेडमी के सुव्वस्थित आडोटोरियम में सुब्बराव जी ने व्याख्यान दिया। सुनने वाले
सद्भावना रेल यात्री और प्रशिक्षु आईएएस थे। व्याख्यान से पहले यहां पर सुब्बराव
जी ने गीत शुरू किया – करें राष्ट्र निर्माण बनाएं मिट्टी से अब सोना....
सुब्बराव जी
वक्त और श्रोताओं के मुताबिक गीत का चयन करते हैं। इसके बाद रेल यात्रियों का
राज्यवार परिचय हुआ । सभी राज्यों के यात्रियों ने अपनी भाषा में भारत देश की एकता
को बनाए रखने का संदेश दुहराया। यहां हमें हल्का नास्ता भी दिया गया। रात होने के
साथ मसूरी में ठंड बढ़ गई है। देहरादून पहुंचते पहुंचते हमें रात हो गई। हमारा
रात्रि भोजन शिवाजी धर्मशाला की ओर से था।
क्या चाहिए - पैसा या खुशियां...
लालबहादुर शास्त्री नेशनल अकादमी ( फोटो सौ- अकादमी वेबसाइट) |
सुब्बराव जी
का चिंतन है कि जीवन में पैसे से खुशियां नहीं खरीदी जा सकतीं। हमें पैसा बढ़ाने
के बजाए खुशियां बढ़ाने के बारे में सोचना चाहिए। उनका ये प्रेरक भाषण आगे भी याद
आता रहा। मसूरी से देहरादून बस में लौटते समय मैं उनके व्याख्यान पर मनन करता रहा।
देहरादून से देर रात हमारी ट्रेन अगले पड़ाव के लिए प्रस्थान कर गई।
-vidyutp@gmail.com
( LBS ACADEMY MUSSOORIE, DEHRADUN )
सदभावना रेल यात्रा का वृतांत शुरू से पढ़ने के लिए यहां पर क्लिक करें।
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