( पहियों
पर जिंदगी-11)
शाम को हमारी साइकिल रैली मोहाली पहुंची। मोहाली चंडीगढ़ से बिल्कुल
सटा पंजाब के रोपड़ जिले का एक शहर है। हांलाकि अब मोहाली साहिबजादा अजीत सिंह नगर
जिला बन चुका है। इसे चंडीगढ़ शहर का विस्तार माना जा सकता है। वहां हम शिवालिक पब्लिक स्कूल पहुंचे। ये मोहाली का सुंदर सा आवासीय विद्यालय है। यहां कक्षा एक
लेकर 12वीं तक पढाई होती है। पहली से 12वीं के छात्र हास्टल में रहते हैं। काफी बेहतर अनुशान दिखा स्कूल में।
विद्यालय के जिमनैजियम में छात्र कुश्ती और विभिन्न खेलों का अभ्यास करते हुए
दिखाई दिए।
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शिवालिक पब्लिक स्कूल की कैंटीन |
स्कूल के डाइनिंग हाल में मैंने एक साथ हजारों छात्रों को बड़े ही
अनुशासन से भोजन करते और उसके बाद पंक्ति में अपने हास्टल की ओर जाते देखा। इसी
डायनिंग हाल में हमारे रात्रि भोजन का भी इंतजाम था।ऐसा लग रहा था मानो हमलोग एक
बार फिर से छात्र जीवन में हों।
जर्मनी की
बहन सेंड्रा को यहां का कड़ा अनुशासन देखकर अचरज हो रहा है। स्कूल के स्टेज पर
विद्यालय के बच्चों और सदभावना यात्रियों का मिला जुला सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ।
विद्यालय की छात्राओं शैली और हरप्रीत द्वारा मंच संचालन के बाद पहला कार्यक्रम
स्वागत गान पेश किया गया –
स्वागत है
सौ सौ बार आपका...स्वागत है बारंबार आपका...गीत के भाव काफी प्रेरणाप्रद हैं।
...और गरीब
लगी भारी चोट
आनंद पंडित, विशाल, बाबा साहेब और मैंने
मिलकर गरीब नामक लघु नाटक पेश किया। गरीब में में गरीब भिखारी की केंद्रीय भूमिका
में था। नाटक के क्लाइमेक्स में मुझे भूख से बेहाल होकर गिर जाना था। मैं इतना
वास्तविक गिरा कि मेरे सिर में तेज चोट लगी। आवाज आई ठक जिसे माइक ने कैच कर लिया।
दर्शकों ने तालियां बजाईं पर मेरा सिर दर्द से बेहाल था। नाटक के बाद स्कूल की
छात्राओं ने मुझे आयोडेक्स लगाकर राहत दिलाई।
स्कूली बच्चों के
बीच सुब्बाराव ने अपना संदेश उनके समझ में आने जैसा ही दिया। भाई जी यही खास बात
है कि वे जैसे श्रोता हों उनके अनुरूप बातें ही करते हैं।रात्रि भोजन के बाद सभी
यात्री अपनी अपनी साइकिल से रेलवे स्टेशन वापस लौट आए। अपने अपने कोच में आशियाना
है सबका। मैं भी कावेरी की ओर बढ़ चला।
- vidyutp@gmail.com
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