(पहियों
पर जिंदगी 24)
हमने स्वर्ण मंदिर यानी श्री दरबार साहिब की परिक्रमा की। इसके बाद लंगर छकने मंदिर के विशाल लंगर हाल की तरफ गए। गुरुद्वारे के लंगर हाल काफी बड़ा है। 24 घंटे चलने वाले अखंड लंगर में बरतनों को ढोने के लिए गाड़ियां लगी हैं। रोटी ( पंजाबी में चातां) बनाने के लिए मशीने लगी हैं। यहां सबको थोड़ी देर आराम करने का मौका मिला।
चौथे गुरु ने रखी थी नींव - अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के बारे में कहा जाता है कि देश में जितने धार्मिक स्थल हैं उनमें ज्यादातर में सीढ़ियां चढ़ना पड़ता है पर दरबार साहिब अमृतसर में हमें सीढ़िया उतरना पड़ता है। एक विशाल सरोवर के बीच सुनहला गुरुद्वारा बना हुआ है। सिक्खों के चौथे गुरु गुरु रामदास ने 1574 में स्वर्ण मंदिर की नींव रखी थी। यह कई सालों में बनकर तैयार हुआ। यह 1604 में पूरी तरह बनकर तैयार हुआ। इसे हरिमंदिर साहिब या दरबार साहिब कहते हैं।
महाराजा रणजीत सिंह ने कराया स्वर्णमंडित - महाराज रणजीत सिंह ने 1830 में इसके ऊपर सोने की परत चढ़वाई थी इसलिए इसे स्वर्ण मंदिर कहते हैं। एक अनुमान के मुताबिक इस पर परत चढ़ाने में 162 किलोग्राम सोने का इस्तेमाल हुआ था। पर बाद में इसमें 500 किलोग्राम सोना और चढ़ाया गया है। इस तरह इसमें कुल सोने की मात्रा 750 किलोग्राम से ज्यादा है। महाराजा रणजीत सिंह (1780-1839) के शासन काल के दौरान श्री हरि मंदिर साहिब को संगमरमर की मूर्तियों, सुनहरे सोने के गुलदस्ते और बड़ी मात्रा में कीमती पत्थरों से समृद्ध किया था।
चौथे गुरु ने रखी थी नींव - अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के बारे में कहा जाता है कि देश में जितने धार्मिक स्थल हैं उनमें ज्यादातर में सीढ़ियां चढ़ना पड़ता है पर दरबार साहिब अमृतसर में हमें सीढ़िया उतरना पड़ता है। एक विशाल सरोवर के बीच सुनहला गुरुद्वारा बना हुआ है।
महाराजा रणजीत सिंह ने कराया स्वर्णमंडित - महाराज रणजीत सिंह ने 1830 में इसके ऊपर सोने की परत चढ़वाई थी इसलिए इसे स्वर्ण मंदिर कहते हैं। एक अनुमान के मुताबिक इस पर परत चढ़ाने में 162 किलोग्राम सोने का इस्तेमाल हुआ था। पर बाद में इसमें 500 किलोग्राम सोना और चढ़ाया गया है। इस तरह इसमें कुल सोने की मात्रा 750 किलोग्राम से ज्यादा है। महाराजा रणजीत सिंह (1780-1839) के शासन काल के दौरान श्री हरि मंदिर साहिब को संगमरमर की मूर्तियों, सुनहरे सोने के गुलदस्ते और बड़ी मात्रा में कीमती पत्थरों से समृद्ध किया था।
अकाल तख्त का दफ्तर - स्वर्ण मंदिर परिसर में अकाल तख्त का भी दफ्तर है जो सिखों के
पांच तख्तों में सबसे बड़ा है। इसके अलावा चार तख्त हैं – केशगढ
साहिब आनंदपुर साहिब (पंजाब), दमदमा साहिब, तलवंडी साबो (भटिंडा), श्री हरिमंदिर साहिब यानी
पटना साहिब (बिहार), और श्री हुजुर साहिब, नांदेड़ ( महाराष्ट्र) ।
लंगर छकने के बाद दरबार साहिब में भी एक छोटी सी सभा हुई। इसमें दरबार साहिब के प्रमुख सेवादार
सरदार नरेंद्र सिंह ने हमें सिख धर्म और उनके गुरूओं की कुरबानी के इतिहास के बारे
में बताया। हमने सभा में बातचीत के दौरान सन 1984 में आपरेशन ब्लू स्टार से पहले
मंदिर में हथियारों के बड़े पैमाने के जमावड़े का सवाल उठाया तो उन्होंने इसे पूरी
तरह से राजनैतिक कहकर टाल दिया। हमें अमनजोत और गुरप्रीत ने स्वर्ण मंदिर के बारे
में और भी रोचक जानकारियां दीं। खास मौकों पर स्वर्ण मंदिर को बिजली की रोशनी से
रोशन किया जाता है तब इसकी खूबसूरती और बढ़ जाती है।
स्वर्ण
मंदिर के बाहर कुछ अच्छी अच्छी दुकानें हैं। सभी रेल यात्री अपने लिए यहां से
यादगारी के लिए कुछ न कुछ खरीद रहे हैं। गुरू गोबिंद सिंह जी की फोटो, स्वर्ण मंदिर की तस्वीर, मूर्तियां,
तलवार, चाकू आदि। स्वर्ण मंदिर पवित्र गुरु
द्वारा सरोवर के बीच स्थित है। यह सोने के पत्तरों से मढा हुआ है।
स्वर्ण मंदिर का प्रसाद है शुद्ध घी का बना हुआ हलवा। सहरानपुर की बहन सुस्मिता शर्मा ने हलवा खरीदा और हम सबको खिलाया। गुरप्रीत को अक्ल वाले दांत निकल रहे हैं इसलिए वह दांत के दर्द से काफी परेशान है। इसलिए वह चाहकर भी हलवा नहीं खा पा रही है।
-vidyutp@gmail.com (GOLDEN TEMPLE, HARI MANDIR SAHIB, AMRITSAR, PUNJAB )
सदभावना रेल यात्रा का वृतांत शुरू से पढ़ने के लिए यहां पर क्लिक करें।
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स्वर्ण मंदिर अमृतसर एक महान सौंदर्य और उदात्त शांति का स्थान है।मंदिर की वास्तुकला हिंदू और मुस्लिम दोनों कलात्मक शैलियों पर आधारित है, फिर भी दोनों का एक अनोखा समन्वय है। महाराजा रणजीत सिंह (1780-1839) के शासनकाल के दौरान, हरि मंदिर संगमरमर की मूर्तियों, सुनहरे सोने के गुलदस्ते और बड़ी मात्रा में कीमती पत्थरों से समृद्ध था।
ReplyDeleteजी धन्यवाद
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