( पहियों
पर जिंदगी 19)
16 अक्तूबर
1993 – लुधियाना से रात में ट्रेन चल पड़ी। हमारी सुबह हुई
तो ट्रेन जालंधर के प्लेटफार्म पर खड़ी थी। सरदार अमरीक सिंह क्लेर यहां के हमारे
स्थानीय आयोजक हैं। उनसे हमारी मुलाकात 1991 के उत्तर काशी
शिविर और 1992 में नई दिल्ली के गांधी दर्शन में कार्यकर्ता
सम्मेलन में हो चुकी है।
रेलवे
स्टेशन के प्लेटफार्म पर जब कभी समय मिल जाता है शिविरार्थियों के लिए व्यायाम का
सत्र हो जाता है। नास्ता और व्यायाम के बाद हमारी रैली पक्का बाग में दैनिक पंजाब
केसरी दफ्तर के बाहर पहुंची। यहां इसके संपादक विजय कुमार चोपड़ा हमारे स्वागत में
बाहर आए। यहां हमारा विशाल समूह चित्र खींचा गया। अखबारों में रैली की अच्छी खबरें
आ रही हैं।
हमारा पहला पड़ाव साईंदास सीनियर सेकेंडरी स्कूल में है। यहां पर कई
स्कूलों के हजारों बच्चे जमा हैं। एनएसएस, एनसीसी
और स्काउट के स्वयंसेवक भी हैं। स्काउट के बच्चों ने वाद्य यंत्र पर शानदार धुन
बजाई तो एनसीसी के बच्चों ने सुब्बाराव जी को सलामी दी। सारे रेल यात्रियों को
स्वागत में कोल्ड ड्रिंक पिलाई जा रही है। दोपहर के कार्यक्रम में जालंधर
नगरपालिका के अध्यक्ष जय किशन सैनी ने स्वागत भाषण दिया। वे कांग्रेस के नेता और शहर के जाने माने उद्योगपति हैं।
खैर मैंने
तेजी से साइकिल चलाई और अपनी यात्रा के साथ हो लिया। यहां से यात्रा पंजाब के एक गांव
की ओर जा रही है। जसपाल जस्सी ने तो पांच किलोमीटर ही दूरी बताई थी गांव की। पर वास्तविक दूरी थी कुल 12 किलोमीटर। पठानकोट रोड पर इस गांव रायपुर रसुलपुर पहुंचते हुए रास्ते में हरे भरे लहलहाते गन्ने के खेत, ट्रैक्टर और खेतों में काम करते हुए लोग दिखाई दे रहे हैं। यानी असली पंजाब दिखाई दे रहा है
जैसा फिल्मों में देखते हैं। पंजाब के गांव काफी समृद्ध हैं हर गांव के लोग कनाडा
अमेरिका में जाकर नौकरी करते हैं। वहां से गांव में डालर भेजते हैं।
रायपुर
रसुलपुर गांव के गुरूद्वारे में गांव के लोगों ने धुन में तालियां बजाकर हमारा
स्वागत किया। बैठने के तुरंत बाद शुद्ध घी का हलवा और समोसा चाहे जितनी मर्जी खाओ
इस भाव के साथ खाने को मिला। हरी-हरी घास पर कालीन बिछाई गई थी।
ग्रामवासियों
के साथ सर्वधर्म प्रार्थना हुई। इसके बाद सांस्कृतिक संध्या के लिए हमलोग बगल के
हाईस्कूल के प्रांगण में पहुंच गए। यहां डीएवी कालेज, जालंधर और दोआबा कालेज जालंधर के एनएसएस यूनिट के
छात्रों की ओर से भी कार्यक्रम पेश किए गए। यहां के एनएसएस के स्वयंसेवकों से
मैंने उनके कॉलेज में चलाए जा रहे परियोजनाओं पर चर्चा की। रात का भोजन
गुरुद्वारा के लंगर में हुआ। पर लंगर का भोजन शानदार था। खाने के बाद गुरुद्वारे के ग्रंथी की
ओर प्रसाद में सभी शिविरार्थियों को सिक्के भी दिए गए। रात को सोने का इंतजाम
विद्यालय के भवन में पुआल के बिस्तर पर था। इस बीच मेरे पास दो स्थानीय युवक आए। उनका घर पड़ोस के गांव में था। वे जिद करने लगे कि आप रात को हमारे साथ हमारे घर चलो। सुबह-सुबह फिर हम आपको पहुंचा देंगे यहां। पर मैंने बड़े संकोच से उनके आतिथ्य को ठुकरा दिया। यह समझाते हुए कि ये यात्रा के अनुशासन का उल्लंघन होगा।
-- विद्युत प्रकाश मौर्य
( JALANDHAR, DEVI TALAB MANDIR, LIFE ON WHEELS )
रीसां नही मेरे पंजाब दियां 1 सुन्दर वर्नण
ReplyDeleteनिर्मला जी धन्यवाद
Delete