
( पहियों
पर जिंदगी 14)
13 अक्तूबर
1993 – सुबह के छह बजे हैं। हमारी ट्रेन नंगल रेलवे स्टेशन पर पहुंच चुकी
है। नंगल पंजाब के रोपड़ (रूपनगर) जिले का एक छोटा सा स्टेशन है। यहां से आनंदपुर
साहिब, भाखड़ा डैम और हिमाचल प्रदेश का तीर्थ नैना देवी
काफी निकट हैं।
रेलवे
स्टेशन पर उत्साही टीम ने हमारा भव्य स्वागत किया। लायंस क्लब नंगल के प्रधान जीत रमण
सिंह और अन्य लोग मिलने आए। यात्रियों को बेहतरीन नास्ता स्टेशन पर ही मिला। यहां से हमारी पैदल रैली निकली जो ब्याज स्पेशल
स्कूल पहुंची।
![]() |
नंगल के स्कूल में गिद्दा पेश करती छात्राएं। |
नंगल से
हमलोग बस में सवार होकर भाखड़ा
डैम पहुंचे। वहां पर हम सबके कैमरे जमा करा लिए गए। हमें भाखड़ा डैम
देखने के लिए विशेष अनुमति मिली है। हमारी यात्रा में चल रही दो जर्मन बहनों
सेंड्रा और मारेन से डैम पर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने विशेष पूछताछ की। उनके
पासपोर्ट की जांच की। खैर हमलोग आगे बढ़े।
भाखड़ा हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में आता है। यहां 740 फीट की ऊंचाई पर
सतलुज और व्यास नदी के पानी को रोककर विशाल जलाशय का निर्माण किया गया है। गोविंद
सागर जलाशय देश का दूसरा सबसे बड़ा जलाशय है। सबसे बड़ा जलाशय मध्य प्रदेश का
इंदिरा सागर है।
भाखड़ा नामक
ग्राम में होने के कारण इसका नाम भाखड़ा डैम पड़ा। बांध पर जाने का रास्ता पहाड़ों
की चढ़ाई वाला है। मार्ग मनोरम है। बांध बनने से विशाल कृत्रिम झील का निर्माण हुआ
है जिसका नाम गोबिंद सागर रखा गया है। यहां थर्मल पावर प्लांट है जिससे 1300
मेगावाट बिजली बनती है। तब बांध के निर्माण में 280 करोड़ रुपये खर्च आया था।
राष्ट्र के नवीन मंदिर - स्वतंत्र
भारत की इस पहली बड़ी परियोजना का उदघाटन पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु
ने 1959 में किया था। तब उन्होंने इसे राष्ट्र के नवीन मंदिर की संज्ञा दी थी।
भाखड़ा की दूरी नंगल टाउनशिप से 13 किलोमीटर है। नंगल पंजाब के रूपनगर जिले में
आता है।पंजाब हरियाणा के बड़े हिस्से को सिंचाई की सुविधा देने वाला ये डैम
सैलानियों का भी बड़ा आकर्षण बन चुका है।
बांध देखकर लौटने के बाद हमारा दोपहर का कार्यक्रम ब्याज स्पेशल स्कूल में हुआ। विद्यालय की बालिकाओं द्वारा शानदार गिद्दा पेश किया गया। यहां पर सुब्बाराव जी ने प्रेरक व्याख्यान दिया।
सुब्बाराव
कहते हैं – जब मैं लंबे सफर में रहता हूं तब भी अपना नियमित
रूटीन नहीं तोड़ता। सुबह किसी रेलवे स्टेशन पर होती है तो प्लेटफार्म पर ही
व्यायाम करने लगता हूं। तब कुछ लोगों को हंसी आती है। मैं कहता हूं जब स्टेशन पर
बीड़ी पीने में नहीं है शर्म तो व्यायाम करने में कैसी शर्म। आजकल मैं देखता हूं
शहर के हर नुक्कड़ पर नौजवानों की सभा होती है। बैठक घंटों चलती रहती है लेकिन
एजेंडा क्या होता है नहीं मालूम। मेरे जैसा 65 साल का व्यक्ति निक्कर पहने हुए
दोनों हाथ भांजते हुए सड़क पर चलता जाता है तो नौजवान लेफ्ट-राइट, लेफ्ट-राइट कहते हुए मजाक उड़ाते हैं। नौजवानों को अपनी उम्र में बिना
किसी अनुशासन के टेढी कमर करके उल्टा सीधा चलते हुए और बिना अनुशासन के जीने में
भला शर्म क्यों नहीं आती।
1957 में
रूस की राजधानी मास्को में दुनिया भर के युवाओं का एक सम्मेलन हुआ था। मैं (
सुब्बाराव) समेत हिंदुस्तान से 10 लोगों का प्रतिनिधिमंडल यहां पहुंचा था। वहां के
लेनिन स्टेडियम में मुख्य कार्यक्रम में एक लाख लोग पहुंचे थे। परंतु बिना सिटी
बजाए सभी लोग पूरे अनुशासन से कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे थे। अचानक वाद्ययंत्रों
की धुन बदलती है और एक एक कर लोग अपने अपने देश की राष्ट्रीय धुन गाने लगते हैं।
इस कार्यक्रम में मेरी अगुवाई में जन गण मन अधिनायक...गाया गया।
सुब्बाराव
जी कहते हैं- देश में सामूहिकता की भावना में कमी आई है। पचास साल बाद अगर आज का
इतिहास लिखने बैठेंगे तो क्या यही लिखेंगे कहीं आतंकवाद, कहीं दहेज हत्या, कहीं दंगा और
मारपीट का सिलसिला चल रहा था। देश के हर कोने में झगड़े का आलम था। आज देश को नव
निर्माण में जुटे हुए युवाओं की आवश्यकता है, ताकि हम आने
वाली पीढी को एक स्वस्थ और आगे बढता हुआ देश दे सकें।
सदभावना रेल यात्रा का वृतांत शुरू से पढ़ने के लिए यहां पर क्लिक करें।
No comments:
Post a Comment