
धौलपुर
बाड़ी लाइट रेलवे के निर्माण की कहानी दिलचस्प है। भला इस वाई आकार के लाइट रेलवे
का निर्माण क्यों हुआ इसके पीछे की कहानी जान लेते हैं। क्या आप जानते हैं दिल्ली
के लालकिला, हिमायूं का मकबरा, अक्षरधाम
मंदिर, आगरे का लालकिला, लखनऊ के
विधानसभा भवन की नींव, धौलपुर का निहाल टावर इन सबके बीच
क्या संबंध हैं। थोड़ा सोचने पर आप बता सकते हैं कि ये सब लाल पत्थर से बने हैं।
पर इसके लिए लाल पत्थर लाए कहां से गए। इसका जवाब है धौलपुर जिले का बाड़ी कस्बा।
बाड़ी लाल पत्थरों के लिए मशहूर है।
श्रीमथुरा
और तांतपुर लाल पत्थरों को दूसरे महत्वपूर्ण केंद्र हैं। तो इस रेलवे लाइन का
निर्माण अंग्रेजी राज में लाल पत्थरों की ढुलाई के लिए किया गया। बाड़ी के सीने पर
छेनी हथौड़े चलते रहे और महानगरों में ऐतिहासिक इमारतें बनती रहीं। इस रेलवे लाइन
से ढोए गए पत्थरों का इस्तेमाल राष्ट्रपति भवन और संसद भवन बनाने में भी हुआ है।
धौलुपर
बाड़ी मोहारी रेल मार्ग का संचालन अब नार्थ सेंट्रल रेलवे
( इलाहाबाद ) करता है। सिंगल ट्रैक वाला ये
रेल मार्ग मानसून के दिनों में काफी खूबसूरत दिखाई देता है। इस मार्ग पर एक ही
रेलवे की रैक फिलहाल चलती है। सुबह 4 बजे धौलपुर से ट्रेन खुलती है। ये ट्रेन सुबह
7 बजे श्रीमथुरा पहुंचती है। यही ट्रेन श्रीमथुरा से धौलपुर वापस आने पर फिर
धौलपुर से 10.40 बजे निकलती है जो 13.05 बजे तांतपुर पहुंचती है। फिर यही ट्रेन
लौटकर बाड़ी तक आती है और यहां से 14.45 बजे श्रीमथुरा के लिए जाती है। फिर शाम को
ये श्रीमथुरा से 16.40 बजे चलती है जो 18.11 बजे तक धौलपुर लौट आती है।
यानी एक ही रैक सुबह से लेकर शाम तक इश वाई आकार ट्रैक पर चक्कर काटती है। पर सालों भर इस रेलमार्ग पर आपको स्थानीय यात्रियों की भारी भीड़ देखने को मिलेगी। अक्सर लोग इस ट्रेन की छतों पर भी सफर करते हुए नजर आते हैं। इस ट्रेन में एक अदद सीट पा लेना किसी बड़ी उपलब्धि की तरह है। डीजल की बढ़ती कीमतों के बाद लगातार बढ़ते बसों के किराये के बाद इस पैसेंजर ट्रेन से सफर करना स्थानीय लोगों के लिए काफी सस्ता है।
डीबीएलआर के स्टेशन
धौलपुर
जंक्शन ( 0) डीएचओ
नूरपूरा
( 7 किमी )
गढ़ी
सांद्रा ( 18 किमी)
सुरूथी ( 22
किमी )
बाड़ी ( 32
किमी)
मोहारी
जंक्शन (41 किमी)
बासेरी ( 46
किमी)
बागेथर
(52 किमी)
तांतपुर (
59 किलोमीटर) ( टीपीओ)
मोहारी
जंक्शन ( 41 किमी)
रनपुरा ( 48
किमी)
अंगाई (56
किमी)
बड़ी लाइन में
बदलने की मांग
कभी धौलपुर
मिलट्री स्कूल के छात्र रहे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी डीबीएलआर
यानी इस खिलौना ट्रेन को भली प्रकार जानते हैं। स्कूली पढ़ाई के दौरान उन्होंने इस
खिलौना ट्रेन को खूब देखा है। इस लाइन का आमन परिवर्तन कर बड़ी लाइन में बदलने की
मांग काफी समय से चल रही है। इलाके सांसद राजनेता कई बार संसद में भी इसकी मांग
उठा चुके हैं। मैदानी क्षेत्र का ये ऐतिहासिक रेल मार्ग साल 2017 में अपने संचालन
के गौरवशाली 100 साल पूरे कर लिए हैं, पर
इसके ब्राडगेज में बदले जाने की संभावना फिलहाल दिखाई नहीं दे रही है।
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vidyutp@gmail.com
(
DHAULPUR BARI LIGHT RAILWAY COMPANY, RAJSTHAN,
UTTAR PRADESH )
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