ग्वालियर श्योपुर रेलमार्ग के निर्माण के लिए 610 एमएम के गेज का ही चयन क्यों किया गया इसका कारण साफ नहीं है। क्योंकि देश में ज्यादातर नैरो गेज की चौड़ाई दो फीट 6 ईंच ( 720 एमएम ) की है। यह रेलमार्ग चूंकि पहाड़ी नहीं है इसलिए यहां ढाई फीट वाला ट्रैक भी आसानी से बिछाया जा सकता था। हो सकता है सिंधिया के लिए जो खिलौना ट्रेन लाई गई थी वह दो फीट चौड़ाई वाली ही थी, इसलिए बाद में उसका विस्तार दो फीट पर ही होता गया।
1991 में डीजल लोकोमोटिव - शुरुआत में ग्वालियर श्योपुर रेल मार्ग पर पैसेंजर गाड़ियां कभी स्टीम लोकोमोटिव से चलाई जाती थीं। इसके लिए कोयला भरने का यार्ड ग्वालियर और श्योपुर में बनाया गया था।
पर 1991 के बाद इस स्पेशल गेज की इस मार्ग पर चलने वाली रेलगाड़ियों में डीजल इंजन (लोकोमोटिव) लगा दिए गए है, इसलिए अब अपेक्षाकृत तेज गति से चलती है। मैदानी इलाके में चलने के कारण इसकी अधिकतम स्पीड 50 किलोमीटर घंटा तक है। कुछ स्टेशनों के बीच ये 40 किलोमीटर या उससे अधिक गति से चलाई भी जाती है।
1991 में डीजल लोकोमोटिव - शुरुआत में ग्वालियर श्योपुर रेल मार्ग पर पैसेंजर गाड़ियां कभी स्टीम लोकोमोटिव से चलाई जाती थीं। इसके लिए कोयला भरने का यार्ड ग्वालियर और श्योपुर में बनाया गया था।
पर 1991 के बाद इस स्पेशल गेज की इस मार्ग पर चलने वाली रेलगाड़ियों में डीजल इंजन (लोकोमोटिव) लगा दिए गए है, इसलिए अब अपेक्षाकृत तेज गति से चलती है। मैदानी इलाके में चलने के कारण इसकी अधिकतम स्पीड 50 किलोमीटर घंटा तक है। कुछ स्टेशनों के बीच ये 40 किलोमीटर या उससे अधिक गति से चलाई भी जाती है।
इस रेल
मार्ग के लिए 1991 में चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स के बने हुए 11 एनडीएम 5 लोको
खरीदे गए। जिसमें 10 अभी भी संचालित हो रहे हैं। मजे की बात की सीएलडब्लू से बने
एनडीएम5 सीरीज के सभी लोको ग्वालियर श्योपुर कलां मार्ग के पास ही हैं। एनडीएम5 दो
फीट 6 इंच वाले नैरोगेज मार्ग पर चलने वाले जेडीएम 5 से मिलता जुलता लोको ही है।
लगता है सीएलडब्लू ने इस लोको को खास तौर पर इसी मार्ग के लिए ही बनाया है। एनडीएम
5 के 801 से लेकर 811 नंबर तक के लोगो ग्वालियर श्योपुर रेलवे के पास ही हैं। 450
हार्सपावर के ये इंजन रोजाना 200 किलोमीटर के इस ट्रैक पर कई ट्रेनों को खींचते
हैं।
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छत पर बैठने पर जुर्माना है पर परवाह कौन करता है... |
यानी एक ट्रेन की एक रैक दो दिनों में अपना सफर पूरा करती है। इसके अलावा पटरियों
के निरीक्षण के लिए इस मार्ग पर एक डीजल रेल कार 798 भी मौजूद है। कई बार रास्ते में
इंजन में खराबी आ जाए या चलती हुई रेलगाड़ी पटरी से उतर जाए तो रेल मार्ग कई घंटों के
लिए बंद भी हो जाता है।खासकर बारिश के दिनों में कई बार ऐसी समस्या से दो चार होना पड़ता है।
इस रेल मार्ग पर यात्रियों की भारी भीड़ होती है। लोक हर हर रोज ट्रेन की छतरी पर भी सफर करते हुए नजर आते हैं। यहां तक की ट्रेन की डिब्बों की छतरी पर नमकीन दालमोट बेचने वाले भी घूमते नजर आते हैं, इसलिए इस मार्ग के लोको पायलट को जन सुविधाओं का खासा ध्यान रखना पड़ता है।
इस रेल मार्ग पर यात्रियों की भारी भीड़ होती है। लोक हर हर रोज ट्रेन की छतरी पर भी सफर करते हुए नजर आते हैं। यहां तक की ट्रेन की डिब्बों की छतरी पर नमकीन दालमोट बेचने वाले भी घूमते नजर आते हैं, इसलिए इस मार्ग के लोको पायलट को जन सुविधाओं का खासा ध्यान रखना पड़ता है।
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( GWALIOR , SHEOPUR
, LIGHT, RAILWAY, NARROW, GAUGE )
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