पहाड़ों में यात्री रेल सेवा का
सबसे शानदार उदाहरण है कांगड़ा घाटी रेल। यह 19वीं शताब्दी के भारतीय तकनीक से बने
रेल लाइन का आदर्श उदाहरण है। इस रेल लाइन से पहले कांगड़ा घाटी में पैदल सफर करने
या फिर जानवरों की पीठ पर माल ढुलाई के अलावा कोई साधन नहीं था। इस रेलमार्ग ने
घाटी के लोगों को सफर का विकल्प प्रदान किया।
अगर देखा जाए तो 100 मील से ज्यादा सफर कराने वाला ये दुनिया का सबसे लंबा नैरो गेज रेल मार्ग है जो लोगों को अपनी सेवाएं दे रहा है। आज कांगड़ा घाटी रेल इलाके की पहचान के साथ विरासत भी बन चुका है। कांगड़ा घाटी क्षेत्र के लोगों के सामाजिक आर्थिक विकास में इस रेल मार्ग की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
अगर देखा जाए तो 100 मील से ज्यादा सफर कराने वाला ये दुनिया का सबसे लंबा नैरो गेज रेल मार्ग है जो लोगों को अपनी सेवाएं दे रहा है। आज कांगड़ा घाटी रेल इलाके की पहचान के साथ विरासत भी बन चुका है। कांगड़ा घाटी क्षेत्र के लोगों के सामाजिक आर्थिक विकास में इस रेल मार्ग की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
कांगड़ा वैली रेल 19वीं सदी की
इंजीनियरिंग का नायाब नमूना है। 1926 में बने जब इस रेलवे लाइन की शुरुआत हुई तब
की बनाई हुआ आधारभूत संरचना का आज भी इस रेल मार्ग पर इस्तेमाल हो रहा है।
स्टेशनों के भवन तब के ही बने हुए हैं जिनका अभी भी इस्तेमाल किया जा रहा है। उनका
डिजाइन खूबसूरत है जो किसी काटेज जैसा एहसास देते हैं। इनकी दीवारे पतली हैं और
पहाड़ों को देखते हुए लकड़ी का इस्तेमाल निर्माण में किया गया है। बड़े बरामदे
लकड़ी के स्तंभ और आसपास में फूलों के पेड़ स्टेशनों को आकर्षक बनाते हैं। इनकी
मूल संरचना को आज भी बचाए रखा गया है।

नैरो गेज रेलों के इतिहास में
देखें तो कांगड़ा घाटी रेल का अलग महत्व है। दुनिया के ज्यादातर नैरोगेज रेल 1850
के आसपास अस्तित्व में आए। पर ज्यादातर नैरोगेज लाइन छोटी दूरी के हैं। वे 10 से
लेकर 10 किलोमीटर का सफर तय करते हैं। पर कांगड़ा वैली रेल का सफर 160 किलोमीटर से
ज्यादा का है। इसकी दूसरी खास बात इसे औरों से अलग करती है वो है कि इस लाइन का
निर्माण माल ढुलाई के लिए हुआ था। बाद में इसे यात्रियों के लिए खोला गया।
दुनिया के कई हिस्सों में शुरू
की गई नैरो गेज रेलों को घाटे का सौदा मानकर बंद कर दिया गया या उन्हें ब्राडगेज
में बदल दिया गया। पर कांगड़ा घाटी रेल आठ दशक से अधिक से क्षेत्र के लोगों को
सेवाएं दे रही है। यह रेल मार्ग न सिर्फ इलाके के लोगों की चहेती है बल्कि
सैलानियों को भी लुभाती है। कई बार इस लाइन को बदल कर ब्राडगेज लाइन बिछाने की बात
की जाती है। पर कांगड़ा की घाटियों के लिए ब्राडगेज लाइन व्यवहारिक नहीं है।
नैरोगेज लाइन पहाड़ के पर्यावरण से बेहतर संतुलन बनाते हुए चल रही है। इसका सफर तो
यूं ही जारी रहना चाहिए।
- विद्युत प्रकाश मौर्य
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