रांची में पहाड़ी की चोटी पर स्थित पहाड़ी मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। लेकिन यहां गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर विधिवत झंडोत्तोलन किया जाता है। इसके पीछे एक कहानी है। आजादी की लड़ाई से जुड़ी हुई।
फांसी टोंगरी था नाम - पहले इस हिल को फांसी टोंगरी नाम से जाना जाता था, क्योंकि स्वतंत्रता सैनानियों को यहां पर फांसी दी गई थी। उनके बलिदान को याद करने के लिए यहा स्वतंत्रता दिवस पर झंडा फहराया जाता है।
शायद यह देश का इकलौता ऐसा मंदिर होगा जहां 15 अगस्त और 26 जनवरी को राष्ट्रीय ध्वज 'तिरंगा' शान से फहराया जाता है। ये तिरंगा आजादी के आंदोलन में शहीद हुए वीरों की याद में फहराया जाता है। यह परम्परा यहां पर देश के आजादी के साल 1947 से ही चली आ रही है।
पहाड़ी बाबा मंदिर में एक शिलालेख लगा है जिसमें 14 अगस्त, 1947 को देश की आजादी संबंधी घोषणा भी अंकित है।
फांसी टोंगरी था नाम - पहले इस हिल को फांसी टोंगरी नाम से जाना जाता था, क्योंकि स्वतंत्रता सैनानियों को यहां पर फांसी दी गई थी। उनके बलिदान को याद करने के लिए यहा स्वतंत्रता दिवस पर झंडा फहराया जाता है।

पहाड़ी बाबा मंदिर में एक शिलालेख लगा है जिसमें 14 अगस्त, 1947 को देश की आजादी संबंधी घोषणा भी अंकित है।
शिव हैं पहाड़ी बाबा - पहाड़ी बाबा यानी भगवान शिव। ऊंचाई पर महादेव का मंदिर है। यहां जलाभिषेक के लिए रांची ही नहीं बल्कि आसपास के भी श्रद्धालु पहुंचते हैं।
अति प्राचीन है मंदिर - मंदिर कितना पुराना है इसकी सही सही जानकारी नहीं है पर लोगों की पहाड़ी बाबा में अगाध श्रद्धा है। ऐसा प्रतीत होता कि पहाड़ी बाबा लोकदेवता रहे होंगे। पहाड़ी बाबा सबकी मनोकामनाएं सुनते हैं। मन की इच्छा पूरी होने पर लोग दूबारा यहां जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं।
अति प्राचीन है मंदिर - मंदिर कितना पुराना है इसकी सही सही जानकारी नहीं है पर लोगों की पहाड़ी बाबा में अगाध श्रद्धा है। ऐसा प्रतीत होता कि पहाड़ी बाबा लोकदेवता रहे होंगे। पहाड़ी बाबा सबकी मनोकामनाएं सुनते हैं। मन की इच्छा पूरी होने पर लोग दूबारा यहां जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं।
सावन के महीने में उमड़ती है भीड़ - सावन महीने के हर सोमावार को पहाड़ी बाबा के मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। यहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्वर्णरेखा नदी से जल लाकर पहाड़ी बाबा का जलाभिषेक करते हैं।
416 सीढ़ी चढ़ कर पहुंचे - पहाड़ी मंदिर समुद्र तल से 2140 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह रांची शहर की सबसे ऊंची चोटी है। इस चोटी से शहर का विहंगम नजारा दिखाई देता है। एक तरफ नजर घूमाएं तो शहर को पानी देने वाली कांके डैम दिखाई देता है तो दूसरी तरफ शहर में धीरे धीरे आकार लेते ऊंचे अपार्टमेंट।
पहाड़ी मंदिर में जाने के लिए 416 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। मंदिर के मुख्य द्वार के पास जूताघर और पार्किंग का इंतजाम है। आगे की 400 सीढ़ियां आपको नंगे पांव चढ़नी पड़ती है। सीढियां चढ़ते समय रास्ते में जगह जगह थक जाने पर विश्राम के लिए इंतजाम है।
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पहाड़ी मंदिर से रांची शहर का नजारा। |
- विद्युत प्रकाश मौर्य
( PAHADI MANDIR, RANCHI, TEMPLE, SHIVA , TIRANGA )
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