रांची से रामगढ़ कैंट की ओर जाती नेशनल हाईवे नंबर 33 फोर लेन एक्सप्रेस वे का रूप ले
चुकी है। सड़क इतनी शानदार बन गई है कि बस से चलते हुए कब रांची से रामगढ़ आ जाता
है पता भी नहीं चलता। रास्ते में मनोरम घाटियां की हरियाली मनमोह लेती है। इन
सड़कों और हरितिमा को देखकर कत्तई नहीं लगता है कि राष्ट्रीय मीडिया में झारखंड की
जैसी नक्सल प्रभावित छवि दिखाई देती है हम उस राज्य से गुजर रहे हैं। रांची से
रामगढ़, मांडू, हजारीबाग होते हुए बरही
तक सड़क शानदार बन चुकी है।
रामगढ़ शहर में दो बस स्टैंड है एक लंबी दूरी के लिए तो दूसरा स्थानीय यानी आसपास के सफर के लिए।
स्थानीय बस स्टैंड से रजरप्पा जाने के लिए टेकर और दूसरी गाड़ियां हमेशा तैयार
मिलती हैं।
कुल 27 किलोमीटर का सफर आधे घंटे में। पर रजरप्पा में तो बिहार, झारखंड और बंगाल के श्रद्धालु बड़ी संख्या में अपनी निजी गाड़ियों और बाइक से पहुंचते हैं। लोग अपने नए वाहन का यहां पूजा कराना सौभाग्य समझते हैं।
भैरवी नदी के जल में स्नान करने वाले हजारों श्रद्धालुओं का हुजुम रोज उमड़ता है। मां के दरबार में लोग पुत्र की कामना और निरोग होने का वरदान लेने आते हैं। आसपास के लोगों में बड़ी आस्था है कि मां सबकी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
कुल 27 किलोमीटर का सफर आधे घंटे में। पर रजरप्पा में तो बिहार, झारखंड और बंगाल के श्रद्धालु बड़ी संख्या में अपनी निजी गाड़ियों और बाइक से पहुंचते हैं। लोग अपने नए वाहन का यहां पूजा कराना सौभाग्य समझते हैं।
भैरवी नदी के जल में स्नान करने वाले हजारों श्रद्धालुओं का हुजुम रोज उमड़ता है। मां के दरबार में लोग पुत्र की कामना और निरोग होने का वरदान लेने आते हैं। आसपास के लोगों में बड़ी आस्था है कि मां सबकी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
आमवस्या
का दिन है इसलिए मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ कुछ ज्यादा है। लोग बता रहे हैं कि
आद्रा नक्षत्र में अमावस 120
साल बाद आया है। वैसे भी हर अमावस को माता के दरबार में भीड़ कुछ
ज्यादा ही होती है। लिहाजा आज ( 27 जून 2014) को रजरप्पा श्रद्धालुओं से पटा पड़ा है। मंदिर परिसर में अव्यवस्था का आलम
है। जिन पुलिस वालों के व्यवस्था को संभालनेकी जिम्मेवारी है वही रिश्वत लेकर
श्रद्धालुओं को मंदिर में जल्दी दर्शन करा देते हैं। पर भगवान के घर में ऐसा
अनैतिक मार्ग अपनाने का मेरा जी बिल्कुल नहीं चाहता।
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रजरप्पा में दामोदर और भैरवी का संगम। (फोटो- विद्युत प्रकाश ) |
दामोदर भैरवी
का सुंदर संगम
रजरप्पा में दामोदर और भैरवी
नदियों का संगम स्थल भी अत्यंत मनोहारी है। भैरवी नदी स्त्री नदी मानी जाती है
जबकि दामोदर सोन और ब्रह्मपुत्र की तरह पुरुष प्रकृति का है। संगम स्थल पर भैरवी
नदी ऊपर से काफी वेग में दामोदर नदी में समाहित होती नजर आती है। इस मिलन का दृश्य
अदभुत है।
कामदेव और रति के प्रतीक -
कामदेव और रति के प्रतीक -
कहा जाता है दामोदर कामदेव का
प्रतीक है तो भैरवी रती का। लेकिन यहां कामदेव नीचे हैं और रती उनके ऊपर से आकर
पूरे वेग से गिरती हैं। रजरप्पा मंदिर के अंदर भी भाव भी कुछ ऐसा ही है वहां
कामदेव नीचे हैं और देवी (रती ) उनके ऊपर विराजमान हैं। ये कामदेव पर रती के विजय
का प्रतीक है। कहा जाता है कि जहां भैरवी नदी दामोदर में गिरकर मिलती है उस स्थल
की गहराई का सही अंदाजा किसी को नहीं है। रजरप्पा आने वाले सैलानी और श्रद्धालु
दामोदर नदी में नाव की सैर का भी आनंद उठाते हैं। यहां नाव पर घूमते हुए आसपास के
प्राकृतिक सौंदर्य का सुंदर नजारा किया जा सकता है।
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विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
(RAJRAPPA, DAMODAR, BAHIRWI, RIVER,
JHARKHAND )
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