कांगड़ा घाटी रेल लाइन की कुल लंबाई
164 किलोमीटर है। इस नौरोगेज रेल रेल मार्ग में दो सुरंगें हैं। जिनमें से
एक 250 फीट लंबी और दूसरी 1,000 फीट
लंबी है। ट्रेन 2 फीट 6 इंच चौड़ाई
वाले पटरियों पर कुलांचे भरती है। इस लाइन का सबसे ऊंचा प्वाइंट आहजू रेलवे स्टेशन
पर है जो 3901 फीट ऊंचा है। कांगड़ा घाटी क्षेत्र में औसत
ऊंचाई 2400 फीट की है। पठानकोट रेलवे स्टेशन 383 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जबकि आखिरी रेलवे स्टेशन जोगिंदर नगर 1184 मीटर की ऊंचाई पर है। इस रेल मार्ग में कुल 933 पुल
आते हैं। कुल 484 मोड़ आते हैं।

1925 में शुरू हुआ निर्माण
कार्य - इस रेलवे लाइन का निर्माण कार्य 1925 में आरंभ हुआ।
एक दिसंबर 1928 को मालगाड़ियों के लिए इस मार्ग को खोला गया।
वास्तव में इस लाइन का निर्माण जोगिंदरनगर के आगे बन रहे हाइड्रोलिक पावर
प्रोजेक्ट के लिए माल ढुलाई के वास्ते किया गया था। पर अप्रैल 1929 में इस मार्ग पर पैसेंजर ट्रेनों का संचालन भी शुरू किया गया।
बारह साल की बंदी - दूसरे विश्वयुद्ध के समय यह रेलमार्ग बंद हो
गया। तब रसद की सप्लाई के लिए इस मार्ग के ट्रैक को 1941-42 में बंद कर दिया गया। 12 सालों के बाद 1954 में इस मार्ग को दुबारा चालू किया गया। 1973 में
पोंग डैम के निर्माण के समय कांगड़ा घाटी का 25 किलोमीटर
मार्ग एक बार फिर बंद करना पड़ा।
फिलहाल इस मार्ग पर सात जोड़ी
सवारी गाड़ियां चलाई जाती हैं। सभी पैंसेजर गाड़ियां हैं जो सारे स्टेशनों पर
रुकती हैं। अब मार्ग पर ट्रेनों के संचालन के लिए डीजल लोकोमोटिव का इस्तेमाल किया
जा रहा है पर एक स्टीम लोको को पठानकोट रेलवे स्टेशन पर संरक्षित रखा गया है। इस
मार्ग पर ट्रेन अधिकतम 45 किलोमीटर
प्रतिघंटे की रफ्तार से चलती है जबकि औसत स्पीड 20 किलोमीटर
प्रति घंटे होती है।
तीन हिस्सों में बंटा मार्ग- ये रेलमार्ग मुख्य रुप से तीन हिस्सो में बंटा है। पहला पठानकोट से चक्की पुल का 12 किलोमीटर का हिस्सा। यह हिस्सा पंजाब के पठानकोट जिले में आता है। पठानकोट में केवीआर का लोकोमोटिव शेड भी है। पठानकोट से चक्की नदी तक का इस रेल मार्ग का इलाका कम ऊंचाई वाला है।
चक्की नदी के पुल से बैजनाथ
पपरोला तक 130 किलोमीटर का क्षेत्र
धार्मिक पर्यटन वाला इलाका है। इसी क्षेत्र में रेल मार्ग की दो सुरंगे ढुंढी और
दौलपुर आती हैं। कांगड़ा शहर की बात करें तो ये इस रेलमार्ग के बीच में आता है।
कांगड़ा से पालमपुर की ओर बढ़ने
पर इस मार्ग पर चाय के बगान दिखाई देते हैं तो पहाड़ो की मनोरम चोटियों के भी
दर्शन होते हैं। तीसरा खंड बैजनाथ से जोगिंदर नगर का है जो 22 किलोमीटर लंबा है और औसत ऊंचाई 979 मीटर की है।
कांगड़ा घाटी रेलवे के स्टेशन
1 पठानकोट जंक्शन - 2 डलहौजी रोड-
3 नूरपुर रोड 4 तेलरा
5 भारमौर 6 जवांवाला
शहर
7 हरसार डेहरी 8 मेघराजपुरा
9 नगरोटा सूरियां 10 बारयाल हिमाचल
11 नंदपुर 12 गुलेर
13 त्रिपाल 14
ज्वालामुखी रोड
15 कोपरलाहार 16 कांगड़ा
17 कांगड़ा मंदिर 18 समलोटी
19 नगरोटा 20 चामुंडा
मार्ग
21 पारोह 22 सुलह
हिमाचल
23 पालमपुर - 24 पट्टी राजपुरा -
25 पंचरुखी - 26 मझरैन हिमाचल -
27 बैजनाथ पपरोला - 28 बैजनाथ मंदिर -
29 आहजू - केवीआर का यह सबसे
ऊंचाई पर स्थित रेलवे स्टेशन है।
30 चौंतरा बातरेह - 31 जोगिंदर नगर - ( आखिरी रेलवे स्टेशन)
--- विद्युत प्रकाश मौर्य
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