( पहियों
पर जिंदगी 15)
13 अक्तूबर
1993 – दोपहर के भोजन के बाद हमारी ट्रेन नंगल से आगे बढ़
गई। ट्रेन दिन में एक शहर से दूसरे शहर का सफर कम ही करती है। पर आज थोड़ी सी
यात्रा दिन में ही है। शाम के 6 बजे हैं सर्वधर्म प्रार्थना का समय हो चला है
हमारी ट्रेन पंजाब के शहर मंडी गोबिंदगढ़ पहुंच चुकी है। लुधियाना से पहले ये छोटा
सा शहर स्टील के कारोबार के लिए जाना जाता है। यहां के स्टील कारोबारी सीताराम
गुप्ता जो सुब्बाराव जी से काफी प्रभावित हैं उनके आग्रह पर ट्रेन का छोटा सा
ठहराव यहां रखा गया है। हमारी पैदल रैली रेलवे स्टेशन से बाहर निकली जीटी रोड पर
श्रीराम भवन में सभा और उसके बाद यहीं पर भोजन का इंतजाम था।
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मंडीगोबिंदगढ़ दोराहा के बीच सतलुज नहर। |
नंगल में
रैली के दौरान रास्ते में सेब और केले बांटे जा रहे थे तब कार्यकर्ताओं ने बताया कि
ये यूथ कांग्रेस की ओर से है। मेरे मन में ये विचार आता है कि सदभावना रेल का स्वागत सिर्फ गैर राजनीतिक लोग ही करें। इसलिए मैं यूथ कांग्रेस की ओर से दिए सेब को लेने से इनकार कर देता हूं। मंडी गोबिंदगढ़ के कार्यक्रम में भी शाम को कांग्रेस
पार्टी नेताओं ने हमारा स्वागत किया। मुझे और आनंद पंडित को इस बात से शिकायत है
कि सदभावना यात्रा का स्वागत किसी राजनीतिक दल की और से न होकर सामाजिक और
प्रशासनिक संस्थाओं द्वारा ही हो। ताकि लोगों को ये कहने का मौका न मिले कि ये
कांग्रेस समर्थित यात्रा है। हमने अपनी शिकायत से सुब्बाराव जी को अवगत करा दिया।

यहां
सुब्बाराव जी कहते हैं- इतिहास एयरकंडीशनर में बैठे लोग नहीं लिखेंगे। बल्कि
इतिहास तो सड़कों पर चलने वाला नौजवान ही लिखेगा। पैसा कमाना परिवार चलाने के लिए
आवश्यक है, पर इतना पैसा ठीक नहीं जो मनुष्य को भ्रष्टाचार की
ओर ले जाए। मैं अमेरिका में देखता हूं वहां रोज हत्या की खबरें आती हैं। हत्यारे
अपनी सफाई में कहते हैं कि हमने ये हत्या पैसे के लिए नहीं बल्कि वनली फॉर फन यानी
मस्ती के लिए की। वास्तव में हमारी आज की मस्ती देश के नवनिर्माण की धुन होनी
चाहिए।
सदभावना समिति का निर्माण हो - सुब्बराव हर
शहर में कहते हैं कि एक सदभावना समिति का निर्माण होना चाहिए। समिति हर माह
सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन करे। एक धर्म को मानने वाले लोग दूसरे धर्म के
मानने वाले लोगों के कार्यक्रमों में शऱीक हों। सदभावना समिति में हर राजनीतिक दल
और धर्मों के लोगों को शामिल किया जाए। लेकिन यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि सदभावना
के कार्यक्रम राजनीतिक दलों के कार्यक्रम न बन जाएं।
हमारी
सदभावना रेल यात्रा में देश के 20 राज्यों के 150 से ज्यादा यात्री हैं। अलग अलग
शहरों की सभाओं में भाई जी इन राज्यों से आए नौजवानों का परिचय कराते हैं। हम
बिहार के लोग खड़े होकर नारे लगाते हैं –
आए हम बिहार
से...
नफरत मिटाने
प्यार से...
बुद्ध हो या
गांधी
लाए प्यार की
आंधी।
हमारा ये
नारा खूब हिट हो रहा है।
-vidyutp@gmail.com
(MANDI GOBINDGARH, PUNJAB )
सदभावना रेल यात्रा का वृतांत शुरू से पढ़ने के लिए यहां पर क्लिक करें।
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