कोलकाता के कालीघाट क्षेत्र में हाथ रिक्शा। |
ऐसा रिक्शा सिर्फ कोलकाता में ही चलता है जिसमें
दो पहिए होते हैं और उसे लेकर एक इंसान सड़क पर सरपट दौड़ता है। यूं समझिए कि ये एक घोड़ा गाड़ी
या बग्घी जैसा है जिसमें घोड़े की जगह एक इंसान जुतता है।
पूरी दुनिया में शायद इस तरह का रिक्शा कहीं और
न चलता हो। इस रिक्शे को सड़क पर दौड़ता देख अंग्रेजी राज की याद आती है, सामंतशाही युग की याद आती है। पर ये रिक्शा कोलकाता
के मानचित्र से हटाया नहीं जा सका है। आज भी ये कोलकाता के भद्रलोक का हिस्सा बना हुआ है, क्यों। शायद कोलकाता की तंग गलियों और भीड़ भरे
रास्ते में चलने के लिए ये रिक्शा मुफीद है। आलोचना तो दुनिया में तीन पहिए वाले साइकिल
रिक्शा की भी होती है जिसे इंसान खींचता है।
अरे जरा मैं भी तो इसे चलाकर देख लूं.... |
आम तौर पर तीन पहिए वाले साइकिल रिक्शा में हवा भरने वाले टायर ट्यूब लगे होते हैं पर इस हाथ रिक्शा में टमटम जैसे पहिए
लगे होते हैं। लकड़ी के पहिए जिनपर टायर की रिसोलिंग लगी रहती है। इस रिक्शे को भीड़
भाड़ में लेकर दौड़ने के लिए अभ्यास और एक खास किस्म की लयात्मकता की जरूरत होती है। पर कोलकाता के कुशल रिक्शावाले भीड़भाड़ वाले बाजार में दो लोगों को बिठाकर दौड़ते हुए आपको दिखाई दे जाएंगे।
कई फिल्मों में कोलकाता का हाथ रिक्शा - सन 1953 में आई बिमल राय की कालजयी हिंदी फिल्म
दो बीघा जमीन में नायक बलराज साहनी गांव से कोलकाता आते हैं तो ऐसे ही हाथ
रिक्शा को खींचने का काम करते हैं। बताया जाता है कि बलराज सहनी ने शूटिंग से पहले
हाथ रिक्शा खींचने का पूरा अभ्यास किया था। वहीं ऋतुपर्णो घोष की फिल्म रेनकोट में
भी कोलकाता के इस ऐतिहासिक हाथ रिक्शों का दृश्य दिखाई देता है। वर्ष 1992 में प्रदर्शित और संजीदा
अभिनय के लिए मशहूर ओम पुरी अभिनीत फिल्म ‘ सिटी ऑफ जॉय ’ हाथ रिक्शा चलाने वालों के
जीवन दर्शन को दोहराती है। सोनाक्षी सिन्हा और सैफ अली खान 2013 की फिल्म 'बुलेट राजा' में हाथ रिक्शा पर सैर करते नजर आते हैं। कई बांग्ला फिल्मों में भी हाथ रिक्शा दिखाया गया है।
सड़क से हटाने की नाकामयाब कोशिश - साल 2006 में बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव
भट्टाचार्य ने कोलकाता घोड़ा गाड़ी संशोधन विधेयक-2006 का हवाला देते हुए हाथ से खींचे जाने वाले
रिक्शों पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही रिक्शा चालकों के लिए एक पुनर्वास पैकेज का
ऐलान किया था। राज्य सरकार ने विधानसभा में नौ सदस्यीय प्रवर समिति का गठन किया
था। पर इसे अंजाम तक नहीं पहुंचाया जा सका।
ममता बनर्जी से शासनकाल में भी कुछ सामाजिक संस्थाएं हाथ रिक्शा को कोलकाता की सड़कों से हटाने कोशिश में लगे हैं। पर बड़ा सवाल इन रिक्शा खींचने वाले लोगों के पुनर्वास का है।
मैं रिक्शे वाला
ममता बनर्जी से शासनकाल में भी कुछ सामाजिक संस्थाएं हाथ रिक्शा को कोलकाता की सड़कों से हटाने कोशिश में लगे हैं। पर बड़ा सवाल इन रिक्शा खींचने वाले लोगों के पुनर्वास का है।
मैं रिक्शे वाला
1919 से हाथ रिक्शा चल रहा है कोलकाता में।
5937 रिक्शा रजिस्टर थे कोलकाता शहर में साल 2014 में।
2006 में हाथ रिक्शा हटाने की कोशिश परवान नहीं चढ़ सकी।
2006 में हाथ रिक्शा हटाने की कोशिश परवान नहीं चढ़ सकी।
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