जैसे दिल्ली का जंतर मंतर वैसे
कोलकाता का शहीद मीनार। दोनों धरने प्रदर्शन और रैलियों के लिए जाने जाते हैं।
कोलकाता के दिल धर्मतल्ला में ट्राम और बस स्टैंड के पास स्थित है शहीद मीनार।
अब शहीद मीनार राजनीतिक
पार्टियों की रैलियों के लिए जाना जाता है। हमने जिस दिन कोलकाता शहर में कदम रखा,
अखबारों में खबर थी की राहुल गांधी की चुनावी सभा शहीद मीनार में
होने वाली है। वैसे शहीद मीनार में हुई ऐसी सबसे पहली बैठक का ब्योरा 1931 का
मिलता है, जब कवि गुरु रविंद्रनाथ टैगोर ने एक दीक्षांत
समारोह का सभापतित्व करते हुए अंग्रेज सरकार के कार्यों के प्रति विरोध प्रगट किया
था।
शहीद मीनार का निर्माण सन 1828
में डॉ. डेविड ऑक्टर लोनी के याद में हुआ था। ऑक्टर लोनी ने आंग्ल-नेपाली युद्ध
में अंग्रेज़ी सेना का नेतृत्व किया था।
तीन शैलियों का मिश्रण
इस मीनार के निर्माण में तीन शैलियों का मिश्रण है। आधार मिस्र की शैली में, खम्भे सीरियन शैली में तथा गुम्बज तुर्क शैली में बना हुआ है।
तीन शैलियों का मिश्रण
इस मीनार के निर्माण में तीन शैलियों का मिश्रण है। आधार मिस्र की शैली में, खम्भे सीरियन शैली में तथा गुम्बज तुर्क शैली में बना हुआ है।
यह भी दिल्ली की कुतुब मीनार की
तर्ज पर जंग में फतह की निशानी के तौर पर बनाई गयी थी। सन 1848 में सर डेविड आक्टर
लोनी ने नेपाल की लडाई में अपनी विजय को यादगार बनाने के लिए इसे बनवाया था। इसी
लिए पहले इसे आक्टर लोनी मोन्यूमेंट के नाम से जाना जाता था। पर सन 1969 से इसे
नाम दे दिया गया शहीद मीनार। जो देश की आजादी के लिए शहीद हुए देशभक्तों की याद
में रखा गया था।
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रात की रोशनी में अलग अलग रंगों में दिखता है शहीद मीनार। |
अब चढ़ने की मनाही - शहीद मीनार की ऊंचाई 158 फीट है
तथा ऊपर की तरफ दो छज्जे, खडे होने के
लिए बने हैं। ऊपर जाने के लिए मीनार के अंदर की ओर सीढियां बनी हुई हैं जिनकी
संख्या 223 है।
मीनार के ऊपर से कोलकाता शहर की खूबसूरती को निहारा जा सकता है। पर कुछ सालों पहले कुछ दुखद हादसों के कारण इस पर चढना बंद करवा दिया गया है।
मीनार के ऊपर से कोलकाता शहर की खूबसूरती को निहारा जा सकता है। पर कुछ सालों पहले कुछ दुखद हादसों के कारण इस पर चढना बंद करवा दिया गया है।
- विद्युत प्रकाश मौर्य
(KOLKATA, SHAHID MIANR )
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