गंगा सागर का तट जहां लगाई जाती है आस्था की डुबकी। |
सारे तीरथ बार बार गंगा सागर एक बार। बुजुर्गों से ये कहावत बचपन से सुनते आए हैं। आखिर क्या है इस कहावत का राज। एक बुजुर्ग ने ही बताया कभी गंगा सागर की यात्रा इतनी मुश्किल हुआ करती थी लोग यहां अंतकाल में ही जाने की सोचते थे। अगर नहीं लौटे रास्ते में ही ऊपर वाले का बुलावा आ जाए तो भी कोई बात नहीं। बंगाल के ऐतिहासिक सुंदरबन इलाके में स्थित गंगा सागर का सफर काफी दुर्गम माना जाता था। रास्ते बाघ समेत दूसरे जंगली जानवरों के हमले का खतरा हुआ करता था। इसलिए लोग सभी तीर्थ कर लेने के बाद ही यहां जाने का विचार बनाते थे। पर अब हालात बदल चुके हैं। रास्ता सुगम है और गंगा सागर की यात्रा बार-बार और सालों भर की जा सकती है।
बचपन में दादा जी गंगा सागर के किस्से सुनाया करते थे। तो इस यात्रा को लेकर कौतूहल मन में बना हुआ था। वैसे तो हर साल जनवरी में मकर संक्रांति के समय लाखों लोग गंगा सागर की यात्रा पर जाते हैं। पर हमने कम भीड़ भाड़ वाला वक्त चुना। मार्च 2014 का समय।
होली के बाद हमलोग कोलकाता पहुंचे। अपने भैया ओम प्रकाश जी की घर गोरा बाजार दमदम में रुके। इस दौरान माधवी की तबीयत थोड़ी नासाज हो गई। सो उन्होंने गंगा सागर जाने से इनकार कर दिया। तो मैं और अनादि तैयार हो गए। गोरा बाजार से हमें एस्प्लानेड के लिए सीधी बस मिल गई। हमने पहले जानकारी जुटा ली थी कि गंगा सागर की बसें एस्प्लानेड बस अड्डे से ही खुलती हैं। हमारी यह यात्रा टुकड़ों में होनी थी। पश्चिम बंगाल की सरकारी बस थी। टू बाई टू यानी दो सीटों वाली। मैं अनादि मजे से जम गए। थोड़ी देर में बस कोलकाता शहर को पार करके डायमंड हारबर रोड पर कुलांचे भर रही थी।
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KOLKATA TO GANGASAGAR BUS |
बचपन में दादा जी गंगा सागर के किस्से सुनाया करते थे। तो इस यात्रा को लेकर कौतूहल मन में बना हुआ था। वैसे तो हर साल जनवरी में मकर संक्रांति के समय लाखों लोग गंगा सागर की यात्रा पर जाते हैं। पर हमने कम भीड़ भाड़ वाला वक्त चुना। मार्च 2014 का समय।
होली के बाद हमलोग कोलकाता पहुंचे। अपने भैया ओम प्रकाश जी की घर गोरा बाजार दमदम में रुके। इस दौरान माधवी की तबीयत थोड़ी नासाज हो गई। सो उन्होंने गंगा सागर जाने से इनकार कर दिया। तो मैं और अनादि तैयार हो गए। गोरा बाजार से हमें एस्प्लानेड के लिए सीधी बस मिल गई। हमने पहले जानकारी जुटा ली थी कि गंगा सागर की बसें एस्प्लानेड बस अड्डे से ही खुलती हैं। हमारी यह यात्रा टुकड़ों में होनी थी। पश्चिम बंगाल की सरकारी बस थी। टू बाई टू यानी दो सीटों वाली। मैं अनादि मजे से जम गए। थोड़ी देर में बस कोलकाता शहर को पार करके डायमंड हारबर रोड पर कुलांचे भर रही थी।
हालांकि परंपरा के मुताबिक हर
साल मकर संक्रांति के समय गंगा सागर स्नान के लिए देश भर से लाखों श्रद्धालु यहां
पहुंचते हैं। तब गंगा सागर में विशाल मेला लगता है। लेकिन तमाम सरकारी इंतजाम के
बावजूद जनसैलाब इतना होता है कि श्रद्धालुओं को काफी मुश्किल आती है। इसलिए आस्थावान
लोगों को साल के किसी भी महीने में गंगा सागर की यात्रा करनी चाहिए।
कोलकाता से गंगा सागर की यात्रा
- गंगा सागर पश्चिम बंगाल के
दक्षिण 24 परगना जिले में है। कोलकाता से गंगा सागर तीर्थ की कुल दूरी 120
किलोमीटर है। कोलकाता से आपकी यात्रा टुकड़ों में होती है। कोलकाता से काकद्वीप,
काकद्वीप से फेरी से मूरी गंगा नदी पारकर कुचुबेड़िया और
कुचुबेड़िया से 30 किलोमीटर का सफर फिर बस से। कोलकाता से गंगा सागर के लिए
एस्प्लानेड ( धर्मतल्ला) से सरकारी और प्राइवेट बसें चलती हैं। ये बसें धर्मतल्ला
में शहीद मीनार के ठीक पास स्थित सीएसटीसी के बस पडाव से मिलती हैं।
धर्मतल्ला से नामखाना जाने वाली बस में काकद्वीप तक की यात्रा 80 किलोमीटर की है। सरकारी बस का किराया 46 रुपये है। टू बाई टू बस में सीट का आरक्षण हो जाता है, जिससे यात्रा सुगम हो जाती है। बस का अलीपुर, बेहाला रोड को पार करते हुए डायमंड हारबर रोड पर सरपट दौड़ती है। सड़क का नाम डीएचरोड यानी डायमंड हारबर रोड है। नेशनल हाईवे सड़क की स्थित अच्छी है।
धर्मतल्ला से नामखाना जाने वाली बस में काकद्वीप तक की यात्रा 80 किलोमीटर की है। सरकारी बस का किराया 46 रुपये है। टू बाई टू बस में सीट का आरक्षण हो जाता है, जिससे यात्रा सुगम हो जाती है। बस का अलीपुर, बेहाला रोड को पार करते हुए डायमंड हारबर रोड पर सरपट दौड़ती है। सड़क का नाम डीएचरोड यानी डायमंड हारबर रोड है। नेशनल हाईवे सड़क की स्थित अच्छी है।
रास्ते में ठाकुर पुकुर, जोका, अमतला बाजार, सरिशा, हाटुगंज, कुलपी, करंजली बाजार, निश्चिंदपुर जैसे छोटे पड़ाव आते हैं। इस मार्ग पर चलते हुए 40 किलोमीटर बाद आता है डायमंड हारबर जहां आपको समंदर के दर्शन होते हैं। ये कोलकाता के पास का महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार का केंद्र है। गंगा सागर जाने वाले लोगों को काकद्वीप शहर से ठीक पहले नूतन रास्ता स्टाप पर उतर जाना चाहिए। इस स्टाप से मोटर वाले ठेले चलते हैं जो आपको स्टीमर के पड़ाव तक ले जाते हैं।
रेलमार्ग का विकल्प मौजूद - गंगा सागर जाने के लिए काकद्वीप
तक रेल मार्ग से भी पहुंचा जा सकता है।सियालदह से हर घंटे सुबह से शाम तक काकद्वीप
नामखाना लाइन के लिए लोकल ट्रेनें खुलती हैं। सियालदह से काकद्वीप की 95 किलोमीटर
दूरी का किराया 20 रुपये है, समय लगता
है 2 घंटे 40 मिनट। अगर काकद्वीप की सीधी ट्रेन न मिले तो सियालदह से लक्ष्मीकांतपुर वाली लोकल ट्रेन में बैठे वहां से काकद्वीप की दूसरी ट्रेन आसानी से मिल जाएगी। रेल मार्ग सियालदह, गडिया, यादवपुर, बारुईपुर जंक्शन होकर जाता है।
काकद्वीप - गंगा सागर का निकटतम रेलवे स्टेशन |
सियालदह साउथ से नामखाना लाइन की लोकल ट्रेनें खुलती हैं।
पहली ट्रेन सुबह 4 बजे मिलती है। आप सियालदह से डायमंड हार्बर तक भी ट्रेन से जा
सकते हैं। डायमंड हार्बर एक छोटा सा कस्बाई शहर है।
डायमंड हार्बर से आगे काकदीप का 40 किलोमीटर का सफर बस से किया
जा सकता है। ये रेल मार्ग अभी सिंगल लाइन का है। इस पर कोई एक्सप्रेस ट्रेन नहीं
चलाई जाती है। काकद्वीप से वापसी के लिए सुबह 6.20, 7.40, 8.40, 10.45, 12.40, 1.47, 3.17, 4.40, 5.55, 7.55 और 9.20 बजे
सियालदह के लिए लोकल ट्रेनें उपलब्ध है।
( आगे पढ़िए - गंगा सागर में राजा भगीरथ के हंस ... )
( आगे पढ़िए - गंगा सागर में राजा भगीरथ के हंस ... )
Very helpfull
ReplyDeletebahut achchha vratant he par agrah ye he ki kakswip or gangasagar me bharat bhawan dharmshala adi ke or chitr hone chahiye the
ReplyDeleteआगे की पोस्ट देखिए उसमें और भी तस्वीरे हैं। गंगासागर पर कुल पांच पोस्ट हैं
Deleteआगे की पोस्ट देखिए उसमें और भी तस्वीरे हैं। गंगासागर पर कुल पांच पोस्ट हैं
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