
पर आजकल यह निम्न मध्यम वर्गीय के लोगों के संघर्ष की कहानी है। भवन में लिफ्ट नहीं है। सीढ़ियों से चढ़ते वक्त हर मोड़ पर एक बड़ा सा लकड़ी का बॉक्स लगा हुआ देखता हूं। बाद में मारवाड़ी बासा में खाने वाले एक युवक से पता चला कि वास्तव में ये बॉक्स किसी बैचलर नौकरीपेशा आदमी का किराये का पूरा घर होता था। दिन भर हाड़तोड़ मेहनत के बाद रात को नौकरी से वापस आना। मारवाड़ी बासा में जीमना और उसके बाद सीढ़ियों के बीच लगे अपने बॉक्स का ताला खोलना, बिस्तर लगाना और बॉक्स के ऊपर चादर तानकर सो जाना। सात मंजिल की कोठी पर ऐसे छह बॉक्स डारमेटरी नुमा आवास बने हुए थे। इन बॉक्स पर रहने वाले लोग स्नान, शौच आदि के लिए सार्वजनिक सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं। एक बॉक्स पर किराए पर रहने वाले युवक ने बताया कि कोलकाता में एक अलग से कमरा किराये पर लेकर रहना महंगा है। इतना पैसा रहने में ही खर्च कर दिया तो घर वालों को हर महीने रुपये कैसे भेज पाउंगा।
एक कामरेड से मुलाकात - इन्ही एक बॉक्स पर कब्जा
जमाए एक सज्जन से परिचय हुआ मारवाडी बासा में खाना खाते हुए। वे कामरेड हैं। कामरेड
बिहार में सोनपुर के पास के गांव के रहने वाले हैं। जान पहचान बढ़ी तो बताया कि वे
सीपीएम के ट्रेड यूनियन विंग में सक्रिय हैं। उन्होंने बताया, कोलकाता में रहकर फुल टाइम पोलीटिक्स
करता हूं। उन्होंने अपने दफ्तर का एक लैंडलाइन नंबर भी बताया। कहा,
कोलकाता में घूमते हुए किसी परेशानी में फंस जाएं तो मुझे
फोन कर दिजिएगा, तुरंत मदद पहुंच जाएगी। हालांकि हमें उनकी मदद की कोई जरूरत नहीं पड़ी।
धर्मशाला में जन्मदिन - फूलचंद
मुकीम जैन धर्मशाला में रहने के दौरान हमारे पड़ोस वाले कमरे में एक परिवार रहने के लिए आया।
उनके दो जुड़वां बच्चे थे। बातचीत में पता चला कि वे लोग कोलकाता शहर के ही रहने वाले हैं। अपने बच्चे का जन्मदिन
मनाने धर्मशाला में आए हैं। दो कमरे बुक कराए हैं। वे लोग जिस घर में वे रहते हैं एक ही
कमरे में दस लोगों का परिवार रहता है। इसलिए उनके घर में बर्थडे पार्टी करने भर पर्याप्त
जगह नहीं है। अगले दिन उनके मेहमान आए धर्मशाला में हैप्पी बर्थडे के गीत गाए गए। और शाम को वह परिवार वापस चला गया।
कोलकाता
शहर में लाखों संयुक्त परिवार एक ही कमरे में रहते हैं। वन बेड रुम जो उनका
ड्राइंग रुम भी है और रसोई घर भी। इसी बेडरुम में सास ससुर और बेटा बहु सभी सो
जाते हैं। जाहिर है बेटे और बहु को अपनी एकांत मिलन के क्षण तलाशने के लिए संघर्ष
करना पड़ता है। लेकिन जिंदगी इन संघर्षों के साथ कदम नापती रहती है और अगली
पीढ़ियां आती रहती हैं।
हमें फूलचंद मुकीम जैन धर्मशाला खिड़कियों से ऐसे संयुक्त परिवार दिखाई दे जाते थे जो एक ही कमरे में रहते हैं। मुझे लगता है कोलकाता में जिन लोगों के पास दो कमरे का फ्लैट या घर है वे बड़े अमीर लोग हैं।
हमें फूलचंद मुकीम जैन धर्मशाला खिड़कियों से ऐसे संयुक्त परिवार दिखाई दे जाते थे जो एक ही कमरे में रहते हैं। मुझे लगता है कोलकाता में जिन लोगों के पास दो कमरे का फ्लैट या घर है वे बड़े अमीर लोग हैं।
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