
यह माना जाता है कि 80 फीसदी
तक बीमारियां पानी के इन्फैक्सन से ही होती हैं। इसलिए स्वस्थ रहने के लिए जरूरी
है कि स्वच्छ पानी पीया जाए। सभी विकसित देशों के लोग स्वच्छ पानी को लेकर काफी
जागरुक हैं। हमारे देश में अभी पानी को लेकर जागरुकता कम है। वैसे हर घर में पानी
की स्वच्छता को लेकर जागरुकता होनी चाहिए। जो लोग पानी को लेकर ज्यादा रुपये नहीं
खर्च कर सकते हैं उन्हें भी चाहिए कि पीने के पानी को हमेशा ढक कर रखें। कोशिश
करें की पानी को उबाल कर फिर उसे ठंडा करके पीएं। वे लोग जो समर्थ हैं उन्हें
अवश्य ही वाटर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करना चाहिए।
बड़े शहरों में कई समर्थ लोग
हमेशा बीमारियों से बचने के लिए मिनरल वाटर ही पीतें हैं। इसे मिनरल वाटर न कह कर
बोतलबंद पानी कहना चाहिए। पर ऐसा बोतल बंद पानी आप घर में भी वाटर प्यूरीफायर की
मदद से तैयार कर सकते हैं। आमतौर पर आर.ओ. सिस्टम
वाला वाटर प्यूटीफायर घर मे इंस्टाल करने मे पांच हजार से 11 हजार
रुपए तक का खर्च आता है। कई कंपनियां इस तरह के सिस्टम इंस्टाल करती हैं आप कोई भी
सिस्टम लगवाने से पहले बाजार में अच्छी तरह जांच पड़ताल कर लें।
खास कर उन क्षेत्रों में जहां
का पानी पीने लायक नहीं है वहां के लोगों को आरओ सिस्टम जरूर अपने घर में लगवाना
चाहिए। आमतौर पर सरकारी दफ्तरों व निजी संस्थानों में वाटर कूलर के साथ वाटर
प्यूरीफिकेशन का कोई सिस्टम लगा हुआ होता है।
क्या है आरओ
सिस्टम- रिवर्स आस्मोसिस सिस्टम का आविष्कार 1970 में डेनिस चांसलर ने किया। यह पांच चरणों में पानी को शुद्ध करता है।
इस प्रक्रिया में पानी को पतली झिल्ली से गुजारा जाता है कई तरह के कणों को अलग कर
साफ पानी को ही आगे जाने देता है। इसी प्रक्रिया से विश्व के कई विकसित देशों में
समुद्र का पानी पीने योग्य बनाया जाता है वहीं गटर के गंदे पानी को भी दुबारा
शुद्ध बनाया जाता है। लास एंजिल्स जैसे शहर में, जहां पानी की कमी है, बरसात के पानी को पीने योग्य बनाया जाता है।
1. कैल्सियम कार्बोनेट और अन्य अम्लीय तत्वों को छांटता है।
2. छोटे छोटे कण अलग करता है।
3. कार्बन व अन्य आर्गेनिक तत्वों को अलग करता है।
4. टीएफएम(थीन फिल्म
मेम्ब्रेन) जो रिवर्स आस्मोसिस की
प्रक्रिया से पानी को शुद्ध करता है।
5. सेकेंड कार्बन फिल्टर, आरओ से बचे तत्वों को अलग करता है।
इसकी भी हैं
सीमाएं - हालांकि इस आरओ
सिस्टम की भी अपनी सीमाएं हैं। यह पानी में मौजूद सारे बैक्टिरिया को नष्ट नहीं कर
पाता है। यह आर्सेनिक को नहीं अलग कर पाता है। आम तौर पर इस सिस्टम से शुद्धिकरण
का पैमाना 70 से 80 फीसदी माना जाता है।
इसके अलावा
बाजार मे जीरो बी नल में लगाने वाला सिस्टम और तीन हजार रुपये के रेंज में दो चरण
में शुद्ध करने वाले वाटर फिल्टर भी मौजूद हैं। हर आदमी को अपनी सूझबूझ से पानी को
शुद्ध करके पीने के उपाय करने चाहिए।
कई शहरों का और गांव का पानी तो पीने लायक बिलकुल नहीं रह गया है। हमारे गाजियाबाद शहर का ग्राउंड वाटर काफी दूषित है। तो मान लीजिए आपको पानी से होने वाले इन्फेक्शन के कारण कोई बीमारी होती है तो एक सिस्टम खरीदने से ज्यादा पैसा इलाज में खर्च हो सकता है इसलिए श्रेयस्कर है आप पानी शुद्ध करने के लिए कोई उपाय करें। खास तौर पर अपने बच्चों के लिए इसका खास ख्याल रखें कि उन्हें पीने को शुद्ध किया हुआ पानी ही मिले। अगर कुछ संभव नहीं हो तो उन्हें पानी उबाल कर ही पीलाएं।
- माधवी रंजना madhavi.ranjana@gmail.com
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