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राजेंद्रनाथ मुखर्जी। ( मार्टिन एंड कंपनी ) |
ब्रिटिश राज में देश में लाइट
रेलवे का संचालन कई देशी रियासतों के राजाओं द्वारा किया गया तो कई रेल कंपनियों
को ब्रिटेन की निजी कंपनियों ने संचालित किया। पंजाब में पटियाला के महाराजा
भूपिंदर सिंह ने अपने रियासत में 80 किलोमीटर लंबी मोनो रेल की पटरियां बिछवाई थी।
वहीं ग्वालियर के सिंधिया राजघराने ने ग्वालियर से श्योपुर और ग्वालियर से शिवपुरी के बीच लाइट रेलवे की पटरियां बिछवाई। कई और राजघरानों ने निजी लाइट रेलवे के विस्तार में योगदान किया। पर हम बात कर रहे हैं कुछ निजी कंपनियों के लाइट रेल प्रोजेक्ट के बारे में।
वहीं ग्वालियर के सिंधिया राजघराने ने ग्वालियर से श्योपुर और ग्वालियर से शिवपुरी के बीच लाइट रेलवे की पटरियां बिछवाई। कई और राजघरानों ने निजी लाइट रेलवे के विस्तार में योगदान किया। पर हम बात कर रहे हैं कुछ निजी कंपनियों के लाइट रेल प्रोजेक्ट के बारे में।
भारत में निजी कंपनियों की बात
करें को भारत में एक समय में कई लाइट रेलमार्गों ( नैरो गेज ) पर रेलगाड़ियों का
संचालन मार्टिन एंड बर्न लिमिटेड नामक कंपनी करती थी। ये कंपनी कई लाइट रेलवे
परियोजनाओं के अलावा देश में आगरा, वाराणसी, बरेली जैसे शहरों में बिजली वितरण का भी
काम देखती थी। यह अपने समय की देश की निजी क्षेत्र की प्रमुख सम्मानित कंपनियों
में शुमार थी।
मार्टिन एंड बर्न कंपनी का मुख्यालय लंदन में था। एक्विन मार्टिन के
साथ इस कंपनी के भारतीय पार्टनर राजेंद्र नाथ मुखर्जी थे। बंगाल में जन्मे राजेंद्र
नाथ मुखर्जी जाने माने इंजीनियर, कांट्रैक्टर और बिजनेसमैन
थे। उन्हें एक इंजीनियर और ठेकेदार के तौर पर कोलकाता का विक्टोरिया मेमोरियल
बनवाने का श्रेय जाता है। इसके अलावा कोलकाता में एस्प्लानेड मेंसन, बनारस, लखनऊ,
अहमदाबाद में वाटर वर्क्स का निर्माण कंपनी ने कराया।
राजेंद्र नाथ मुखर्जी का जन्म 23 जून 1854 को उत्तर 24 परगना के बाबला में हुआ था। उनका निधन 15 मई 1936 को कोलकाता में हुआ। छह साल की उम्र में पिता का साया सिर से उठ गया। मां ने उन्हें पढ़ाकर इंजीनियर बनाया। इंजीनियर से ठेकेदार बने फिर उद्योगपति। अपने जीवन काल में उनके स्थापित उद्योग धंधे उत्कर्ष पर थे। मुखर्जी 1911 में कोलकाता शहर के शेरिफ भी चुने गए थे।

राजेंद्र नाथ मुखर्जी का जन्म 23 जून 1854 को उत्तर 24 परगना के बाबला में हुआ था। उनका निधन 15 मई 1936 को कोलकाता में हुआ। छह साल की उम्र में पिता का साया सिर से उठ गया। मां ने उन्हें पढ़ाकर इंजीनियर बनाया। इंजीनियर से ठेकेदार बने फिर उद्योगपति। अपने जीवन काल में उनके स्थापित उद्योग धंधे उत्कर्ष पर थे। मुखर्जी 1911 में कोलकाता शहर के शेरिफ भी चुने गए थे।
मुखर्जी की इंडियन आयरन एंड स्टील कंपनी,
बर्नपुर के स्थापना में भी प्रमुख भूमिका थी। बर्नपुर शहर का नाम ही
बर्न के नाम पर पड़ा है। भारत में मार्टिन एंड कंपनी का कारोबार देखने वाले
राजेंद्रनाथ मुखर्जी का नाम भारत में बड़े उद्योग धंधों के संस्थापकों में सम्मान
से लिया जाता है। आरा सासाराम लाइट रेलवे का संचालन करने वाली मार्टिन एंड कंपनी
का भारत में मुख्यालय कोलकाता में था। पर दिल्ली के जनपथ में भी इसका क्षेत्रीय कार्यालय हुआ करता था। जनपथ में 40-42 भवन संख्या की पहली मंजिल पर कंपनी का दफ्तर था।
पटना में क्षेत्रीय कार्यालय - बिहार में कंपनी ने अपने लाइट रेलवे कंपनी
संबंधी कार्यों के संचालन सुविधा के लिए पटना के म्यूजियम रोड पर क्षेत्रीय
कार्यालय खोल रखा था। 20वीं सदी की शुरुआत में बंगाल के
कोलकाता से संचालित होने वाली कंपनी मार्टिन एंड बर्न द्वारा शाहाबाद की धरती पर
लाइट रेलवे की महत्वाकांक्षी योजना शुरू की गई। इसके लिए अलग से आरा सासाराम लाइट
रेलवे कंपनी का गठन किया गया। कहा जाता है कि बड़े व्यापारिक घरानों के दिन हमेशा
एक जैसे नहीं रहते।
आरएन मुखर्जी के पोते रामेन मुखर्जी और रॉबिन मुखर्जी तक मार्टिन एंड कंपनी इस परिवार के पास रही। पर अपने बंद होने के दिनों में यानी 1970 के बाद मार्टिन एंड कंपनी मुखर्जी परिवार से फतेहपुरिया परिवार के हाथों में चली गई।
अब कंपनी का कारोबार भी पहले की तरह बुलंदियों पर नहीं रहा। बंदी के बाद भी कंपनी का नाम अभी अस्तित्व में है। कोलकाता में कंपनी का दफ्तर भी है। उसकी कुछ परिसंपत्तियां भी देश में मौजूद हैं। इस महान उद्योगपति के नाम पर कोलकाता में एक सड़क है आरएन मुखर्जी रोड। यह सड़क कोलकाता में बीबीडी बाग और बेंटिक स्ट्रीट को जोड़ती है।
आरएन मुखर्जी के पोते रामेन मुखर्जी और रॉबिन मुखर्जी तक मार्टिन एंड कंपनी इस परिवार के पास रही। पर अपने बंद होने के दिनों में यानी 1970 के बाद मार्टिन एंड कंपनी मुखर्जी परिवार से फतेहपुरिया परिवार के हाथों में चली गई।
अब कंपनी का कारोबार भी पहले की तरह बुलंदियों पर नहीं रहा। बंदी के बाद भी कंपनी का नाम अभी अस्तित्व में है। कोलकाता में कंपनी का दफ्तर भी है। उसकी कुछ परिसंपत्तियां भी देश में मौजूद हैं। इस महान उद्योगपति के नाम पर कोलकाता में एक सड़क है आरएन मुखर्जी रोड। यह सड़क कोलकाता में बीबीडी बाग और बेंटिक स्ट्रीट को जोड़ती है।
- विद्युत प्रकाश मौर्य ( ASLR2)
(ARA SASARAM LIGHT RAILWAY, MARTIN AND BURN, BIHAR )
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