रसगुल्ले का
आविष्कार किसने किया। जवाब है नवीनचंद्र दास। रसगुल्ला वह बंगाली मिठाई है जो अब
देश काल की सीमाएं लांघकर दुनिया भर में लोकप्रिय है। लोकप्रियता के लिहाज से हम
कह सकते हैं कि रसगुल्ला देश की राष्ट्रीय मिठाई है। हालांकि कुछ लोग जलेबी की भी
बात करते हैं। तो कहा जाता है कि रसगुल्ले का आविष्कार बंगाल के हलवाई नबीन चंद्र
दास ने किया। वे नोबिन मोइरा के नाम से भी जाने जाते थे।
उत्तरी कोलकाता के
बाग बाजार में उनकी दुकान थी। 1868 का साल था। एक दिन प्रयोग करते करते उन्होंने
खोए की छोटी छोटी गोलियां बनाईं और उन्हे चीनी से रस में डाल दिया। एक नई मिठाई का
आविष्कार हो चुका था जिसका नाम रखा गया रसगुल्ला यानी रस से भरा हुआ।
नबीन चंद्र का जन्म
1845 में हुआ और उन्होंने 1925 में अंतिम सांस ली। नबीन चंद्र के पुरखे चीनी के
व्यापारी थे। वे मूल रुप में बंगाल बर्दवान जिले से आते थे। आठ पीढ़ी पहले उन्होंने
कोलकाता के पास सुतानाती ( बाग बाजार) में अपना घर बनाया। नबीन के जन्म से पहले
उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। संपत्ति के नाम पर जमीन का टुकड़ा बचा था। 1864 में
नबीन चंद्र दास ने जोडासाकू में मिठाई की दुकान खोलने के लिए इस जमीन को भी बेच
डाला। दुकान ज्यादा चली नहीं तब 1866 में बाग बाजार में दूसरी दुकान खोली। तब
कोलकाता की मिठाई की दुकानों में संदेश और दाल के बने लड्डु जैसी मिठाइयां ही
लोकप्रिय थीं। नबीन चंद्र कुछ नया करना चाहते थे। इसी नएपन की तलाश में 1868 में
रसगुल्ले का जन्म हुआ।
उनके बेटे केसी दास
यानी कृष्ण चंद्र दास ( 1868-1934) को श्रेय जाता है रसमलाई के आविष्कार का। ये
रसगुल्ला का बदला हुआ रूप है। लेकिन केसी दास का सफर यहीं नहीं रूका। अब कोलकाता
के केसी दास की दुकान कैन पैकिंग में वैक्यूम सील्ड रसगुल्ला तैयार करती है जिसे
आप देश विदेश में कहीं भी लेकर जा सकते हैं। हांलाकि अब कई दूसरी कंपनियां भी
रसगुल्ले की पैकिंग तैयार करने लगी हैं।
केसी दास के परिवार
की तीसरी पीढ़ी में थे डीएन दास जिनका निधन 2010 में हुआ। अपने कालीघाट की मिठाई
की दुकान में दूध की सप्लाई के लिए उन्होंने दक्षिण 24 परगना जिले के मलिकपुर में
अपनी डेयरी शुरू की जिससे मिठाइयों की शुद्धता कायम रहे। मिठाइयों के निर्माण में
अपनी डेयरी के जर्सी गायों के दूध का इस्तेमाल किया जाता रहा।
केसी दास का कोलकाता
का शोरुम केसी दास ग्रैंडसंस के नाम से श्यामाप्रसाद मुखर्जी रोड पर ट्राम डिपो के
सामने स्थित है। दूसरी दुकान एजेसी बोस रोड पर एंटली मार्केट के पास है। अगर आप
कोलकाता पहुंचे हैं तो केसी दास के रसगुल्ले की केन खरीदना न भूलें। कैन पैकिंग
वाला रसगुल्ला आपको हावड़ा स्टेशन समेत तमाम कोलकाता में मिल सकता है।

टैगोर भी थे स्वाद
के दीवाने - जाने माने चिकित्सक
पशुपति भट्टाचार्य जब भी कविगुरु रविंद्रनाथ टैगोर से मिलने जाते नबीन दा की दुकान
से ही रसगुल्ला लेकर जाते थे। एक दिन नबीन दा के दुकान में रसगुल्ला खत्म हो गया
तो पड़ोस की दुकान से ले लिया। टैगोर ने खाने के बाद कहा, आज कहीं और से लाए हो
लगता है। आगे से नबीन दा के ही रसगुल्ले लाना।
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विद्युत
प्रकाश मौर्य
Monendra Mohan Singh अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद् विद्युत् ,जब से मैंने होश संभाला तब से कोलकाता का रसगुल्ला खाते आ रहे , बहुत ब्रांड आ गए लेकिन k c das का स्वाद और कोई नहीं दे पाया।
Monendra Mohan Singh अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद् विद्युत् ,जब से मैंने होश संभाला तब से कोलकाता का रसगुल्ला खाते आ रहे , बहुत ब्रांड आ गए लेकिन k c das का स्वाद और कोई नहीं दे पाया।
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