कोलकाता के काली घाट में मां काली का प्रचीन मंदिर है तो शहर के उत्तरी हिस्से दक्षिणेश्वर में मां काली का एक और भव्य मंदिर है। स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस इस मंदिर में मां काली की उपासना किया करते थे।
इस मंदिर की काफी मान्यता है, क्योंकि मंदिर से विवेकानंद के गुरु से
इस मंदिर का नाता है। दक्षिणेश्वर में हुगली नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित काली
के इस मंदिर को सारी दुनिया रामकृष्ण परमहंस की वजह से ज्यादा जानती है। यहां काली
का भवतरणी के स्वरूप में विराजती हैं।
भव्य है मां काली का मंदिर - नदी के तट पर स्थित यह मंदिर बड़ा सुरम्य प्रतीत होता है। सुबह से लेकर रात तक यहां रौनक बनी रहती है। काली
मां का मंदिर 46 फीट चौड़ा तथा 100 फीट ऊंचा है। इस मंदिर में 12 गुंबद हैं जिनका
संयुक्त सौंदर्य दूर से भी विलक्षण प्रतीत होता है। दक्षिण की ओर स्थित यह मंदिर
तीन मंजिला है। ऊपर की दो मंजिलों पर नौ गुंबद समान रूप से फैले हुए हैं। गुंबदों
की छत पर सुंदर आकृतियां बनाई गई हैं।


कहा जाता है कि रानी रासमणि हिंदू समाज की जातीय व्यवस्था में चूंकि निम्न जाति से आती थीं, इसलिए मंदिर में देवी की स्थापना के
समय काफी विवाद हुआ। उनके ऊपर कई मुकदमे डालने की कोशिश की गई। मंदिर बन जाने पर कई कुलीन ब्राह्मणों ने इस मंदिर का पुजारी बनने से इनकार कर दिया।
इस
मंदिर के पहले पुजारी रामकुमार चट्टोपाध्याय बने। बाद में उनके छोटे भाई गदई या
गदाधर भी उनके साथ रहने लगे। ये गदाधर ही बाद में रामकृष्ण परमहंस बने। एक साल बाद
रामकुमार की मृत्यु हो जाने पर रामकृष्ण यहां के मुख्य पुजारी बन गए। तब से तीस
साल बाद 1886 में अपनी मृत्यु तक रामकृष्ण इसी मंदिर में बने रहे। प्रसिद्ध विचारक
रामकृष्ण परमहंस ने मां काली के मंदिर में देवी की आध्यात्मिक दृष्टि प्राप्त की
थी। इसी स्थल पर बैठ कर उन्होंने धर्म-एकता के लिए प्रवचन दिए थे।
कैसे पहुंचे – दक्षिणेश्वर की काली मां के दर्शन के लिए आपको कोलकाता के मुख्य बस स्टैंड धर्मतल्ला या हावड़ा से स्थानीय बसें मिल जाएंगी। लोकल ट्रेन से भी आप बेलुर स्टेशन आकर वहां से पुल से हुगली नदी पार कर दक्षिणेश्वर पहुंच सकते हैं। बेलुर मठ से दक्षिणेश्वर के लिए लगातार फेरी सेवा भी चलती है जिससे दक्षिणेश्वर पहुंचा जा सकता है।
आप कोलकाता के किसी भी कोने से टैक्सी बुक करके भी यहां तक पहुंच सकते हैं। सियालदह डानकुनी रेल मार्ग पर दक्षिणेश्वर रेलवे स्टेशन भी है। यहां सियालदह रेलवे स्टेशन से भी पहुंचा जा सकता है। यह रेलवे स्टेशन हुगली नदी पर बने विवेकानंद ब्रिज से ठीक पहले आता है।
मंदिर खुलने का समय- मंदिर सुबह 6.30 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक खुला रहता है। इसके बाद मंदिर दुबारा दोपहर 3.30 बजे खुलता है। मंदिर शाम को 8.30 बजे तक ही खुला रहता है। वहीं अप्रैल से सितंबर तक मंदिर रात्रि 9 बजे तक खुला रहता है।
दक्षिणेश्वर काली मंदिर परिसर में स्वामी विवेकानंद की मूर्ति ( मार्च 2014 ) |
- विद्युत प्रकाश मौर्य vidyutp@gmail.com
( MAA KALI TEMPLE, KOLKATA, DEVI, SWAMI VIVEKANAND, RAM KRISHNA PARAMHANS, DAKSHINESHWAR )
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