शक्ति की देवी
दुर्गा के नौ रुपों में एक हैं मां काली। हालांकि देश में मां काली के कई मंदिर
हैं पर उनमें से प्रमुख मां कालका देवी का मंदिर हरियाणा के पंचकूला जिले के कालका
शहर में हैं। भक्तगण मां को चमत्कारी मानते हैं। इन्हें बिगड़ी बनाने वाली देवी माना जाता है। हालांकि इस मंदिर को 51 शक्तिपीठों में नहीं गिना जाता है। पर मान्यता
है कि शिव तांडव के दौरान सती की केश राशि के कुछ अंश यहां भी गिरे थे।हालांकि काली
का मुख्य मंदिर कोलकाता के काली घाट के काली मंदिर को माना जाता है। जहां सती की
केश राशि गिरी थी। पर पंजाब, हरियाणा, हिमाचल के लोगों की कालका के कालिका मंदिर में
अगाध श्रद्धा है। इधर के श्रद्धालुओं में मान्यता है कि ये मां काली का ये मंदिर
भी शक्तिपीठ है।

महिषासुर वध
के बाद यहां प्रकट हुईं थी काली-
यह भी मान्यता है कि शास्त्रों से विभूषित हो कर मां रन भूमि में प्रगट होकर महिषासुर आदि सभी दैत्यों का वध करके जिस स्थान में प्रगट हुई थी वो आज काली माता मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है जो कि हरियाणा के पंचकूला जिला कालका में स्थित है।
यह भी मान्यता है कि शास्त्रों से विभूषित हो कर मां रन भूमि में प्रगट होकर महिषासुर आदि सभी दैत्यों का वध करके जिस स्थान में प्रगट हुई थी वो आज काली माता मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है जो कि हरियाणा के पंचकूला जिला कालका में स्थित है।
कालिका मंदिर में यहां सिर्फ
देवी का सिर दिखाई देता है। मंदिर में मां के दर्शन पिंडी रूप में किए जाते हैं।
मां के मूर्ति के बगल में दो सुनहले शेर नजर आते हैं जो युद्ध में माता की सवारी
हुआ करते थे। हर रोज मंदिर में मां का श्रंगार भव्यता से किया जाता है। कभी फूलों
से तो कभी फलों से। उनका सुबह और शाम का श्रंगार देखने लायक होता है।
मां के चमत्कार की कई कहानियां - मां के
चमत्कार की कई कथाएं कही जाती हैं। वे भक्तों पर कृपा करती हैं। पर एक दंतकथा के
मुताबिक कहा जाता है देवी ने नाराज होकर राजा जयसिंह देव का शाप दिया था। उसके बाद
राजा न सिर्फ युद्ध में हार गया बल्कि उसका राजपाट भी नष्ट हो गया। ये शहर भी मां
के कोप से बरबाद हो गया जो काफी समय बाद फिर आबाद हो सका। कहा जाता है आराधना करने
वाले का कालका मां दुख हरती हैं और बिगड़ी बनाने वाली हैं। नवरात्र में कालका
मंदिर में विशाल मेला लगता है। खास तौर पर अष्टमी के दिन श्रद्धालुओं के दर्शन की
भारी भीड़ उमड़ती है।उस दिन इतनी लंबी लाइन लगती है कि वह कई बार हरियाणा के
परवाणु शहर तक पहुंच जाती है।
कैसे पहुंचे - पंचकूला जिले का
कालका शहर चंडीगढ़ से शिमला मार्ग पर स्थित है। चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन से कालका की
दूरी 37 किलोमीटर है। यह ब्राडगेज का आखिरी रेलवे स्टेशन है साथ ही कालका शिमला
लाइट रेलवे का पहला रेलवे स्टेशन है। रेलवे स्टेशन के पास ही बाजार में नेशनल
हाईवे पर ही मां कालका का मंदिर है। आप चंडीगढ़ से शिमला जाते हुए किसी भी बस से कालका पहुंच सकते हैं।

देश में और भी कालका मंदिर - देश
में कालका नाम के कई और मंदिर हैं। देश की राजधानी दिल्ली में कालकाजी इलाके में भी
कालका मंदिर है तो एक कालका मंदिर इंदौर के खजराना इलाके में भी है।
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विद्युत प्रकाश मौर्य
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