अगरतला के आखिरी दिन सुबह सुबह मैं मां काली कसबे वाली के दर्शन के लिए चल पड़ा हूं। यह मंदिर कमला सागर में बांग्ला देश की सीमा पर स्थित है। उज्जयंत पैलेस में मिले गाइड महोदय ने मुझे इस मंदिर के दर्शन के लिए सलाह दी थी।
त्रिपुरा के कमला सागर
में मां काली का मंदिर राज्य का अदभुत मंदिर है। पंद्रहवीं सदी का बना यह
मंदिर अब बिल्कुल बांग्लादेश की सीमा पर है। मंदिर के बगल में विशाल सुंदर सरोवर
है। इस सरोवर में असंख्य कमल के पुष्प खिले हैं। सरोवर के तट पर सामने ऊंचाई की ओर
जाती सीढ़ियां काली माता के दरबार की ओर जा रही हैं।
आस्था और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत समन्वय - यहां पर मुझे आस्था और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत समन्वय दिखाई देता है । कमला सागर में स्थित काली मां के मंदिर को कसबे वाली काली मां भी कहते हैं। आजादी के बाद कसबा नामक छोटा सा कस्बा तो बांग्लादेश में चला गया पर काली मां का मंदिर हिंदुस्तान में ही रहा। कमला सागर मंदिर के ठीक बगल में बांग्लादेश सीमा की बाड़ लगी है। बाड़ के उस पार बांग्लादेश के नागरिक अपने खेतों में काम करते हुए दिखाई देते हैं।
तब खोल दी जाती है सीमा - साल में एक बार भाद्रपद आमवस्या पर मंदिर में मेला लगता है। इस पूजा के खास अवसर पर बांग्लादेश के हिंदू परिवारों को भी काली मां के पूजा की अनुमति दी जाती है। यहां तैनात सीमा सुरक्षा बल के जवान इसके लिए खास तौर पर बंग्लादेशी श्रद्धालुओं को रास्ता उपलब्ध कराते हैं। मां काली की पूजा करने के बाद वे श्रद्धालु वापस लौट जाते हैं। दो देशों के बीच सरहदें जरूर बन गई हैं आस्था को दीवार नहीं जुटा कर सकी है।
काली मां का
ये मंदिर महाराजा धन माणिक्य का कार्यकाल 15वीं सदी में बनवाया गया। धन माणिक्य त्रिपुरा में माणिक्य वंश के सबसे
प्रतापी राजा थे, उन्होंने कई मंदिर बनवाए। कहा जाता है ये
मंदिर उनकी पत्नी कमला देवी ने बनवाया था।
उन्होंने ही मंदिर के पास विशाल
पुष्करणी सरोवर भी खुदवाया जिसका नाम महारानी कमला देवी के नाम पर कमला सागर रखा
गया। कमला देवी बड़ी ही परोपकारी और सहृदय महारानी थी। कहा जाता है कि उन्होंने
अपने राज्य में चली आ रही नरबलि प्रथा को खत्म कराया था।
भाद्रपद आमस्वया पर बड़ा मेला - कमला सागर
का ये मंदिर बाकी काली मंदिरों से थोड़ा अलग है। मंदिर में दसभुजा धारी महिषासुर
मर्दिनी की प्रतिमा है। साथ में शिव भी स्थापित हैं। हर रोज मां की प्रतिमा का
सुरूचिपूर्ण ढंग से श्रंगार होता है। हर साल भाद्रपद आमस्वया के समय यहां बड़ा मेला
लगता है।
बांग्लादेश के दर्शन - कमला सागर मंदिर परिसर के आसपास से बांग्लादेश के कस्बा के खेत घर दिखाई दे रहे हैं। सीमा के उस पार लोग अपना काम निपटाते हुए दिखाई दे रहे हैं। पर सीमा पर तैनात बीएसएफ के जवान कंटीले तारों के उस पार की फोटोग्राफी के लिए मना करते हैं। मुझे सीमा के उस
पार के बांग्लादेश के रेलगाड़ी की सिटी भी सुनाई देती है। दरअसल उस पार का रेलवे लाइन बिल्कुल बगल में है। कसबा बांग्लादेश के चटगांव डिविजन का
एक उप जिला है। काली मंदिर के करीब ही सीमा के उस पार बांग्लादेश रेलवे का कसबा रेलवे स्टेशन है।
कैसे पहुंचे - कमला सागर की दूरी अगरतला शहर
से 28 किलोमीटर है। अगरतला से कमला सागर जाने
के लिए नगरजल बस स्टैंड से टैक्सी या बस ली जा सकती है। उदयपुर मार्ग पर बिशालगढ़
से पहले गोकुल नगर स्टैंड पर उतर जाएं।
कहां ठहरें - कमला सागर में रहने के लिए कोमिला गेस्ट हाउस बना है। वैसे आप अगरतला शहर में ही रुक कर कमला सागर आ सकते हैं। कमला सागर में आपको खाने पीने के लिए एक दो छोटी दुकानें दिखाई देती हैं। मंदिर परिसर में प्रसाद की दुकानें और कैफेटेरिया आदि भी है। यहां आप थोड़ी से पेट पूजा कर सकते हैं, या फिर यहां पर दोपहर का भोजन भी ले सकते हैं।
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विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com ( KAMLA SAGAR, TEMPLE, BANGLADESH BORDER, BSF, TRIPURA, AGARTALA )
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