मेरा
नागालैंड का दौरा अच्छी और यादगार स्मृतियां लिए हुए समाप्त हुआ। जब मैंने दिल्ली
से चलने से पहले एक संस्थान के निदेशक के सामने नागालैंड जाने की इच्छा जताई थी तो
उन्होंने मुझे इस राज्य में जाने की सलाह देते हुए कहा था कि मैंने सुना है वहां
इंसानों का भी शिकार होता है। (मैन हंटिग)। वे पढ़े लिखे सख्श हैं और ऐसा विचार
रखते हैं तो आम आदमी की बिसात। लेकिन नागालैंड काफी बदल चुका है और तेजी से बदल
रहा है। हालांकि 1963 में बने इस राज्य की कई राजनैतिक समस्याएं हैं
जिसका हल नहीं निकाला जा सकता है। पर पिछले दो दशक से नागालैंड में युद्ध विराम के
हालात हैं। इसलिए राज्य में आमतौर पर शांति है।
बेधड़क घूम सकते हैं नागालैंड - आप एक सैलानी के तौर पर यहां घूम
सकते हैं। जरूरत है कि हम भी पूर्वोत्तर के इस राज्य के बारे में अपना नजरिया
बदलें। नागालैंड के लोग खुद्दार हैं। खुद सम्मान पाना चाहते हैं और सामने वाले का
सम्मान करते हैं। महिलाओं के सम्मान के मामले में तो ये राज्य दिल्ली से काफी आगे
है। यहां कोई अकेली महिला दिन या रात में घूमे उसके साथ छेड़छाड़ या बलात्कार जैसी
घटनाएं सुनने को नहीं मिलेंगी।
नागालैंड में क्या देखें - अगर आप नागालैंड घूमने का कार्यक्रम बना रहे हैं तो कम से कम 5 दिन रखे यहां के लिए तो अच्छा रहेगा। अब नागालैंड टूरिज्म और उससे सबंद्ध आपरेटर सैलानियों के लिए नागालैंड का टूर पैकेज भी बना रहे हैं। नागालैंड में आप डिमापुर कोहिमा के अलावा भी कुछ स्थलों को देखने जा सकते हैं।
खोनामा और मोकोचुंग भी सैलानी जाते हैं। खोनामा की ग्रीन विलेज की दूरी कोहिमा से 20 किलोमीटर है। किसामा नागालैंड का हेरिटेज विलेज है। इसके अलावा तोफेमा टूरिस्ट विलेज भी जाया जा सकता है। म्यांमार सीमा पर अनूठे गांव लोंगवा की सैर कर सकते हैं। इस गांव का आधा हिस्सा म्यांमार में तो आधा भारत में है। अब बात करते हैं नागालैंड के मुख्यमंत्री रियो के एक बयान की जो
मुझे एक अखबार में पढ़ने को मिला था।
![]() |
नेफियो रियो, मुख्यमंत्री, नागालैंड ( फोटो सौ - लाइव मिंट) |
पूर्वोत्तर
के बारे में बहुत कम जानते हैं देशवासी : रियो
नागालैंड के
मुख्यमंत्री नेईफुई रियो ने कहते हैं कि देश के बाकी हिस्से के लोग पूर्वोत्तर के
राज्यों के बारे में कम जानते हैं। उन्हें पूर्वोत्तर को समझने तथा यहां के लोगों
को यह जताने की आवश्यकता है कि वे भारत के हिस्सा हैं। नागालैंड की राजधानी कोहिमा
के नजदीक किसामा गांव में इलेक्ट्रिक यंग लीडर्स कनेक्ट-2 सम्मेलन को शनिवार को
सम्बोधित करते हुए रियो ने कहा, यह
सच है कि देश के बाकी हिस्से के लोग इस क्षेत्र के बारे में बहुत कम जानते हैं, जोकि निश्चित तौर पर भारत ही है, लेकिन
दुर्भाग्यवश एक असमान भारत है।
उन्होंने कहा, "इस क्षेत्र के केवल एक प्रतिशत लोग ही देश की
मुख्यधारा से जुड़े हैं, जबकि हमारी 99 प्रतिशत भौगोलिक
सीमा अंतर्राष्ट्रीय है। इस क्षेत्र के लोग शेष भारत से जुड़ने में जिस दूरी, विलगाव तथा उपेक्षा का अनुभव कर रहे हैं, वह
राष्ट्रीय चिंता का विषय है। (21 अक्तूबर 2012 देशबंधु से साभार )
इसके साथ ही
अब नागालैंड को अलविदा, इस वादे के साथ फिर फिर यहां आने की इच्छा बनी
रहेगी। आप भी कुछ दिन गुजारें पूर्वोत्तर के इस स्वीटरजरलैंड में।
-- विद्युत प्रकाश मौर्य
( NAGALAND, KOHIMA, TOURISM, STATE )
No comments:
Post a Comment