मणिपुर की ऐतिहासिक विरासत को समेटे
हुए है कांगला फोर्ट। यह विशाल फोर्ट इंफाल शहर के बीचों बीच स्थित है। या यूं कहें
कि शहर का पूरा विस्तार इसी किले के चारों तरफ हुआ है। वैसे साल 2004 तक कांगला फोर्ट
असम राइफल्स के अधीन आता था। किले में इस अर्ध सैनिक बल के बटालियन का दफ्तर हुआ करता
था। पर साल 2004 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इसे राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र
में सौंपा। आजादी से पहले कांगला फोर्ट अंग्रेजों के स्वामित्व में था। कांगला फोर्ट
इंफाल नदी के तट पर बना है। किले को दोनों तरफ नदी की धारा है। कांगला का शाब्दिक अर्थ
मणिपुरी भाषा में सूखी जमीन होता है।

कांगला के किले में रक्षा के
लिए चारों तरफ नगर बनाई गई थी जिसे आज भी देखा जा सकता है। साल 1597 से 1652 के
बीच शासन करने वाले राजा खाबेंगा ने कांगला किले के चारों तरफ मजबूत ईंट की दीवार
बनवाई। ये दीवार 1632 की बनी हुई है। ऐसा प्रतीत होता है कि ईंट बनाने का काम चीन
के उन फौजियों से लिया गया जिन्हें युद्ध के दौरान गिरफ्तार किया गया था। खाबेंगा
के शासन काल में मणिपुर का सम्राज्य अपने उत्कर्ष पर था। यूं कहें कि वह मणिपुर का
स्वर्णकाल था। उसके बेटे खूंजोबा के शासन काल में भी कांगला के किले में निर्माण
कार्य चलता रहा। कांगला के किले ने 18वीं सदी में कई बार बर्मा का आक्रमण भी झेला।
अठारवीं सदी में कांगला का किला आठ साल बर्मा के नियंत्रण में भी रहा। 1844 में
नारा सिंह के समय एक बार फिर कांगला राजधानी बना।
अगर हम मणिपुर के राजतंत्र की बात
करें दो हजार साल में कई अलग अलग राजवंशों का शासन मणिपुर में रहा। महाभारतकाल से यहां
हिंदू धर्म का प्रभाव था। महाभारत के अनुशासन पर्व में जिक्र आता है कि अर्जुन की एक
पत्नी चित्रांगदा मणिपुर का राजा चित्र वर्मा की बेटी थीं। पहली शताब्दी से लेकर
1891 तक कांगला के किले से मणिपुर राज्य का शासन चलता रहा। लेकिन अंग्रेजों की नजर
इस सुंदर पहाड़ी राज्य पर पड़ी। 1891 एंग्लो मणिपुर वार में अंग्रेजों से पराजय के
बाद मणिपुर अंग्रेजी राज के अधीन आ गया। इसके बाद कांगला का ये किला ब्रिटिश राज के
अधीन आ गया। कांगला किले के अंदर अलग अलग कालखंड में बने भवनों के खंडहर देखे जा सकते
हैं।

खुलने का समय -
आप कांगला के किले में सुबह 9 बजे से 4 बजे के बीच घूमने जा सकते हैं। इतिहास के चिन्हों
को देखने के लिए कुछ घंटे का समय जरूर निकालें।
कैसे पहुंचे -
कांगला फोर्ट पहुंचना आसान है। यह मणिपुर शहर के बीचों बीच स्थित है। यूं कहें की फोर्ट
के चारों तरफ ही पूरे शहर का विस्तार है। इसलिए आपको कोई भी यहां पहुंचने का रास्ता
बता देगा।
- विद्युत प्रकाश मौर्य
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